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12 लाख 50 हजार वर्ग फुट में फैला है, संक्रमितों के लिए 10 हजार बेड; ये बायोडिग्रेडिबल गत्ते के बने हैं

  • यह कोविड सेंटर 300 एकड़ में फैले राधा स्वामी सत्संग व्यास के परिसर में बन रहा
  • 10 हजार मरीजों की देखभाल के लिए यहां 400 डॉक्टर और 800 नर्स मौजूद रहेंगी
राहुल कोटियाल

राहुल कोटियाल

Jun 22, 2020, 05:52 AM IST

नई दिल्ली. दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर इलाके में राधा स्वामी सत्संग व्यास का एक विशाल परिसर है। कुल तीन सौ एकड़ में फैले इस परिसर में अब दुनिया का सबसे बड़ा कोविड सेंटर तैयार किया जा रहा है। परिसर के अंदर 12 लाख 50 हजार वर्ग फुट में फैला एक शेड है, जिसमें कोरोना संक्रमितों के लिए दस हजार बेड लगाए जा रहे हैं।

इस शेड का इस्तेमाल सालों से सत्संग के लिए होता रहा है। इसके विशाल आकार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यहां तीन लाख लोग एक साथ बैठकर सत्संग सुन चुके हैं। राधा स्वामी सत्संग व्यास के सेवादार इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि यहां दस हजार मरीजों का इंतजाम आसानी से किया जा सकता है। 

करीब 22 फुटबॉल मैदानों से भी बड़े क्षेत्र में बन रहे इस कोविड सेंटर की कुछ विशेषताएं और भी हैं। इनमें मुख्य यह है कि यहां लगने वाले बेड असल में गत्ते के बने होंगे। ये बेड जल्दी तैयार किए जा सकते हैं, इनकी लागत काफी कम होगी और सबसे अहम है कि इन्हें सैनिटाइज करने की आवश्यकता नहीं है और ये पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल हैं। 

परिसर के अधिकारियों का कहना है कि जुलाई के पहले हफ्ते तक इस जगह को कोविड सेंटर के रूप में पूरी तरह तैयार कर लिया जाएगा। इसके बाद यहां दस हजार मरीज रुक सकते हैं, जिनकी देखभाल के लिए यहां 400 डॉक्टर और 800 नर्स मौजूद होंगी। 

कोविड सेंटर में लगने वाले बेड को सैनिटाइज करने की जरूरत भी नहीं होगी। ये पूरी तरह से बायोडिग्रेडिबल होंगे।

राधा स्वामी सत्संग व्यास के इस परिसर के सचिव विकास सेठी बताते हैं कि, ‘इस परिसर में पांच सौ से अधिक शौचालय, लगभग इतने ही यूरिनल और करीब पांच सौ ही पक्के स्नानघर हैं। जरूरत पड़ी तो नगर निगम द्वारा मोबाइल टॉयलेट की व्यवस्था भी की जाएगी।’ 

यहां लग रहे कुल दस हजार बेडों में से एक हजार ऐसे होंगे, जिनके साथ ऑक्सीजन सिलेंडर भी लगे होंगे। इसके साथ ही पैथोलॉजी लैब भी बनाई जाएंगी, जिससे कि मरीजों की जांच आसानी से हो सके। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि यह केंद्र अकेले ही करीब 20 ऐसे अस्पतालों का काम करेगा, जहां पांच सौ मरीजों की व्यवस्था होती है। 

विकास सेठी बताते हैं, ‘देश भर में और विशेष तौर से दिल्ली में जिस तेजी से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए हम लोगों ने ही प्रदेश के उपराज्यपाल को यह प्रस्ताव दिया है कि इस परिसर को कोरोना केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उसके बाद उन्होंने प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से बात की और फिर यहां तैयारी शुरू की गई।’ 

इस परिसर को कोविड केंद्र के रूप में बदलने के लिए राधा स्वामी सत्संग व्यास का कुल खर्च कितना होगा? इस सवाल के जवाब में विकास सेठी कहते हैं, ‘अभी कोई आंकड़ा देना तो बहुत मुश्किल है। लेकिन यह खर्च काफी होगा, क्योंकि सभी लोगों के लिए खाने की व्यवस्था हम लोग ही करेंगे।’

जिस सत्संग परिसर में ये कोविड सेंटर तैयार हो रहा है, वहां एक बार में तीन लाख लोग बैठकर सत्संग सुन चुके हैं।

सत्संग से जुड़े सेवादार बताते हैं कि तैयारियां पूरी होने के बाद मेडिकल स्टाफ के साथ ही नगर निगम यहां सैनिटाइजेशन का काम देखेगा, जबकि सुरक्षा की जिम्मेदारी अर्धसैनिक बलों को सौंपी जाएगी। तैयार होने के बाद यह केंद्र अकेले ही दिल्ली में कोरोना मरीजों के लिए उपलब्ध कुल बेडों की संख्या को लगभग दोगुना कर देगा। 

दिल्ली में हाल ही में आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर भी करीब 4000 मरीजों के लिए कोविड आइसोलेशन केंद्र तैयार किया गया है। हालांकि, छतरपुर का यह केंद्र इतना बड़ा है कि यहां दो बेड के बीच में पर्याप्त खाली जगह छोड़ी जा रही है। इसके साथ ही चारों तरफ हरे-भरे पेड़-पौधों से घिरे परिसर में गर्मी भी वैसी चुनौती नहीं होगी, जैसी रेलवे के डिब्बों में हो सकती है। सेंटर में पंखे के अलावा कूलर लगाने पर विचार किया जा रहा है। 

शेड से ढंके इस परिसर में पंखों की व्यवस्था भी की गई है, ताकि मरीजों को गर्मी से परेशान न होना पड़े।

दिल्ली में बीते चौबीस घंटों में कोरोना के 3630 नए मामले दर्ज हो चुके हैं। प्रदेश में कोरोना से संक्रमित कुल मरीजों की संख्या 56,746 हो चुकी है और मरने वालों की संख्या 2112 पहुंच गई है। राष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो बीते चौबीस घंटों में देश भर में 15, 413 नए मामले सामने आए हैं और 306 लोगों की मौत हुई है। देश में संक्रमितों की कुल संख्या 4 लाख 10 हजार से ज़्यादा हो चुकी है और कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा भी 13 हजार के पार पहुंच चुका है। 

इस सबके बीच छतरपुर का यह नया परिसर अपनी बेहतर दिखती व्यवस्थाओं के चलते थोड़ी राहत तो देता है। लेकिन, दूसरी तरफ दुनिया का यह सबसे बड़ा कोरोना केंद्र आने वाले समय की भयावह आशंकाओं की झलक भी देता है। सुविधाएं भले ही बेहतर हों, लेकिन वह नजारा परेशान करने वाला ही होगा, जब दस हजार मरीज एक ही छत के नीचे एक संक्रमण से जूझ रहे हों।

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