- कितना खर्चा- आप की हालत ठीक है तो एक दिन का 0 से 40 हजार, यदि आक्सीजन, वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी तो बढ़ेगा बिल
दैनिक भास्कर
Jun 03, 2020, 07:50 AM IST
नई दिल्ली. (आनंद पवार) राजधानी में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ते जा रहा है। हालत यह है कि सरकारी और निजी अस्पताल कोरोना मरीजों के लिए बेड उपलब्ध नहीं होने की जानकारी दे रहे है। इस समस्या के निदान के लिए सरकार ने अस्पतालों में बेड और वेंटिलेटर उपलब्ध होने की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध कराने ‘दिल्ली कोरोना’ एप लांच किया है। दिल्ली सरकार का दावा है कि एप पर सरकारी और निजी अस्पताल में बेड की उपलब्धता की लोगों को आसानी से जानकारी मिल जाएगी और उनको इधर उधर भटकना नहीं पड़ेगा।
इसके उलट सरकार के दावे की हकीकत कुछ और ही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के एप को लांच करने के डेढ़ घंटे बाद भास्कर ने एप में शामिल 7 अस्पतालों में फोन लगाकर बेड के संबंध में जानकारी मांगी। इसमें से 4 अस्पताल ने कोविड मरीजों को भर्ती नहीं करने की जानकारी दी। वहीं, तीन अस्पताल ने फोन दो से तीन बार अलग-अलग ब्रांच में ट्रांसफर करने के बाद बेड उपलब्ध नहीं होने से सबंधी जानकारी दी।
जिम्मेदार नहीं दे रहे जवाब
इस संबंध में बात करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की सचिव पद्मिनी सिंघला को फोन लगाया, उन्होंने फोन का कोई जवाब नहीं दिया। वहीं, स्पेशल सेक्रेटरी एसएम अली ने किसी भी सवाल का जवाब देने से मना कर दिया।
यह 4 अस्पताल बोले कोविड मरीज नहीं कर रहे भर्ती
दिल्ली सरकार के एप में शामिल आरजीसीआई एंड आरसी अस्पताल (100), श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट (50), पीएसआरआई (40), एक्शन कैंसर इंस्टीट्यूट (20) ने कोविड मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया। इन अस्पताल में सरकार ने 210 खाली बेड है। इन अस्पताल में श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट और एक्शन कैंसर इंस्टीट्यूट, आरजीसीआई एंड आरसी अस्पताल की तरफ से जानकारी दी गई कि हमारे यहां पर कोविड मरीज को भर्ती नहीं कर रहे। वहीं, पीएएसआरआई अस्पताल से जवाब मिला कि हमें अभी कोई सर्कुलर नहीं मिला है। इन अस्पताल से बातचीत की भास्कर के पास रिकॉर्डिंग मौजूद है।
यहां डेढ़ घंटे में ही हो गए बेड फूल
वहीं, आरएलकेसी मेट्रो हर्ट हॉस्पिटल (20 बेड ), आकाश हेल्थकेयर (40 बेड), जयपुर गोल्डन अस्पताल ( 48)में बेड फूल होने की जानकारी दी गई। हालांकि इन अस्पतालों से पहले मरीज की हालत और पैनल में होने के सवाल भी पूछे गए। फिर बताया गया कि अस्पताल में मरीज की वेटिंग है।
क्या है गणित
एक जानकार ने बताया कि अस्पताल गंभीर और बिना पैनल वाले मरीजों को भर्ती करने में प्राथमिकता दे रहे हैं। इसका कारण हल्के लक्षण वाले मरीज को रखने की जगह गंभीर मरीज को रखने से एक दिन में डेढ़ से दोगुना चार्जेस बिल में जोड़ना है। वहीं, पैनल की योजना में अस्पतालों को घाटा है। ऐसे में कुछ अस्पताल पैनल की जगह बिना पैनल वाले मरीजों को भर्ती कर रहे है। वहीं, कुछ जगह तो उनको पैनल की सुविधा ना लेने के लिए लिखित में देने को भी कहां जा रहा है।
दिन में खर्चा करीब 30 से 35 हजार
निजी अस्पताल में कोविड-19 के हल्के लक्षण वाले मरीज को आइसोलेशन बेड में रखने के लिए करीब 30 से 35 हजार रुपए का खर्चा बताया जा रहा है। इसमें रूम चार्जेस, पीपीई किट समेत अन्य कज्यूमेंबल की कॉस्ट, डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टॉफ के चार्जेस, दवा और जांच शामिल है। वहीं, यदि मरीज गंभीर हो गया है। उसे ऑक्सीजन, वेंटिलेटर या अन्य कोई सुविधा उपलब्ध कराई गई तो चार्जेस बढ़ जाएंगे। यह चार्जेस भी अलग-अलग अस्पताल में अलग-अलग है।
हमेंं बताया-10 जून के बाद सुविधा मिलेगी
केंद्र सरकार में सेवारत किरण दिल्ली के आरकेपुरम में परिवार के साथ रहती है। वह कोरोना संक्रमित हो गई है। उन्होंने बताया कि उन्होंने दिल्ली कोरोना एप लांच होने के बाद चाणक्यपुरी के प्राइमस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में फोन लगाया। जहां एप में 24 बेड उपलब्ध होने की जानकारी दी जा रही थी। अस्पताल से जवाब मिला कि बेड उपलब्ध नहीं है। फिर मेडियोर अस्पताल में फोन किया, जहां से जवाब मिला कि हमारे यहां पर बेड उपलब्ध है। लेकिन इलाज की सुविधा 10 जून के बाद शुरू होगी।
हद तो यह है कि जब किरण ने मूलचंद अस्पताल में एडमिशन के लिए बात कि तो पहले तो उनसे 1200 रुपए फीस लेकर ऑनलाइन डॉक्टर से बातचीत कराने को कहा। किरण के परिचित सुरेन्द्र ने बताया कि अस्पताल ने उनको कहा कि इलाज के लिए भर्ती कर लेंगे। लेकिन सीजीएचएस रेट पर इलाज नहीं करेंगे। उन्होंने इलाज का पूरे खर्च का भुगतान अस्पताल रेट के अनुसार करने की बात कहीं।