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भारत ने कहा- हमारे सिपाही अपनी हद में रहकर काम करते हैं, पड़ोसियों की हरकतें हमारी निगरानी में रुकावट डालती हैं

  • 5, 9 मई को पूर्वी लद्दाख में और 9 मई को सिक्किम के नाकु ला सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों में झड़प हुई
  • भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा- हमारे सैनिक अपनी सीमा में रहकर गतिविधियों को अंजाम देते हैं

दैनिक भास्कर

May 21, 2020, 08:35 PM IST

नई दिल्ली. भारत और चीन के सैनिकों के बीच इस महीने तीन बार झड़प हो चुकी है। इन घटनाओं पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को बयान जारी किया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय सैनिक अपनी सीमा में ही गतिविधियों को अंजाम देते हैं। भारतीय सेना की लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के पार एक्टिविटीज की बातें सही नहीं हैं। वास्तविकता यह है कि यह चीन की हरकतें हैं, जिनकी वजह से हमारी रेगुलर पेट्रोलिंग में रुकावट आती है।
इसी महीने 5 और 9 मई को भारत और चीन के सैनकों के बीच पूर्वी लद्दाख में झड़प की घटनाएं सामने आईं थीं। इसके बाद 9 मई को सिक्किम के नाकु ला सेक्टर में भी दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ गए थे।

विवाद सुलझाने के लिए दोनों देशों के कमांडरों की मीटिंग
भारत और चीन में हाल ही में लद्दाख के गालवन नदी क्षेत्र में विवाद बढ़ गया था। अब इसको सुलझाने के लिए दोनों देशों के फील्ड कमांडरों ने बैठक की है। सूत्रों के मुताबिक यह बैठक दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में हुई। इसमें भारत की 81 ब्रिगेड के अधिकारी और उनके चीनी समकक्ष शामिल हुए। निर्माण कार्यों को लेकर गालवन नदी क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच पिछले दो सप्ताह से तनाव चल रहा है।
सुरक्षाबल पिछले दो सालों से सैटेलाइट इमेज और खुफिया जानकारी पर नजर रख रहे थे। इससे उन्हें पता चला था कि चीन एलएसी पर भारतीय क्षेत्र के करीब रोड बना रहा है। इसके बाद भारत ने भी एलएसी के नजदीक अपने क्षेत्र में रोड नेटवर्क बनाना शुरू कर दिया था। इसके बाद चीन ने इस क्षेत्र में भारतीय विमानों की आवाजाही पर आपत्ति जताई थी।
हालांकि, ठीक इसके उलट चीनी हेलिकॉप्टरों ने गालवन नदी क्षेत्र में भारतीय गश्ती एरिया में उड़ान भरी है। पिछले सोमवार को यहां स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी।

1962 में भी चीन ने गालवन नदीं का इलाका घेरा था
गालवन नदी का यह क्षेत्र 1962 की भारत-चीन जंग में भी खास था। यहां पर भारतीय सेना का एक पोस्ट था, जिसे चीनी सैनिकों ने घेर लिया था। इसके बाद झड़प जंग में तब्दील हो गई थी। पिछले सप्ताह आर्मी चीफ एमएम नरवणे ने कहा था- आपको किसी भी झड़प की जानकारी दी जाएगी। 10 स्थान ऐसे हैं जहां हम हर रोज बातचीत करते हैं। यहां हालात पहले की ही तरह हैं। एक या दो स्थानों पर कभी-कभार घटनाएं हो जाती हैं। यह तब होता है जब कमांडर्स बदले जाते हैं।

इस महीने झड़पें कहां, कब और कैसे हुई?

1) तारीख- 5 मई, जगह- पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील
उस दिन शाम के वक्त इस झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-5 इलाके में भारत-चीन के करीब 200 सैनिक आमने-सामने हो गए। भारत ने चीन के सैनिकों की मौजूदगी पर ऐतराज जताया। पूरी रात टकराव के हालात बने रहे। अगले दिन तड़के दोनों तरफ के सैनिकों के बीच झड़प हो गई। बाद में दोनों तरफ के आला अफसरों के बीच बातचीत के बाद मामला शांत हुआ।
2) तारीख- संभवत: 9 मई, जगह- उत्तरी सिक्किम में 16 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद नाकू ला सेक्टर
यहां भारत-चीन के 150 सैनिक आमने-सामने हो गए थे। आधिकारिक तौर पर इसकी तारीख सामने नहीं आई। हालांकि, द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां झड़प 9 मई को ही हुई। गश्त के दौरान आमने-सामने हुए सैनिकों ने एक-दूसरे पर मुक्कों से वार किए। इस झड़प में 10 सैनिक घायल हुए। यहां भी बाद में अफसरों ने दखल दिया। फिर झड़प रुकी। 
3) तारीख- संभवत: 9 मई, जगह- लद्दाख
जिस दिन उत्तरी सिक्किम में भारत-चीन के सैनिकों में झड़प हो रही थी, उसी दिन चीन ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अपने हेलिकॉप्टर भेजे थे। चीन के हेलिकॉप्टरों ने सीमा तो पार नहीं की, लेकिन जवाब में भारत ने लेह एयरबेस से अपने सुखोई 30 एमकेआई फाइटर प्लेन का बेड़ा और बाकी लड़ाकू विमान रवाना कर दिए। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हाल के बरसों में ऐसा पहली बार हुआ जब चीन की ऐसी हरकत के जवाब में भारत ने अपने लड़ाकू विमान सीमा के पास भेजे।

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