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नवादा: पुल बनना तो दूर 77 साल में एक नाव तक नहीं चली; सरगुजा: एक गांव के 70 लोग तिब्बत बॉर्डर पर, गांववालों ने लगाए शांति मंत्र के झंडे

दैनिक भास्कर

Jun 23, 2020, 07:25 AM IST

नई दिल्ली. फोटो बिहार में नवादा जिले के गोसाई बिगहा गांव की है। यहां मानसूनी बारिश आते ही जिंदगी जुगाड़ पर ‘तैरने’ लगती है। दरअसल, यहां से सकरी नदी गुजरती है, जो 60 हजार ग्रामीणों के जीवन का मुख्य हिस्सा है। लोगों को क्षेत्र के मुख्यालय गोविंदपुर जाने के लिए नदी पार करनी होती है। सिर्फ इंसान ही नहीं, दिनचर्या की सामग्री, दो पहिया वाहनों और मवेशियों को ले जाने के लिए भी चचरी वाली नाव का सहारा लेना पड़ता है। यहां के बुजुर्ग बताते हैं- साल बदलते हैं लेकिन समस्या नहीं। जो समस्या बचपन में थी, वो 77 साल बाद भी है। न तो पुल बने और न ही नाव चली। लिहाजा, ग्रामीणों को आज भी जुगाड़ का सहारा ले रहे हैं।

मैनपाट के 70 जवान भारत-तिब्बत बाॅर्डर पर तैनात

यह छत्तीसगढ़ में सरगुजा जिले का मैनपाट गांव। चीन द्वारा पैदा किए गए तनाव के बाद से यहां घरों में ऐसे झंडे लहरा रहे हैं, जिन पर लिखा है- ‘हमारे जवान सुरक्षित रहें, बाॅर्डर में तनाव खत्म हो और युद्ध के हालात बनते हैं तो भारत की जीत हो।’ ऐसा इसलिए- क्योंकि यहां के 70 जवान भारत-तिब्बत बॉर्डर पर तैनात हैं। चीन ने 1962 में जब तिब्बत पर कब्जा किया था, तो तिब्बतियों को भारत में शरण मिली थी। इस गांव में पूर्वी तिब्बत के 3 हजार लोगों को शरण मिली। तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा यहां दो बार आ चुके हैं। यहां तिब्बती कैंप और बौद्ध मंदिर भी हैं। 

रस्सी बांधकर लोगों और पशुओं को किया रेस्क्यू

फोटो ऐतिहासिक बंदरगाह मांडवी की है। यहां रविवार और सोमवार को 48 घंटे में 15 इंच बारिश होने से अतिवृष्टि जैसे हालात बन गए। पहली बारिश में नदी, तालाब सब लबालब हो गए। शहर के रुक्मावती में बाढ़ आ गई। निचले इलाके रामेश्वर में पानी भरने पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। रस्सी बांधकर लोगों और पशुओं को रेस्क्यू किया गया। 

कयाघाट के नजदीक एनीकट पर बहाव तेज फिर भी आ-जा रहे हैं लोग

फोटो छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले की है। शहर में सोमवार को जमकर बारिश हुई। सुबह से ही बादल छाए रहे। दिन भर बादल रुक-रुककर और रात 8 बजे के बाद झमाझम बारिश शुरू हुई। ऐसे में कयाघाट के नजदीक एनीकट पर बहाव तेज होने के बाद भी लोग आ-जा रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 घंटे हल्की बारिश का अनुमान है।

छत्तीसगढ़ के सबसे भव्य जलप्रपात में बढ़ा पानी 

नजारा छत्तीसगढ़ के इन्द्रावती नदी पर स्थित चित्रकोट जलप्रपात का है। इसकी ऊंचाई लगभग 90 फीट है। इस जलप्रपात की विशेषता यह है कि वर्षा के दिनों में यह मिट्‌टी का रंग लिए हुए होता है, तो गर्मियों में चांदनी रात में यह बिल्कुल सफेद दिखाई देता है। अभी मानसून के शुरू होते ही अब इस रंग बदलने लगा है और धीरे-धीरे यह मिट्‌टी के रंग की ओर बढ़ रहा है। यह जलप्रपात छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा, सबसे चौड़ा और सबसे ज्यादा जल की मात्रा प्रवाहित करने वाला जलप्रपात है। लेकिन अभी कोरोना से बचाव के लिए भीड़ बढ़ने के डर से यहां पर्यटकों के लिए गेट बंद रखे गए हैं। 

टनल की खूबसूरती में चार चांद लगाती हरियाली

दृश्य राजस्थान के बूंदी का है। पहाड़ों को छेदकर निकली टनल यूं तो आम दिनों में भी खूबसूरत लगती है, पर जब बारिश में पहाड़ हरियाली से लद जाते हैं तो टनल की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। बहुत जल्द बूंदी में भी मानसून का पदार्पण होनेवाला है, लगता है मानो बूंदी की धरा ने मानसून के ग्रेट वेलकम के लिए ग्रीन कारपेट बिछा दिया हो। महीनेभर से रुक-रुककर हो रही बारिश ने इस बार बूंदी को तपने ही नहीं दिया तो हरियाली भी बाग-बाग हो उठी। हैंगिंग ब्रिज कोटा का तो यह ट्विन टनल बूंदी का गौरव है। इन्हें देखने के लिए सैलानी आते हैं।

चौमासी बौछारों में बस दो दिन की ही दूरी

फोटो राजस्थान के जयपुर की है। यहां आसमान में सोमवार शाम बादलों का बड़ा झुंड आ जमा। ये मानसून के शीघ्र आगमन का संदेश लाया है। यानी- अब गर्मी की विदाई का वक्त आ गया है। चौमासी मानसून राजस्थान से 48 घंटे और जयपुर से अधिकतम 72 घंटे की दूरी पर है। माैसम विभाग के अनुसार 2013 के बाद पहली बार मानसून तय तारीख को आएगा। जयपुर में मानसून एंट्री की तय तिथि 29 जून है, जबकि इस बार इससे गुरुवार तक प्रवेश की पूरी संभावना बन रही है।

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