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90 फीसदी फैक्ट्रियां शुरू, लेकिन सप्लाई न होने से कम हो रहा उत्पादन

दैनिक भास्कर

Jun 16, 2020, 08:54 AM IST

दमोह. उद्योगों में काम करने वाले अनुभव व कुशल श्रमिक लॉक डाउन की वजह से अपने घर लौट गए थे, जो आवागमन के साधन बंद होने की वजह से दोबारा काम पर वापस नहीं आ पा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बाजार में भी माल का उठाव नहीं हो पा रहा है। शहर से 5 किमी दूर मारूताल औद्योगिक नगरी में दो माह तक सन्नाटा छाने के बाद अब उद्योग धंधे शुरू हो चुके हैं। यहां भी मांग कम होने की वजह से कम उत्पादन हो रहा है। ऐसे में उद्योगों को पटरी पर आने में अभी समय लगेगा।  
दो माह के लॉक डाउन की अवधि में अधिकांश उद्योगों की कमर टूट चुकी है। वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या बाजार में सेलिंग को लेकर है। फैक्ट्रियां जितना माल बना रहीं हैं, लेकिन उनकी डिमांड पहले से आधी से भी कम रह गई है। जिसका कारण यह है कि अभी माल का उठाव केवल लोकल स्तर पर ही हो रहा है। माल बाहर जाना पूर्णत: बंद है। ऐसे में कई फैक्ट्री ने अपना उत्पादन भी सीमित कर रखा है। वर्तमान में 90 फीसदी उद्योग तो पूर्ण तरह से काम करने लगे हैं, वहीं 10 फीसदी ऐसे हैं, जो केवल अभी मशीनरी का मेंटनेंस ही कर रहे हैं। 

भास्कर ने लिया जायजा : मारूताल स्थित उद्योग नगरी में 20 उद्योग हैं संचालित
गौरतलब है कि जिले में लगभग 140 लघु उद्योग संचालित हो रहे हैं, जिनमें से वर्तमान में ग्रामीण अंचलों में संचालित दो दर्जन उद्योग ही चल रहे हैं। मारूताल स्थित उद्योग नगरी में 20 उद्योग संचालित हैं, जिनमें से वर्तमान में केवल प्लास्टिक पाऊच, प्लास्टिक दाना से रस्सी निर्माण, पॉलीथिन बैग, आटा मील, राइस मील, दाल मिल, फेब्रीकेशन, प्लास्टिक शीट, डिस्पोजल, सीमेंट की जालियां लगाने की फैक्ट्री है। भास्कर ने मारूताल उद्योगिक नगरी का जायजा लिया। जहां पर फैक्ट्रियां शुरू हो गई हैं, लेकिन उन्हें कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। दूसरी ओर लॉक डाउन में बंद होने के बावजूद भी इन फैक्ट्रियों में हर माह 40 से 50 हजार रूपए बिजली का बिल आ रहा है। सरकार ने फिक्स बिल में छूट देने की घोषणा की थी, लेकिन वह भी कम नहीं हुई। ऐसे में उद्योगों को दोबारा पटरी पर आने में कई तरह की समस्याएं बनी हुई है। उद्योगपतियों का कहना है कि अभी तक सरकार से कोई बड़ी राहत नहीं मिल पाई है।

लॉकडाउन की अवधि में सभी उद्योगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, अब धीरे-धीरे सभी लघु उद्योग पटरी पर आ रहे हैं। वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या माल उठाव की है। हालांकि यह समस्या  धीरे-धीरे कम हो जाएगी। बिजली कंपनी ने बिल में अभी तक फिक्स रेट नहीं घटाया है। सरकार से कोई रियायत नहीं मिली है। – अंजू खत्री, लघु उद्योग भारती जिला संयोजक

जिले के अधिकांश लघु उद्योग शासन की गाइड लाइन अनुसार खुल चुके हैं। उत्पादन भी बढ़ने लगा है। जो भी समस्याएं हैं, उनका निराकरण किया जाता है। 
–  मनोज जैन, महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र

उद्योगपति बोले -लॉकडाउन में बंद रहीं फैक्ट्री, लेकिन सरकार ने नहीं दी कोई रियायत

अभी 20 फीसदी काम ही चालू: प्लास्टिक के दाना से नाइलोन की रस्सी बनाने वाली फैक्ट्री के संचालक सौरव राय का कहना है कि लॉक डाउन की वजह से काम हमारे यहां काम करने वाले यूपी, बिहार के सभी कुशल मजदूर अपने घर लौट गए हैं जो आवागमन के साधन बंद होने से अभी तक नहीं आए हैं। दूसरी ओर अभी बाजार से भी कोई डिमांड नहीं आ रही है। ऐसे में फैक्ट्री तो चालू है लेकिन महज 20 फीसदी काम ही हो पा रहा है। उद्योगों को दोबारा पटरी पर आने में भी तीन से चार माह का समय और लग सकता है। 
 एक माह फिक्स चार्ज घटाया, दूसरे माह जोड़कर दे दिया: प्लास्टिक पाउच बनाने वाली फैक्ट्री के संचालक प्रशांत अरोरा का कहना है कि फैक्ट्री का काम रूटीन पर तो आ गया है, लेकिन माल लोकल स्तर पर ही सप्लाई हो रहा है। अभी बाहर बिल्कुल भी माल नहीं जा रहा है। जिससे फैक्ट्री में आधा उत्पादन हो रहा है। सरकार से कोई रियायत नहीं मिली है। बिल में एक माह फिक्स रेट घटाकर आया था, लेकिन दूसरे माह उसे भी जोड़कर दे दिया गया है, जबकि लॉक डाउन में फैक्ट्री बंद थीं।
बाजार में नहीं हो रहा माल का उठाव, उत्पादन बंद: ऑटा मील की संचालक सीमा जाट ने बताया कि पहले लॉक डाउन में कच्चे माल की समस्या हुई, जैसे-तैसे बाजार खुला तो अब माल उठाव की समस्या हो रही है। बाजार में सेलिंग नहीं हाे रही। जिससे मजबूरी में उत्पादन बंद कर दिया है। उन्होंने बताया कि लॉक डाउन की वजह से स्थिति इतनी खराब हो गई है कि बिजली का बिल भी नहीं भर पा रहे हैं। क्योंकि सरकार ने अब तक फिक्स रेट भी नहीं घटाया है। 

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