Bhopal News in Hindi: यूक्रेन में फंसे इंडियन स्टूडेंट्स एक दूसरे की मदद कर रहे हैं. वॉट्सएप ग्रुप जरूरतमंद छात्रों तक खाना पहुंचाया जा रहा है.
Russia Ukraine News: रूस और यूक्रेन (Russia Ukraine War) के बीच चल रही लड़ाई में कई स्टूडेंस फंसे हुए हैं. इसमें भारत के भी कई छात्र हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डनिप्रो शहर ( (Russia Ukraine Crisis) में 400 से ज्यादा स्टूडेंट कई दिनों से घरों और बंकरों में केद हैं. इन सबके बीच इंडियन स्टूडेंट्स (Indian Students Stranded in Russia) ने ही एक दूसरे की मदद करने की ठान ली है. एक अखबार से हुई बातचीत में भोपाल की आर्या ने बताया हमने डियन स्टूडेंट्स की मदद के लिए वॉट्सएप ग्रुप बनाए. छात्रों की लिस्ट बनाई गई. फिर दिन में अलग-अलग सुपर मार्केट से सामान खरीदकर लाते. फिर उन स्टूडेंट्स तक खाना पहुंचाया जाता जिनके पास स्टॉक खत्म हो गया हो.
भोपाल. रूस और यूक्रेन (Russia Ukraine War) के बीच चल रहे युद्ध में कई स्टूडेंस फंसे हुए हैं और अपने घर वापसी का इंतजार कर रहे है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डनिप्रो शहर ( (Russia Ukraine Crisis) में 400 से ज्यादा स्टूडेंट कई दिनों से घरों और बंकरों में केद हैं. उन्हें कई परेशानियों का सामने करने पड़ा रहा है. ऐसे में अब इंडियन स्टूडेंट्स (Indian Students Stranded in Russia) ने ही एक दूसरे की मदद करने की ठान ली है. उन्होंने अपना एक सोशल मीडिया हेल्पलाइन चेन तैयार किया है. बताया जा रहा है कि इंडियन स्टूडेंट्स की मदद के लिए वॉट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं. इसकी एडमिन मध्य प्रदेश के भोपाल की बेटी आर्या श्रीवास्तव है.एक अखबार से हुई बातचीत में आर्या ने कहा कि वे अपनी फीस के पैसे खाने और दूसरी जरूरत की चीजों में खर्च कर रहे हैं. मार्च में फीस पे करनी होती है. इस वजह से अभी सभी के पास पैसे हैं. उनका कहना है कि शाम के बाद कोई भी इंडियन स्टूडेंट्स बाहर नहीं जाता. सायरन बजते ही सभी सुरक्षित जगहों पर आ जाते हैं. सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है.डनिप्रो में फंसे छात्रों तक पहुंचाई जा रही मदद
आर्या का कहना है कि वे दो महीने पहले फिजियोथैरेपी का कोर्स करने डनिप्रो आई थी. उनका भाई भी यहां पढ़ाई कर रहे हैं. एक अखबार से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि यहां 400 से ज्यादा स्टूडेंट फंस हुए हैं. इसमें मध्य प्रदेश के भी कुछ स्टूडेंट्स हैं. पहले खाने पीने की कुछ चीजें थी तो परेशानी नहीं आई. सामान खत्म हुआ तो मुसीबत बढ़ गई. धीरे-धीरे खाने का स्टॉक खत्म होने लगा. ऐसे में हमने एक दूसरे की मदद करने की सोची. छात्रों की लिस्ट बनाई गई. फिर दिन में अलग-अलग सुपर मार्केट से सामान खरीदकर लाते. 7 से ज्यादा किचन बनाए गए. वॉट्सएप ग्रुप के जरिए फिर पता लगाते थे कि कहां खाने की जरूरत है. फिर शाम को उन तक खाना पहुंचाया जाता था.आर्या का कहना है कि हमने एक दूसरे की मदद के लिए सोशल मीडिया का चेन तैयार किया. अलग-अलग वॉट्सएप ग्रुप बनाए. फिर उसकी के जरिए जानकारी लेते रहे कि कहां क्या जरूरत है. फिर हमारी टीम ने उन तक खाना पहुंचाया.