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7.50 लाख करोड़ रुपए के वैल्यूएशन पर जियो की होगी लिस्टिंग, आईपीओ में 20 से 25 प्रतिशत तक बिक सकती है हिस्सेदारी

  • रिलायंंस इंडस्ट्रीज के शेयरों की कीमत एक साल में 2,000 रुपए तक जा सकती है
  • सोमवार को आरआईएल का शेयर एक साल के नए उच्च स्तर पर बंद हुआ

दैनिक भास्कर

Jun 15, 2020, 04:50 PM IST

मुंबई. (अजीत सिंह) रिलायंस इंडस्ट्रीज की टेलीकॉम कंपनी जियो की शेयर बाजारों में लिस्टिंग में भले ही अभी समय हो, लेकिन इसकी धीरे-धीरे इसकी हलचल शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि इसमें मुकेश अंबानी 20-25 प्रतिशत हिस्सेदारी आईपीओ के दौरान बेच सकते हैं। इसे 7.50 लाख करोड़ रुपए के वैल्यूएशन पर लिस्ट कराने की योजना है। उधर रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर सोमवार को 1,625 रुपए तक पहुंच गया, जो उसका नया रिकॉर्ड है।

मुकेश अंबानी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी रख सकते हैं अपने पास

सूत्रों के मुताबिक मुकेश अंबानी जियो में 50 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी अपने पास रख सकते हैं। ऐसे में उनके पास आईपीओ में बेचने के लिए आज के हिसाब से 28 प्रतिशत से कम हिस्सेदारी बच रही है। जियो में 22 अप्रैल से लेकर अब तक मुकेश अंबानी ने 9 कंपनियों को 22.38 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची है। इस बिक्री से 1.04 लाख करोड़ रुपए उनको मिले हैं। इस आधार पर जियो का इक्विटी वैल्यूएशन 4.91 लाख करोड़ रुपए होता है। जबकि इसका इंटरप्राइज वैल्यूएशन 51.6 लाख करोड़ रुपए है।

23 प्रतिशत के करीब हिस्सेदारी बेच चुकी है जियो

के.आर. चौकसी के एमडी देवेन चौकसी कहते हैं कि अभी के पैटर्न से देखा जाए तो मुकेश अंबानी जियो में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी अपने पास रख सकते हैं। इस समय 23 प्रतिशत हिस्सेदारी बिकी है। हो सकता है कि आनेवाले समय में स्पेक्ट्रम के दौरान वे कुछ और हिस्सेदारी बेच दें। उस दौरान वे 7 प्रतिशत हिस्सेदारी और बेच सकते हैं । बाद में उनके पास 20 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का अवसर होगा। आरआईएल में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 48 प्रतिशत से ऊपर है। इसी स्तर पर वो जियो में भी हिस्सेदारी रख सकते हैं।

कंपनी को कर्ज चुकाने भर को मिल गया है पैसा 

चौकसी कहते हैं कि इस समय जो वैल्यूएशन है, आगे चलकर इसके उसमें अच्छी वृद्धि होगी। इसलिए मुकेश अंबानी कोशिश करेंगे कि अब हिस्सेदारी न बेची जाए और आईपीओ के दौरान ज्यादा वैल्यूएशन पर हिस्सेदारी बेची जाए। चौकसी कहते हैं कि कंपनी को उतना पैसा मिल चुका है, जितना उसे कर्ज चुकाने के लिए जरूरत थी। कंपनी को जियो से 1.04 लाख करोड़ रुपए मिल चुका है। साथ ही उसकी दिसंबर तिमाही तक की नकदी को जोड़ लिया जाए तो यह कुल राशि कंपनी के 1.61 लाख करोड़ रुपए के कर्ज के बराबर होती है।

ऐसी उम्मीद है कि दिसंबर तिमाही तक कंपनी को 53,000 करोड़ रुपए की नकदी मिलेगी।

आईपीओ 2021 के अंत या 2022 की शुरुआत में आ सकता है

वे कहते हैं कि कंपनी 2021 के अंत में या 2022 की शुरुआत में आईपीओ ला सकती है। कंपनी को इस समय पैसे की जरूरत नही हैं। ऐसे में अच्छे वैल्यूएशन पर इसका आईपीओ लाया जाएगा। चौकसी कहते हैं कि कंपनी 7.50 लाख करोड़ रुपए के वैल्यूएशन पर आईपीओ ला सकती है। इस तरह आज के हिसाब से देखें तो यह आरआईएल के वैल्यूशएन के करीब है। आरआईएल का मार्केट कैप 10 लाख करोड़ रुपए है। जब जियो लिस्ट होगी तो यह 7.50 लाख करोड़ से ज्यादा की मार्केट कैप वाली कंपनी हो सकती है।

नई एज की टेक कंपनी को बाहर मिलेगा वैल्यूएशन

आनंद राठी ब्रोकरेज हाउस के नरेंद्र सोलंकी कहते हैं कि जियो एक नई एज की टेक कंपनी है। इस तरह की कंपनियों को भारत में वैल्यूएशन बहुत कम मिलता है। हो सकता है कि अच्छा वैल्यूएशन पाने के लिए इसे अमेरिकी शेयर बाजार में लिस्ट करा दिया जाए। हालांकि वे कहते हैं कि एक साथ भारत और अमेरिका दोनों में भी लिस्टिंग हो सकती है। बता दें कि सरकार ने हाल में लिस्टिंग के नियमों में ढील दे दी है। इसके मुताबिक अब भारतीय कंपनियां विदेशी बाजारों में डायरेक्ट लिस्ट हो सकती हैं।

आज के वैल्यूएशन पर जियो के प्रति शेयर की कीमत 885 रुपए

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेस के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 को आधार माना जाए तो 13 के मल्टीपल पर जियो के एक शेयर की कीमत 885 रुपए होती है। जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर की कीमत इस समय 1,589 रुपए पर है। जियो में जो निवेश हुआ है, उसमें से 10 प्रतिशत राशि कंपनी अपने पास रखेगी और बाकी अपनी पैरेंट कंपनी आरआईएल को ट्रांसफर करेगी। रिपोर्ट कहती है कि वित्त वर्ष 2021 में जियो के लाभ में वृद्धि होगी क्योंकि कॉल, डाटा की कीमतों में वृद्धि होने की उम्मीद है।

जियो के इस वैल्यूएशन से इस ब्रोकरेज हाउस ने आरआईएल के शेयर की कीमत का लक्ष्य बढ़ाकर 1,743 रुपए कर दिया है।  

4 साल में अंबानी ने खड़ी कर दी दूसरी आरआईएल

विश्लेषक कहते हैं कि 4 साल में एक और आरआईएल खड़ा करना बहुत ही अजीब लगता है। लेकिन मुकेश अंबानी ने उस नब्ज को पकड़ा, जो धीरूभाई अंबानी ने पकड़कर आरआईएल की नींव रखी थी। अब मुकेश अंबानी ने महज चार साल में एक और आरआईएल का नींव ही नहीं रखी, बल्कि उसे पूरा तैयार कर दिया है। मुकेश अंबानी के शब्दों में डेटा इज न्यू ऑयल था और यह उन्होंने कर दिखाया। वह भी ऐसे में समय में, जब तेल की कीमतें निचले स्तर पर हैं और तेल कंपनियां अपने कारोबार को लेकर सतर्क हैं।

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