May 23, 2024 : 9:52 AM
Breaking News
राष्ट्रीय

हमारा देश बदला है हालात नहीं, धरती को बिछौना बनाकर और आसमान को ओढ़कर रोज सोते हैं : हम शरणार्थी हैं

  • सुनहरे सपने संजोकर पाकिस्तान छोड़कर भारत आए थे कि यहां कुछ कर लेंगे, बच्चों का भविष्य बन जाएगा

दैनिक भास्कर

Jun 20, 2020, 08:22 AM IST

नई दिल्ली. (तोषी शर्मा) पसीना छुड़ा देने वाली भीषण गर्मी से बचने के लिए यमुना खादर में सिग्नेचर ब्रिज के नीचे कई परिवार अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ बैठे हैं तो कुछ खुली जमीन पर लेटे हैं। इनके पास कोई दरी या गद्दा ना होकर धरती ही बिछौना है। इन परिवारों में कई दो साल पहले तो कुछ तीन साल पहले सुहाने सपने संजोकर पाकिस्तान के सिंध प्रांत स्थित जबरन धर्मांतरण के लिए कुख्यात घोटकी से अपने ऊपर होने वाले ज़ुल्मो-सितम से बचने के लिए हिंदुस्तान आए थे। ताकि यहां अच्छे से जीवन का गुजर-बसर कर सके।

लेकिन ये परिवार आज भी जंगल में बिना मूलभूत सुविधाओं के जानवरों जैसा जीवन जीने को मजबूर है। पाक विस्थापितों के परिवार ब्रिज से कुछ दूरी पर वन विभाग की जमीन पर जंगल में रहते हैं। जहां न बिजली, न पानी और न रहने के लिए तंबू है। इनके पास ना ही शरणार्थी कार्ड और ना आधार कार्ड है। ऐसे में इन परिवारों के युवा कहीं काम नहीं कर सकते हैं।

यहां तक कि इलाज भी नहीं करवा पाते हैं। ये गर्मी से बचने के लिए दिन में ब्रिज के नीचे समय बिताते हैं। और शाम को पांच बजे झुग्गियों में चले जाते हैं। ताकि अंधेरा होने से पहले खाना बना सके। पार्वती ने कहा हमारा देश बदला हालात नहीं।  हम शरणार्थी हैं सर धरती बिछौना और आसमान ओढ़कर रोज सो जाते हैं।
सोचा था भारत में अपनों का साथ मिलेगा, सब उम्मीदें टूट गई

यहां मिले गोपीराम ने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले परिवार के साथ इस उम्मीद के साथ पाकिस्तान छोड़ भारत आए थे। कि यहां कुछ कर लेंगे, बच्चों को अच्छी तालीम दिलाएंगे। लेकिन यहां आकर सारी उम्मीदें टूट गई। वहीं दयावंती ने कहा हम मेहनत-मजदूरी करने वाले लोग हैं। सरकार बस हमें रहने को जगह और बिजली-पानी दे दे। हम अपना जीवन गुजार लेंगे। यहां सांप बहुत है कई परिवारों में छोटे-छोटे बच्चे हैं। बारिश आती है तो बच्चों को लेकर ब्रिज के नीचे भागते हैं। मच्छरों से भी परेशान हैं। कंवरदास, पार्वती देवी, लक्ष्मी देवी और शाइबा ने कहा कि अगर किस्मत में होगा तो अच्छा होगा। नहीं तो जानवरों जैसा जीवन तो जी ही रहे हैं।

इन पांच परेशानियों से मिले मुक्ति
विस्थापित हिंदू संघर्ष समिति के प्रमुख धर्मवीर सोलंकी और समाज सेवी लालचंद ने बताया कि हम इन परिवारों को नागरिकता और मूलभूत सुविधाएं दिलाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और केजरीवाल सरकार को पत्र लिख कर निवेदन कर चुके हैं। यहां रह रहे ज्यादातर किसान परिवार है सरकार कहीं शहर से बाहर जमीन दे दें। ये अपना कमा खा लेंगे। दूसरा कोई एनजीओ इनके लिए बच्चों के सोने के लिए तख्त या चारपाई, रोशनी के लिए सोलर प्लेट, मच्छरदानी, और कोरोना खत्म होने तक राशन-पानी की मदद कर दें।

Related posts

केरल में एक साल तक पब्लिक प्लेस पर मास्क ना पहनने पर 10 हजार जुर्माना; एक दिन में 23 हजार से ज्यादा मरीज मिले; देश में 6.97 लाख केस

News Blast

केजरीवाल हो चुके हैं संवेदनहीन, दिल्ली सभी का, अस्पतालों में सभी का करे इलाज: गुप्ता

News Blast

ऑनलाइन पढ़िए धार्मिक ग्रंथ: दो साल में 335 धार्मिक ग्रंथों को किया डिजिटल; ऑनलाइन पढ़ने के साथ उच्चारण भी सुन सकते हैं

Admin

टिप्पणी दें