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कलेक्टिव स्कीम चलाने वाले डेयरीलैंड प्लांटेशन को एक महीने के अंदर निवेशकों का पैसा लौटाने का सेबी का आदेश

  • कंपनी ने 1992-96 के दौरान ग्रीन गोल्ड बांड स्कीम लांच की थी
  • 20 साल में मैच्योर होनेवाली स्कीम में 5,000 रुपए का करना था निवेश

दैनिक भास्कर

Jun 06, 2020, 09:45 PM IST

मुंबई. सेबी ने डेयरीलैंड प्लांटेशन और इसके अधिकारियों को आदेश दिया है कि वह निवेशकों का पैसा एक महीने के भीतर लौटाए। इस कंपनी ने ग्रीन गोल्ड बांड स्कीम लांच की थी । यह एक तरह से कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम (सीआईएस) थी। इसमें एकमुश्त 5000 रुपए देना था और इसकी 20 साल के लिए होल्डिंग अवधि थी। इसके एवज में कंपनी टेकवुड ट्रीज की पांच यूनिट देती थी। कंपनी के मुताबिक 20 साल की मैच्योरिटी के बाद निवेशकों को इसे बेचने की अनुमति थी।

कंपनी ने 1,660 निवेशकों से जुटाए थे 1.82 करोड़ रुपए

सेबी ने जांच में कहा कि इसके जरिए कंपनी ने 1.82 करोड़ रुपए निवेशकों से जुटाए। इसमें 1,600 निवेशकों ने पैसे लगाए थे। स्कीम को 1992 से 1996 के दौरान लांच किया गया था। डेयरीलैंड प्लांटेशन में शामिल अधिकारियों में रोशन नरीमन, ताज नरीमन, जेरू नरीमन, उर्वकेश, शेरनाज इरानी, मेहर पटेल और रुख्साना अंकलेसरिया थे। सेबी ने कहा कि इस कंपनी का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं था। इसने सेबी के नियमों का उल्लंघन किया। इसमें से कुछ अधिकारियों की मौत हो चुकी है और वे आरोपी नहीं हैं।

सेबी ने साल 2000 में जांच शुरू की

सेबी ने साल 2000 में कंपनी को एक शोकॉज नोटिस भेजा। कंपनी ने जवाब दिया कि उसने सभी को पैसे लौटा दिए हैं। लेकिन सेबी को अप्रैल 2013 में निवेशकों की ओर से इस मामले में शिकायत मिली। सेबी ने कहा कि 1,660 निवेशकों में से 2 प्रतिशत निवेशक इस स्कीम को जारी रखने के पक्ष में नहीं थे जबकि 4 प्रतिशत निवेशक कंपनी के पते पर ही नहीं पहुंच पाए। 66 प्रतिशत निवेशकों की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। जबकि 28 प्रतिशत निवेशक स्कीम के पक्ष में थे।

सेबी ने कहा अखबारों में विज्ञापन देकर निवेशकों से जवाब मांगे कंपनी

सेबी ने कहा कि कंपनी ने 14 सितंबर 2000 को कंपनी बंद कर दी थी। इसके बाद सेबी ने इसकी जांच की और अंत में शनिवार को ऑर्डर पास कर दिया। सेबी ने ऑर्डर में कहा कि है कि कंपनी इस ऑर्डर से एक महीने के भीतर हिंदी, अंग्रेजी और अन्य स्थानीय भाषा के अखबारों में विज्ञापन दे। इसमें यह स्पष्ट रूप से लिखे कि यदि किसी निवेशक का पैसा ग्रीन गोल्ड बांड स्कीम में है तो वह सेबी के पास शिकायत करे। साथ ही कंपनी किसी सरकारी बैंक में एक महीने के अंदर निवेशकों के सभी पैसों को जमा कराए।

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