दैनिक भास्कर
Feb 23, 2020, 12:58 PM IST
लाइफस्टाइल डेस्क. मौसम में बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। मौसम बदलने से सर्दी-खांसी के अलावा सबसे ज्यादा दिक्कत पाचन तंत्र की होती है, जिससे पेट संबंधी कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। पाचन तंत्र में कई तरह के अच्छे बैक्टीरिया काम करते हैं, जो एक-दूसरे के साथ मिलकर संतुलन बनाए रखते हैं। जब तक यह संतुलन बना रहता है, तब तक पाचन तंत्र भी अच्छी तरह से काम करता है। लेकिन इसमें असंतुलन होते ही पेट खराब हो जाता है। मौसम में परिवर्तन होने पर इन बैक्टीरिया का भी संतुलन बिगड़ जाता है। मौसम के अलावा भी बैक्टीरिया के संतुलन को बिगाड़ने में कई कारक जिम्मेदार होते हैं। कुछ प्रमुख इस तरह हैं :
प्रसंस्करित खाद्य सामग्री
प्रसंस्करित खाद्य सामग्री यानी डिब्बाबंद भोजन को सुरक्षित रखने के लिए कई तरह के प्रीजर्वेटिव्स और एडिटिव्स इस्तेमाल किए जाते हैं जो पाचन तंत्र के बैक्टीरिया को विचलित कर देते हैं। इससे पेट खराब हो जाता है। इसलिए इस तरह के खाने को यथासंभव नजरअंदाज करें।
दूध का ज्यादा सेवन
इससे भी पेट में उपस्थित बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है। इसकी वजह यह है कि पेट में दूध अम्ल (एसिड) उत्पन्न करता है। इसलिए एक सीमा से ज्यादा दूध पीने पर पेट में एसिड की मात्रा बढ़ जाती है जो अपच के रूप में सामने आ सकती है।
एंटीबायोटिक का ओवरडोज
ज्यादा और डॉक्टर की सलाह के बगैर एंटीबायोटिक दवाएं खाने से ये पेट में मौजूद गुड बैक्टीरिया को भी नुकसान पहुंचाने लगती है। इससे पाचन तंत्र अस्त-व्यस्त हो जाता है। यह कई बार पेट दर्द और दस्त की समस्या के रूप में भी सामने आती है।
अपने रोज की डाइट में शामिल करें ये चीजें
ये प्री-बायोटिक के अच्छे स्रोत होते हैं जो गुड बैक्टीरिया के पोषण में मदद करते हैं। इसके अलावा इनमें लैक्सेटिव (चिकनापन) का गुण भी होता है जो पेट में कब्जियत नहीं होने देता और पाचन दुरुस्त रखता है।
किचन के सबसे सामान्य मसालों में शामिल लहसुन भी प्री-बायोटिक का अच्छा स्रोत होता है। इसमें ऐसे फाइबर्स भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो गुड बैक्टीरिया के लिए पोषण का काम करते हैं और इस तरह हमारे पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखते हैं।
इसमें ऐसे एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं जो हमारे पाचन तंत्र को मजबूत बनाए रखने में मददगार होते हैं। यह शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को भी दूर करता है यानी डीटॉक्सीफिकेशन प्रोसेस में मदद करता है और इस तरह हमारी पाचन प्रणाली को हानिकारक बैक्टीरिया से मुक्त रखता है।
यह विटामिन ए, सी और विटामिन ई का अच्छा स्रोत होती है जो पाचन तंत्र में कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम की पर्याप्त आपूर्ति करने में मदद करती है। इससे यह गैस और पेट में मरोड़ जैसी पाचन तंत्र संबंधी समस्याओं को दूर करती है।
इनमें ऐसे कई तरह के अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो हमारी रोग-प्रतिरोधक प्रणाली को दुरुस्त रखते हैं। इनमें लैक्टिक एसिड भी होता है जो पोषक पदार्थों को अवशोषित करने और हमारे पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करता है।
इसमें ऐसे फाइबर्स होते हैं जो पेट में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया के पोषण में मददगार होते हैं और इस तरह पाचन तंत्र को दुरस्त रखते हैं। केला पोटैशियम-मैग्नेशियम का अच्छा स्रोत होने की वजह से पेट फूलने की समस्या को भी दूर रखता है।
इसमें एक्टीनिडिन नामक एंजाइम होता है जो प्रोटीन के पाचन में काफी मददगार होता है। यह फाइबर्स का भी अच्छा स्रोत होता है। पपीते के अलावा किवी और पाइनेपल में भी एक्टीनिडिन एंजाइम भरपूर मात्रा में होते हैं।