- 2019 में भारत ने चीन से करीब 75 अरब डॉलर के सामान का आयात किया
- इस दौरान भारत ने चीन को सिर्फ करीब 18 अरब डॉलर के माल का निर्यात किया
दैनिक भास्कर
Jun 18, 2020, 08:00 AM IST
नई दिल्ली. भारत व्यापारिक रिश्ता खत्म कर चीन को करीब 75 अरब डॉलर की चोट पहुंचा सकता है। इसके लिए भारत को सिर्फ करीब 18 अरब डॉलर का नुकसान सहन करना पड़ेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन के साथ व्यापारिक संबंध बनाए रखने में भारत को भारी-भरकम व्यापार घाटा होता है। वर्ष 2019 में भारत ने चीन से करीब 75 अरब डॉलर के सामान का आयात किया। जबकि इस दौरान चीन को भारत ने सिर्फ करीब 18 अरब डॉलर के सामान का निर्यात किया। इस दौरान भारत को 56.77 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ। यदि इस व्यापारि रिश्ते को खत्म कर दिया जाए, तो भारत इस घाटे से बच भी सकता है और चीन की अर्थव्यवस्था को घुटने के बल झुका भी सकता है। इसके लिए हालांकि सरकार को कुछ जरूरी होम वर्क पहले कर लेना होगा।
भारत चीन को जितना माल बेचता है, उसके मुकाबले चार गुना उससे खरीदता है
चीन के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2019 में भारत और चीन का आपसी व्यापार 92.68 अरब डॉलर का रहा। इसमें भारत का व्यापार घाटा 56.77 अरब डॉलर का रहा। 2018 में दोनों देशों का आपसी व्यापार 95.7 अरब डॉलर का था। इसमें भारत का व्यापार घाटा 58.04 अरब डॉलर का था। इसका मतलब है कि भारत चीन को जितना निर्यात करता है, उसके मुकाबले 4 गुना आयात करता है।
चीन से होने वाले तीन सबसे बड़े आयात
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय एक्सपोर्ट एंड इंपोर्ट डाटा बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 2018-19 में चीन से होने वाले तीन सबसे बड़े आयात इस प्रकार हैं :
इलेक्ट्र्रिक उपकरण : 20.63 अरब डॉलर
परमाणु रिएक्टर : 13.4 अरब डॉलर
रसायन : 8.6 अरब डॉलर
भारत से चीन को होने वाले तीन सबसे बड़े निर्यात
कारोबारी साल 2018-19 में भारत से चीन को होने वाले तीन सबसे बड़े निर्यात इस प्रकार हैं :
ऑर्गनिक रसायन : 3.25 अरब डॉलर
खनिज ईंधन : 2.86 अरब डॉलर
कपास : 1.79 अरब डॉलर
तुरंत व्यापार बंद करना कठिन लेकिन लंबी अवधि के कदम उठा सकती है सरकार
एक जानकार के मुताबिक चीन से आयात होने वाले इंटरमीडिएट उत्पादों और कंपोनेंट्स के एक बड़े हिस्से का उपयोग भारत की निर्यात इकाइयां अपने अंतिम माल बनाने के लिए करती हैं। इसलिए बिना पूरी तैयारी किए यदि चीन से आयात घटाया जाएगा, तो इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता और निर्यात पर बुरा असर पड़ सकता है। हालांकि इस दिशा में सरकार लंबी अवधि को ध्यान में रखते हुए कदम उठा सकती है।
अपनी जरूरतों के लिए चीन पर कितना निर्भर है भारत
सेक्टर | चीन के ऊपर निर्भरता |
सोलर पैनल | एनर्जी सेक्टर में 75% सोलर पैनल चीन से आयात होते हैं। |
फार्मा बल्क ड्रग्स | भारत फार्मा ड्रग इंग्रीडिएंट्स का 69% चीन से आयात करता है। |
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स | पूरे तरह से बने हुए 45% कंज्यूमर ड्यूरेबल चीन से आयात होते हैं। इसके अलावा 67% कंपोनेंट चीन से आते हैं। |
कृषि संबंधित | पेस्टीसाइड के 50% टेक्निकल इनपुट चीन से आते हैं। 10% यूरिया का आयात चीन से होता है। |
प्लास्टिक | 44% चीन से आयात होता है। |
लेदर | चीन से भारत से 38% आयात करता है। |
सेरामिक्स | 37% आयात चीन से होता है। |
जेम्स एंड ज्वैलरी | डायमंड का 36% हिस्सा चीन को निर्यात होता है। |
पेट्रोकेमिकल्स | पेट्रोकेमिकल्स का 34% हिस्सा चीन को निर्यात होता है। |
ऑटो कंपोनेंट | ऑटो कंपोनेंट का 18% और 30% टायर चीन से आते हैं। |
कॉटन यार्न | कॉटन यार्न का 27% चीन को निर्यात होता है। |
सीफूड | भारत के सीफूड निर्यात में चीन की हिस्सेदारी 22% है। |
पेपर | आयातित पेपर में चीन की हिस्सेदारी 17% है। |
स्टील | भारत चीन से 17% चीन से आयात करता है। |
एल्युमीनियम | भारत प्राइमरी एल्युमीनियम का 1% चीन को निर्यात करता है। आयात कुल वैल्यू का 2% से कम है। |
रेडीमेड गारमेंट्स | 1% हिस्सा चीन को निर्यात होता है। |
सोर्स: क्रिसिल