- बिल पास कराने के लिए हुई वोटिंग में इसके पक्ष में 413 वोट पड़े, जबकि विरोध में महज एक वोट पड़ा
- इस बिल को राष्ट्रपति ट्रम्प के पास भेजा जाएगा, उनके हस्ताक्षर करते ही यह एक कानून बन जाएगा
दैनिक भास्कर
May 28, 2020, 01:47 PM IST
वॉशिंगटन. अमेरिकी संसद (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव) ने चीन में उइगर मुसलमानों से भेदभाव के खिलाफ कानून बनाने के लिए बिल पास किया। इस कानून के तहत जिम्मेदार अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया जा सकेगा। यह बिल बुधवार को बहुमत से पारित हो गया। बिल पास कराने के लिए हुई वोटिंग में इसके पक्ष में 413 वोट पड़े, जबकि विरोध में महज एक वोट पड़ा।
अब इस बिल को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पास भेजा जाएगा। ट्रम्प के इसपर साइन करते ही यह एक कानून बन जाएगा। इससे पहले अमेरिकी सिनेट में इस एक्ट को सिनेटर मार्को रुबियो ने पेश किया था। इसी महीने सिनेट में इसे सर्वसम्मति से पास किया जा चुका है।
चीन के शिनजियांग राज्य के सुदूर पश्चिमी क्षेत्र में उइगर मुसलमानों के साथ अत्याचार की रिपोर्ट कई बार सामने आई है। यहां पर उइगर मुसलमानों को बढ़ी हुई दाढ़ी और ज्यादा बच्चे होने के कारण नजरबंद शिविरों में भेजने का भी खुलासा हुआ था।
जिम्मेदार चीनी अधिकारियों का विजा वापस ले सकेगा अमेरिका
नए कानून में मुसलमानों के उत्पीड़न और मानवाधिकार हनन के जिम्मेदार अधिकारियों का विजा वापस लेने का प्रावधान होगा। इसके साथ ही अमेरिकी विदेश विभाग को कहा गया है कि वह चीन के शिनजियांग राज्य में हुए मानवाधिकार हनन पर एक रिपोर्ट तैयार किया।
नैंसी पेलोसी ने बिल का समर्थन किया
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने बिल के पेश किए जाने के बाद इसका समर्थन किया। उन्होंने कहा अगर अमेरिका कुछ व्यापारिक हितों के लिए चीन में मानवाधिकार उल्लंघन पर नहीं बोलेगा तो यह दुनिया में कहीं भी इस मुद्दे पर बोलने का नैतिक अधिकार खो देगा।
अमेरिकी सांसद शेरमैन ने कहा- हम उइगरों के साथ
संसद में बिल पेश किए जाने से पहले सांसद ब्रैड शेरमैन ने कहा कि चीन ने आर्थिक ताकत से मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं दबाने की कोशिश की है। मुसलमानों के मानवाधिकार उल्लंघन पर बोलने वाले देशों पर दबाव बनाया, जिससे वे चुप रहें। शेरमैन ने कहा कि हम लोग वैश्विक महामारी में घिरे हुए हैं। अब चीन चाहता है कि हम उइगर मुसलमानों का मुद्दा भूल जाएं। हमें इसे उठाना होगा। यह संदेश देना होगा कि हम उनके साथ हैं। हम दबे-कुचले लोगों के लिए लड़ेंगे और इसे कभी नहीं भूलेंगे।