Madhya Pradesh Police: मध्यप्रदेश में ट्रैफिक पुलिस को आज भी 200 रुपए का साइकिल भत्ता मिलता है. 120 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल वाले इस जमाने में आज भी ट्रैफिक पुलिस के भत्तों के नियम नहीं बदले हैं. 66 सालों बाद भी इसमें कोई सुधार नहीं किया गया है. कर्मचारियों द्वारा लंबे समय से इसको लेकर मांग की जा रही है. कर्मचारियों का कहना है कि जेब से पेट्रोल खर्च करके ड्यूटी पर जाना पड़ रहा है.
इंदौर. मध्यप्रदेश की पुलिस अब हाईटेक हो गई है. आधुनिक सुविधाओं से लैस प्रदेश की ट्रैफिक पुलिस के कांस्टेबल की हालत आज भी खस्ता है. प्रदेश में पुलिस स्थापना के 66 साल बाद भी वहीं नियम लागू हैं. आज भी ट्रैफिक कांस्टेबल को महीने भर का मात्र 200 रुपए साइकिल भत्ता दिया जाता है. अब ट्रैफिक पुलिस के जवानों ने एक स्वर में इस भत्ते को बढ़ाने की मांग की है.
बीते दिनों एडीशनल कमिश्नर राजेश हिंगणकर ने यातायात थाने का निरीक्षण किया था. इसके साथ ही उन्होंने पुलिसकर्मियों का दरबार भी लगाया था. इस दौरान कर्मचारियों ने एक सुर में उनसे अपनी गाड़ियों के लिए पेट्रोल दिए जाने की मांग की थी. इस पर उन्होंने अधिकारियों से बात कर हल निकालने की बात कही.
प्रतिमाह मिलता है 200 रुपए का साइकिल भत्ता
बता दें कि ट्रैफिक पुलिस को आज भी साइकिल चलाने का भत्ता मिलता है. वह भी इतना कि अगर साइकिल की ढंग से सर्विस भी करवानी पढ़ जाये तो जेब से ही पैसे लगाने पड़ जाएं. आरक्षक से लेकर सहायक उपनिरीक्षक तक को प्रतिमाह माह साइकिल भत्ता मिलता है. यह राशि 200 रुपए प्रतिमाह से कुछ कम ज्यादा हो सकती है. यह सीनियर व जूनियर केटेगरी पर निर्भर करता है. बता दें कि मध्यप्रदेश पुलिस की स्थापना करीब 66 साल पहले साल 1956 में हुई थी इसके बाद कई दशक बदले. पुलिस का रूप और स्वरूप बदला. बदलते वक्त के साथ नई टेक्नोलॉजी ने पुलिस महकमें में प्रवेश किया. लेकिन ट्रैफिक पुलिस के जवानों का साइकिल भत्ता आज भी वैसा का वैसा ही है. यातायात विभाग में अब इक्का दुक्का कर्मचारी ही साइकिल पर सवार होकर ड्यूटी पर जाते नजर आते हैं. अधिकतम कर्मचारी अब अपनी तेज फरार्टे भरने वाली दो पहिया वाहन का ही इस्तेमाल करते हैं. नियम तोड़ने वाली लग्जरी गाड़ियों को रोकने का जिन कंधो पर दारोमदार होता है, जिन्हें सड़कों पर यातायात संभालने और पाठ सिखाने का जिम्मा होता है, उन्हें विभाग खुद साइकिल के लायक ही समझता है.