May 14, 2024 : 9:36 AM
Breaking News
Other

कश्मीर में फिर से निशाने पर पंडित, डर से शुरू हुआ पलायन

बीते कुछ दिनों में कश्मीर घाटी में हुई चरमपंथी हिंसा में कई हिंदुओं और कुछ सिखों के मारे जाने के बाद जम्मू और कश्मीर का माहौल एक बार फिर तनावों से घिर गया है.

लोगों के जेहन में इन हिंसक घटनाओं को लेकर कई सवाल उमड़ रहे हैं. लोग पूछ रहे हैं कि क्या राज्य के हालात फिर से 90 के दशक जैसे हो रहे हैं? क्या घाटी से कश्मीरी पंडितों और राज्य के अल्पसंख्यकों का पलायन एक बार फिर से शुरू हो जाएगा?

जम्मू के कश्मीरी पंडितों के जगती कैंप में रह रहे सुनील पंडिता ने बीबीसी को बताया कि पिछले दो दिनों में घाटी के कश्मीरी पंडित और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लगभग 150 परिवारों ने जम्मू में शरण ली है.

सुनील पंडिता ने बताया कि घाटी के हालात 90 के दशक से भी ख़राब होते जा रहे हैं. वो कहते हैं कि सिर्फ़ एक हफ़्ते पहले वो घाटी से लौटे हैं और वहाँ रहने वाले अल्पसंख्यकों की आँखों में खौफ़ साफ़ दिखाई दे रहा है. घाटी में सिर्फ़ एक हफ़्ते के दौरान सात लोगों की हत्या कर कर दी गई है.

क्यों बढ़ी अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा?

ऐसे में सवाल उठता है कि घाटी के अल्पसंख्यकों जैसे कश्मीरी हिंदू और सिखों के ख़िलाफ़ हिंसा की वारदातों में अचानक वृद्धि क्यों हुई? जानकारों को लगता है कि इसके अलग-अलग कारण हो सकते हैं.

90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के ख़िलाफ़ जब बड़े पैमाने पर हिंसा और उनकी हत्याएं हुईं तो अपनी जान बचाने के लिए घर छोड़कर अपने परिवारों के साथ वो घाटी से निकल गए थे. फिर कई सालों तक देश के अलग-अलग हिस्सों में वो बतौर शरणार्थी रहने को मज़बूर हुए.

इस दौरान पलायन कर चुके लोगों ने अपने पीछे जो घर और संपत्ति घाटी में छोड़ दी थी, उन पर स्थानीय लोगों ने क़ब्ज़ा कर लिया या फिर उसे औने-पौने दाम में ख़रीद लिया.

इसे देखकर ही साल 1997 में राज्य सरकार ने क़ानून बनाकर विपत्ति में अचल संपत्ति बेचने और ख़रीदने के ख़िलाफ़ क़ानून बनाया. लेकिन जानकार कहते हैं कि क़ानून के बावजूद औने-पौने दाम में संपत्ति बिकती रही है.

क्या संपत्ति पर फिर से क़ब्ज़ा दिलाना कारण है?

हाल ही में सरकार ने कश्मीरी पंडितों की क़ब्ज़ा की गई अचल संपत्तियों पर उन्हें दोबारा अधिकार देने की कवायद शुरू की थी. अब तक ऐसे लगभग 1,000 मामलों का निपटारा करते हुए संपत्ति को वापस उनके असली मालिक के हवाले कर दिया गया.

जानकार कहते हैं कि अचानक शुरू हुई हिंसा के पीछे ये भी एक कारण हो सकता है.

वरिष्ठ पत्रकार राहुल पंडिता मानते हैं कि हाल ही में जम्मू और कश्मीर सरकार ने एक पोर्टल शुरू किया है. इसमें घाटी से पलायन कर गए कश्मीरी पंडितों को उनकी संपत्ति वापस दिलाने की प्रक्रिया ‘ऑनलाइन’ शुरू की गई है. वो कहते हैं कि इस पोर्टल का विज्ञापन के ज़रिए भी काफी प्रचार-प्रसार किया गया है.

राहुल पंडिता मानते हैं कि अचानक भड़की हिंसा के पीछे ये कारण भी हो सकता है.

पोर्टल का जिस दिन जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने औपचारिक उद्घाटन किया, उसी दिन उनके कार्यालय ने बताया कि घाटी से लगभग 60 हज़ार कश्मीरी हिन्दुओं या पंडितों का पलायन हुआ था.

इसमें से 44 हज़ार परिवारों ने राज्य के राहत और पुनर्वास आयुक्त के समक्ष अपना पंजीकरण कराया था.

बयान में बताया ​गया कि इन 44 हज़ार परिवारों में 40,142 परिवार हिंदू, जबकि 1,730 सिख और 2,684 मुसलमान परिवार शामिल हैं.

सुरक्षा की बड़ी चूक का परिणाम’

हालांकि पंडिता और दूसरे कश्मीरी पंडितों को लगता है कि हाल की घटनाएं ‘बड़ी सुरक्षा चूक’ भी है क्योंकि सुरक्षा एजेंसियों ने 21 सितंबर को ही अलर्ट जारी किया था और बड़े हमले की आशंका जताई थी.

वहीं वरिष्ठ पत्रकार आदित्य राज कौल कहते हैं, ”घाटी में हमलों का सिलसिला 2008 से ही जारी है. लेकिन अनुच्छेद 370 हटाने के बाद यहाँ के कट्टरपंथियों में बड़ी बेचैनी रही है. उनके अंदर ग़ुस्सा पनप रहा था, जिसने अचानक से हिंसा की शक्ल ले ली है.”

कौल मानते हैं कि इन सभी वारदातों में सुरक्षा अमले से चूक हुई है. वो कहते हैं कि जहाँ-जहाँ वारदात हुई, वहाँ से कुछ ही मीटर की दूरी पर या तो सुरक्षा बलों के शिविर थे या एसएसपी का कार्यालय.

गुरुवार यानी सात अक्टूबर को एक सरकारी स्कूल में घुसकर चरमपंथियों ने पहचान तय करने के बाद स्कूल के टीचर दीपक चंद और प्रिंसिपल सतिंदर कौर की गोली मारकर हत्या कर दी. उससे पहले श्रीनगर के एक मशहूर दवा दुकान के मालिक माखन लाल बिंद्रू की भी सरेआम गोली मारकर ह्त्या कर दी गई.

Related posts

जापान में ओमिक्रॉन के डर से बूस्टर डोज लगना शुरू, जानें भारत की क्या है स्थिति

News Blast

नई मुसीबत: ओमिक्रॉन के खिलाफ Covishield सहित तमाम वैक्सीन फेल! केवल ये दो कारगर- शोध में खुलासा

News Blast

तेज रफ्तार ट्रक ने तीन महिलाओं को कुचला, किसान आंदोलन से लौट रही थीं घर

News Blast

टिप्पणी दें