फ़राह ने अपनी कहानी साझा की
मैं इस बारे में अपने परिवार से बात करने में भी हिचकता था. सार्वजनिक रूप से तो मैं बात ही नहीं कर पाता. यहां तक पहुंचने में बहुत समय लगा है, लेकिन मैं खुश हूं कि मैंने ये डॉक्यूमेंट्री बनाई और लोगों को बताया कि बचपन में मेरे साथ क्या हुआ था.”
मो फ़राह ने अपनी ब्रिटेन आने की सच्चाई, अपने बचपन की दास्तां और 2012 में ओलंपिक मेडल जीतने की कहानी साझा की है.
मेट्रोपोलिटन पुलिस का कहना है कि अफ़सर जांच कर रह हैं कि सर मो के साथ क्या हुआ था. एक बयान में पुलिस ने कहा कि “इस वक्त” उनके पास कोई रिपोर्ट नहीं है.
उन्होंने कहा कि उनका मानना है आधुनिक गुलामी के शिकार कई बच्चे लंदन की गलियों में मौजूद हैं.
सर मो की पत्नी तानिया ने कहा कि सच्चाई जानने के बाद वो “कई तरह की भावनाओं” से ग़ुज़र रही हैं.
उन्होंने कहा, “सबसे पहले मुझे उनके लिए दुख हुआ और बुरा लगा. मैं एक नौ साल के मो के बारे में सोचने लगी और बेसहारा महसूस करने लगी. लेकिन साथ ही मुझे उन लोगों पर गुस्सा आने लगा जिन्होंने उनके साथ ऐसा बर्ताव किया, और जिनके कारण उन्हें इससे ग़ुज़रना पड़ा.”
एक इलाज की तरह – पत्नी
उन्होंने कहा, “मो ने अब आख़िरकार खुद को इजाज़त दी है, उस दर्द को महसूस करने की, इस डॉक्यूमेंट्री ने उन्हें इसका सामना करने की हिम्मत दी है. ये सही है, ये इलाज की तरह है.”
कानूनन सरकार किसी ऐसे व्यक्ति को देश से निकाल सकती है जिसे नागरिकता ग़लत तरीके से मिली हो. लेकिन गृह मंत्रालय को बताया है कि वो इस केस में कोई कार्रवाई नहीं करेंगे क्योंकि ये माना जाता है कि नागरिकता पाने के लिए अपनाए गए गलत तरीकों में बच्चों की भागीदारी नहीं होती.
बच्चों की तस्करी से जुड़े मुद्दे पर बोलते हुए मो फ़राह ने कहा, “कोई भी बच्चा इन हालात से ग़ुज़रना नहीं चाहता. जब मेरे बारे में किसी और से फ़ैसला किया था तब मेरी उम्र बहुत कम थी. मुझे इस देश के लिए जो करने का मौका मिला, उसके लिए मैं शुक्रग़ुज़ार हूं. मुझे अपने देश का प्रतिनिधित्व करने में गर्व महसूस होता है.”
“जो मेरे कंट्रोल में था, किया. जब मैं छोटा था, तब मेरा कोई कंट्रोल नहीं था.”
सर मो के मुताबिक उन्होंने अपने पीई टीचर पर विश्वास किया जिन्होंने उन्हें दूसरे परिवार में पालने में मदद की. उनकी बदौलत ही वो ब्रिटेन की नागरिकता पा सके और उनका पासरोपर्ट बना ताकि वो खेलों में हिस्सा ले सकें.
बेबाकी से बात सामने रखने के लिए सर मो की काफ़ी तारीफ़ की जा रही है.
सर मो ने कहा कि अपनी कहानी बताने के पीछे उनका मकसद है कि लोगों को मानव तस्करी और ग़ुलामी के कारण होने वाली दिक्कतों के बारे में पता चल सके.
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता था कि इतने सारे लोग वही झेल रहे हैं, जिससे मैं ग़ुज़र चुका हूं. ये दिखाता है कि मैं कितना भाग्यशाली हूं.”
“मेरा दौड़ना ही वो वजह थी जिसके कारण मैं बच गया, और मैं दूसरों से अलग हूं.”