- विशेषज्ञाें ने कहा- महामारी में इनबाॅक्स, फाेन आदि पर हमले के आसार बढ़ जाते हैं
- जानें खुद काे स्कैम और हैकिंग से किन तरीकाें से सुरक्षित रहा जा सकता है
ब्रायन एक्स. चेन
May 19, 2020, 06:05 AM IST
न्यूयॉर्क. कोरोनावायरस में बढ़ी अनिश्चितता ऑनलाइन जालसाजी करने वालों के लिए बड़ा माैका लेकर आई है। बेरोजगार सरकार से मदद की आस लगाए हैं। काेई बैंक या सरकारी अधिकारी बनकर फाेन करता है या ई-मेल भेजता है ताे उसे नजरअंदाज करना मुश्किल हाे जाता है। आइए जानें खुद काे स्कैम और हैकिंग से किन तरीकाें से सुरक्षित रहा जा सकता है:
फर्जी वेबसाइट्स से महारथी भी धोखा खा जाते हैं
- यूआरएल चेक करें: फर्जी वेबसाइट सरकारी या बैंक की वेबसाइट की ही तरह नजर आती है। डाेमेन नेम से फर्जीवाड़ा उजागर हाे सकता है। इसके लिए एड्रेस बार पर देखें कि यह .com या .org या gov.in है या नहीं।
- एड ब्लाॅकर इंस्टाॅल करें : निजी जानकारी जुटाने वाले विज्ञापनाें से बचने के लिए एड ब्लाॅकर इंस्टाॅल करें।
स्कैम कॉल से ऐसे बचें
- फाेन रख दें, दाेबारा काॅल करें : काॅलर पर संदेह हाे ताे काॅल काटकर कस्टमर सर्विस पर फाेन करके तस्दीक करें।
- काॅन्टेक्ट लिस्ट : ठग किसी बैंक के नंबर से स्पूफ काॅल करे ताे आप समझ नहीं पाएंगे। इसलिए काॅन्टेक्ट लिस्ट से ऐसे नंबर हटा दें।
ई-मेल और टेक्स्ट मैसेज
- चेक भेजने वाले को जांचें: असली और फर्जी ई-मेल एड्रेस में एक-दाे कैरेक्टर का अंतर हाेता है। इसी तरह स्कैम टैक्स्ट के फाेन नंबर 10 से अधिक अंक के हाेते हैं।
- चेक करें, क्लिक न करें : अंजान लिंक पर क्लिक करने या जवाब देने से बचें। कई लिंक पर माउस का कर्सर ले जाने पर पेज का प्रिव्यू दिख जाता है। संदिग्ध पेज दिखे ताे उसे स्पैम मार्क कर दें या डिलीट कर दें।
वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं…
- नेटवर्क सिक्यूरिटीः कंप्यूटर की तरह वाई-फाई राउटर भी सुरक्षित हाेना चाहिए। इसका लेटेस्ट वर्जन हाे। पासवर्ड भी स्ट्राॅन्ग हाे।
- निजी और ऑफिस के सिस्टम अलग हों: वर्क फ्राॅम हाेम के चलते कर्मचारी निजी कंप्यूटर, ई-मेल एड्रेस या मैसेजिंग एप इस्तेमाल करने लगते हैं। हाे सकता है आपके उपकरण और एप कंपनी के नेटवर्क सिक्युरिटी जैसे सुरक्षित न हाे। इसलिए कंपनी के सिस्टम, इंटरनेट अकाउंट और साॅफ्टवेयर पर ही काम करें।