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- Aaj Ka Jeevan Mantra By Pandit Vijayshankar Mehta, Motivational Story About Life, Suicide Is A Step Like Abusing Life, Living Life Is An Act Of Virtuous Work
39 मिनट पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता
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कहानी – महर्षि रमण अपने आश्रम में अधिकतर काम खुद ही करते थे। वे काम करते-करते शिष्यों को गहरे संदेश भी दे देते थे। उनके आश्रम के पास ही एक अध्यापक रहता था।
पढ़ने-पढ़ाने वाले अध्यापक के घर में हमेशा कलह होता था। पति-पत्नी के झगड़े इतने बढ़ गए कि उस शिक्षक ने आत्महत्या करने का विचार किया और घर से निकल पड़ा। उसके मन में कई विचार चल रहे थे, उनमें से एक विचार ये था कि क्यों न मरने से पहले एक बार महर्षि रमण से मिल लिया जाए, इसके बाद तो मरना ही है।
शिक्षक महर्षि रमण के पास पहुंच गया। महर्षि उस समय दोने-पत्तल बना रहे थे। आश्रम में भोजन के लिए दोने-पत्तल का ही उपयोग किया जाता था। चूंकि वह व्यक्ति शिक्षक था तो उसे जिज्ञासा हुई और उसने महर्षि जी से प्रश्न पूछा, ‘आप ये दोने-पत्तल इतनी मेहनत और एकाग्रता के साथ बना रहे हैं और लोग इसमें भोजन करेंगे, फिर इन्हें फेंक देंगे। क्या फायदा ऐसी मेहनत से?’
महर्षि बोले, ‘ये बिल्कुल सही है कि हम इन्हें मेहनत से बना रहे हैं, ये भी सही है कि इनका उपयोग करने के बाद लोग इसे फेंक देंगे, लेकिन कम से कम इनका उपयोग करने के बाद फेंकेंगे। कुछ लोग तो बिना उपयोग किए या चीजों का दुरुपयोग करके वस्तु फेंक देते हैं। वो तो और गलत है।’
रमण जानते थे कि यह व्यक्ति तनाव में है। दुखी शिक्षक ने रमण के उत्तर से तुरंत संदेश समझ लिया कि आत्महत्या करना जीवन का दुरुपयोग करने जैसा है।
सीख – हमें मनुष्य का जीवन मिला है तो इसका सही उपयोग करें। इसे ऐसे ही मृत्यु में नहीं फेंकना चाहिए। आत्महत्या करना पाप है और जीवन जीना पुण्य का काम है।