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पाकिस्तान ने कहा- चिनाब में पानी अचानक से काफी कम हुआ है, भारत ने आरोपों को आधारहीन बताया

  • इंडर कमीशन के पाकिस्तानी कमिश्नर ने भारत के कमिश्नर को पत्र लिखकर जांच की मांग की थी 
  • भारतीय कमिश्नर प्रदीप सक्सेना ने कहा- हमारे यहां सब ठीक, अपने यहां जांच कराइये

दैनिक भास्कर

May 09, 2020, 02:36 PM IST

नई दिल्ली. पाकिस्तान ने भारत पर नया आरोप लगाया है। उसने कहा है कि चिनाब नदी में पानी का प्रवाह बहुत कम हो गया है। भारत ने पाकिस्तान के इन आरोपों को आधारहीन बताया है।

इंडस वाटर ट्रीटी के लिए नियुक्त पाकिस्तानी कमिश्नर सैयद मोहम्मद मेहर अली शाह ने बुधवार को भारतीय कमिश्नर प्रदीप कुमार सक्सेना को लेटर भेजा था। उन्होंने लिखा था कि चिनाब पर बने माराला हेडवर्क्स में पानी का प्रवाह 31,853 क्यूसेक से अचानक घटकर 18,700 क्यूसेक रह गया है। उन्होंने स्थिति को देखने और बताने की भी मांग की थी।
सक्सेना ने पाकिस्तान के दावे को एक अधारहीन कहानी बताया है। उन्होंने पीटीआई से बातचीत में बताया कि चिनाब और तवी नदियों पर अखनूर और सिधरा में बने गेज पर बहाव सामान्य है। हमें जांच के दौरान कुछ नहीं मिला है। उन्होंने पाकिस्तान को सलाह दी है कि वह खुद अपने यहां मामले की जांच करे। 

इंडस कमीशन को जानिए
इंडस वाटर ट्रीटी (सिंधु जल संधि) के तहत बने परमानेंट इंडस कमीशन पर 1960 में भारत और पाकिस्तान ने हस्ताक्षर किए गए थे। इस कमीशन के तहत दोनों देशों में कमिश्नर नियुक्त किए गए थे। वे सरकारों के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं। इस ट्रीटी के चलते दोनों देशों के कमिश्नरों को साल में एक बार मिलना होता है। उनकी बैठक एक साल भारत और एक साल पाकिस्तान में होती है।

दोनों देशों में इस तरह पानी का बटवारा है
इस ट्रीटी में कहा गया है कि पूर्व की तीन नदियों रावी, ब्यास और सतलज का पानी भारत को विशेष रूप से बांटा गया है। इन नदियों के कुल 16.8 करोड़ एकड़-फीट में भारत का हिस्सा 3.3 करोड़ एकड़-फीट है, जो लगभग 20 प्रतिशत है। वहीं, पश्चिम की नदियां सिंधु (इंडस), चिनाब और झेलम का पानी पाकिस्तान को दिया गया है। हालांकि, भारत को अधिकार है कि वह इन नदियों के पानी को कृषि, घरेलू काम में इस्तेमाल कर सकता है। इसके साथ ही भारत निश्चित मापदंडों के भीतर हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर प्रोजेक्ट भी बना सकता है। 

31 मार्च को होती है दोनों देशों की बैठक
इंडस वॉटर ट्रीटी के अनुसार हर साल 31 मार्च को दोनों देशों के कमिश्नरों की बैठक होती है। हालांकि, कोरोनावायरस के प्रकोप को देखते हुए इस साल इस बैठक को टाल दिया गया था। 

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