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हनुमानजी और परशुरामजी सहित बताए गए हैं अष्ट चिरंजीवी, इनके नामों का जाप करना चाहिए

  • 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया, इस दिन करें भगवान विष्णु की विशेष पूजा

दैनिक भास्कर

Apr 24, 2020, 07:40 PM IST

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर भगवान विष्णु के अवतार परशुराम का जन्म हुआ था। इस साल ये तिथि रविवार, 26 अप्रैल को है। इस दिन भगवान विष्णु और उनके अवतारों की विशेष पूजा करनी चाहिए। परशुराम अष्टचिरंजीवियों में से एक हैं। शास्त्रों में 8 चिरंजीव बताए गए हैं।

ये है अष्टचिरंजीवियों से संबंधित प्रचलित श्लोक

अश्वत्थामा बलिव्यासो हनूमांश्च विभीषण:। कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥

सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्। जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।

श्लोक का सरल अर्थ- अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि, इन आठ को रोज सुबह जाप करना चाहिए। इनके जाप से भक्त को निरोगी शरीर और लंबी आयु मिलती है।

अश्वत्थामा: गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र अश्वथामा भी चिरंजीवी है। शास्त्रों में अश्वत्थामा को भी अमर बताया गया है। 

राजा बलि: भक्त प्रहलाद के वंशज हैं राजा बलि। भगवान वामन को अपना सबकुछ दान कर महादानी के रूप में प्रसिद्ध हुए। इनकी दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने इनका द्वारपाल बनना स्वीकार किया था।

हनुमान: त्रेता युग में श्रीराम के परम भक्त हनुमानजी को माता सीता ने अजर-अमर होने का वरदान दिया था। इसी वजह से हनुमानजी भी चिरंजीवी माने हैं।

ऋषि मार्कंडेय: भगवान शिव के परम भक्त हैं। ऋषि मार्कंडेय अल्पायु थे, लेकिन उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र सिद्ध किया और वे चिरंजीवी बन गए।

वेद व्यास: वेद व्यास चारों वेदों ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद का संपादन और 18 पुराणों के रचनाकार हैं।  

परशुराम: भगवान विष्णु के दशावतारों में एक हैं परशुराम। परशुराम में पृथ्वी से 21 बार अधर्मी क्षत्रियों का अंत किया गया था। 

विभीषण: रावण के छोटे भाई और श्रीराम के भक्त विभीषण भी चिरंजीवी हैं।

कृपाचार्य: महाभारत काल में युद्ध नीति में कुशल होने के साथ ही परम तपस्वी ऋषि है। कृपाचार्य कौरवों और पांडवों के गुरु है।

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