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सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी, केंद्र का प्रस्ताव- श्रद्धालुओं को शामिल किए बिना रथयात्रा निकाली जा सकती है

  • सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को कहा था- कोरोना के बीच यात्रा निकली तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे
  • पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद बोले- सदियों पुरानी परंपरा टूटी तो क्या भगवान माफ कर देंगे?

दैनिक भास्कर

Jun 22, 2020, 12:21 PM IST

भुवनेश्वर. जगन्नाथ पुरी में 23 जून को रथयात्रा निकलेगी या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। इस बीच केंद्र सरकार ने याचिका दायर कर कहा है कि श्रद्धालुओं को शामिल किए बिना यात्रा निकाली जा सकती है। सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि रथयात्रा करोड़ों लोगों की आस्था का मामला है। भगवान जगन्नाथ कल बाहर नहीं आ पाए तो फिर 12 साल तक नहीं निकल पाएंगे, क्योंकि रथयात्रा की यही परंपरा है।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि एक दिन का कर्फ्यू लगाकर यात्रा निकाली जा सकती है। ओडिशा सरकार ने भी इसका समर्थन किया है कि कुछ शर्तों के साथ आयोजन हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को ही यात्रा पर रोक लगा दी थी, लेकिन कोर्ट के फैसले के खिलाफ 6 रिव्यू पिटीशन आ गईं। इन पर सुनवाई हो रही है। याचिकाओं में अपील की गई है कि रथयात्रा को बदले रूप में निकालने की परमिशन देने पर विचार किया जाए। पुरी शहर को टोटल शटडाउन कर और जिले में बाहरी लोगों की एंट्री पर रोक लगाकर यात्रा निकालने का प्रस्ताव दिया है।

परंपरा तोड़ना ठीक नहीं: पुरी पीठ के शंकराचार्य 
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि इस मामले में दोबारा विचार करें। उन्होंने पुरी मठ से जारी अपने बयान में कहा- ‘किसी की यह भावना हो सकती है कि अगर इस संकट में रथयात्रा की परमिशन दी जाए तो भगवान जगन्नाथ कभी माफ नहीं करेंगे, लेकिन सदियों पुरानी परंपरा तोड़ी तो क्या भगवान माफ कर देंगे।’

कोर्ट ने कहा था- लोगों की हिफाजत के लिए यात्रा नहीं होनी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को रथयात्रा पर रोक के फैसले में कहा था कि कोरोना महामारी के समय यात्रा की परमिशन दी तो भगवान जगन्नाथ हमें कभी माफ नहीं करेंगे। कोर्ट ने कहा था कि जब महामारी फैली हो, तो ऐसी यात्रा की इजाजत नहीं दी जा सकती, जिसमें भारी भीड़ आती हो। लोगों की सेहत और उनकी हिफाजत के लिए इस साल यात्रा नहीं होनी चाहिए। चीफ जस्टिस की बेंच ने ओडिशा सरकार से कहा कि इस साल राज्य में कहीं भी रथ यात्रा से जुड़े जुलूस या कार्यक्रमों की इजाजत न दी जाए।

पिछली बार मुगलों ने यात्रा रोकी थी
रथयात्रा नहीं होती है तो 285 साल में दूसरी बार ऐसा होगा। पिछली बार मुगलों के दौर में यात्रा रोकी गई थी। इस बार रथयात्रा पर पहले से असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। इस बीच, भुवनेश्वर के एनजीओ ओडिशा विकास परिषद ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर कर कहा था कि रथयात्रा से कोरोना फैलने का खतरा रहेगा। अगर लोगों की सेहत को ध्यान में रखकर कोर्ट दीपावली पर पटाखे जलाने पर रोक लगा सकता है तो रथयात्रा पर रोक क्यों नहीं लगाई जा सकती?

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