May 15, 2024 : 5:55 PM
Breaking News
लाइफस्टाइल

एकादशी तिथि 16 को लेकिन व्रत 17 जून को किया जाएगा, इस दिन नहीं खाना चाहिए चावल और तामसिक चीजें

  • स्कंद पुराण के अनुसार इस एकादशी व्रत को करने से खत्म हो जाते हैं हर तरह के पाप

दैनिक भास्कर

Jun 15, 2020, 07:59 PM IST

हिंदू कैलेंडर के अनुसार 17 जून को योगिनी एकादशी व्रत किया जाएगा। क्योंकि धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार इस दिन एकादशी और द्वादशी तिथि साथ है। स्कंद पुराण के अनुसार इस एकादशी व्रत को करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। एकादशी के दिन हो सके तो उपवास करें। उपवास में अन्न नहीं खाया जाता है। उपवास नहीं कर सकते तो एक समय फलाहार किया जा सकता है। इस एकादशी व्रत से बीमारियां भी दूर होती हैं।

योगिनी एकादशी व्रत और पूजा की विधि

  1. एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहाएं।
  2. फिर दिनभर व्रत और श्रद्धा अनुसार दान का संकल्प लें।
  3. इसके बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें।
  4. भगवान विष्णु को पंचामृत से नहलाएं।
  5. भगवान को स्नान करवाने के बाद उस चरणामृत को व्रत करने वाला पिए और परिवार के सभी सदस्यों को भी प्रसाद के रूप में दें। माना जाता है कि इससे शारीरिक परेशानियां दूर हो जाती हैं।
  6. फिर भगवान को गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं और कथा सुनें।

चावल और तामसिक चीजें खाने से बचें

  1. एकादशी तिथि पर चावल और तामसिक चीजें खाने से बचें। धर्म ग्रंथों में लहसुन,प्याज और मांसाहार को तामसिक कहा गया है।
  2. किसी भी तरह का नशा न करें। पूरे दिन नियम और संयम से रहें।
  3. इस दिन शारीरिक और मानसिक तौर से हिंसा न हो इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
  4. किसी की बुराई न करें। हो सके तो रात में जागरण करते हुए भजन और कीर्तन करें।
  5. धर्म ग्रंथों के अनुसार एकादशी को जुआ खेलना, सोना, पान खाना, दूसरों की बुराई, चुगली, चोरी, हिंसा, संभोग, गुस्सा और झूठ बोलना। इन सब बातों से बचें।

योगिनी एकादशी व्रत की कथा 

  • स्वर्ग की अलकापुरी नगरी में राजा कुबेर रहता था। वो रोज भगवान शिव की पूजा करता था और हेम नाम का एक माली पूजा के लिए फूल लाता था। जिसकी पत्नी का नाम विशालाक्षी था। एक दिन वह मानसरोवर से फूल तो ले आया, लेकिन खुद के मन पर काबू नहीं रख पाया और अपनी पत्नी के साथ समय बीताने लगा।
  • पूजा में देरी होने के कारण कुबेर ने माली को श्राप दिया कि तू पत्नी से दूर रहेगा और पृथ्वी पर जाकर कोढ़ी बनेगा। कुबेर के श्राप से हेम माली पृथ्वी पर गिर गया और उसे कोढ़ हो गया। उसकी पत्नी भी उसके पास नहीं थी। वो बहुत समय तक दुखी रहा। एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंचा। उसे देखकर ऋषि बोले तुमने ऐसा कौन सा पाप किया है, जिसके तुम्हारी ये हालत हो गई। हेम माली ने पूरी बात उन्हें बता दी। उसकी परेशानी सुनकर ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। हेम माली ने विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से वह अपने पुराने स्वरूप में आकर अपनी स्त्री के साथ सुखपूर्वक रहने लगा।

Related posts

12 हजार का फोन रखते हैं योगी, रिवाल्वर और राइफल के हैं मालिक, नहीं है कोई जमीन, मकान और गाड़ी

News Blast

फोटो में 90 साल पहले चला आत्मनिर्भर कैम्पेन, पहली फ्लाइट के टेक ऑफ होने और देश में टीवी आने के जश्न की अनदेखी तस्वीर

News Blast

MP का Video: लड़की ने डॉक्टर को मारा झन्नाटेदार थप्पड़, फिर टूट पड़े लोग, आप भी देखें

News Blast

टिप्पणी दें