May 19, 2024 : 7:27 PM
Breaking News
राष्ट्रीय

CIA कैथल ने फोड़ा अंतरराज्यीय गिरोह का भांडा:चोरी की 18 गाड़ियों के साथ 7 लोग गिरफ्तार, दिल्ली-हरियाणा से चुराकर UK में डील करते थे करनाल के 3 युवक

  • Hindi News
  • Local
  • Haryana
  • Kaithal CIA Kaithal Boils Stock Of Inter state Gang, 7 People Arrested With 18 Stolen Vehicles, 3 Youths From Karnal Used To Steal From Delhi Haryana And Deal In UK

कैथल14 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
कैथल में पुलिस की गिरफ्त में वाहन चोर गिरोह के 7 लोग। इनमें 3 करनाल के रहने वाले हैं। - Dainik Bhaskar

कैथल में पुलिस की गिरफ्त में वाहन चोर गिरोह के 7 लोग। इनमें 3 करनाल के रहने वाले हैं।

कैथल की CIA टीम ने एक अंतरराज्यीय गिरोह का भांडा फोड़ा है। इस कार्रवाई के दौरान 7 लोगों को चोरी की 18 गाड़ियों के साथ गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक गिरोह में शामिल करनाल के 3 युवक दिल्ली और हरियाणा के अलग-अलग शहरों से महंगी गाड़ियों को चुराकर उत्तराखंड के डीलर को बेच देते थे। डीलर उन्हें वापस हरियाणा में कैथल और हिसार के डिस्पोजरों को दे देता, जो इन गाड़ियों पर स्क्रैप में आई गाड़ियों की नंबर प्लेट और चेसिज नंबर लगाकर मार्केट में बेच देते। फिलहाल पुलिस इन 7 लोगों को कोर्ट में पेश करने की तैयारी में है।

आरोपियों से बरामद की गई गाड़ियां।

आरोपियों से बरामद की गई गाड़ियां।

बरामद की गई गाड़ियों में 2 अल्टो के-10, 1 स्कोडा लोरा, 1 पोलो, 2 मारुति अर्टिगा, 4 स्विफ्ट डिजायर, 5 स्विफ्ट, 1 होंडा अमेज, 1 डस्टर और 1 क्रेटा गाड़ी शामिल हैं। इस बारे में कैथल के एसपी लोकेंद्र सिंह ने बताया कि सीआईए-1 की टीम कलायत में जींद बाईपास पर खनौरी रोड के पास मौजूद थी। वहां करनाल के बीर बडाला निवासी गुरमीत को दिल्ली से चोरी क्रेटा गाड़ी में काबू किया गया। शिव कॉलोनी करनाल निवासी शुभम को कलायत से चोरी की गई गाड़ी स्विफ्ट सहित कैथल से काबू किया गया। गुरमीत ने अपनी गिरफ्तारी के दौरान अपनी डिस्कलोजर स्टेटमेंट अंकित करवाई कि शुभम रिश्ते में उसका भतीजा लगता है और करनाल का शिव कॉलोनी निवासी चेतन उसका दोस्त है।

कोडिंग मशीन से चाबी तैयार करके चुराते थे गाड़ियां
एसपी ने बताया कि तीनों काफी समय से गाड़ियां चोरी करने का काम करते हैं। रात को तीनों गाड़ी लेकर निकल जाते हैं और एरिया में घूम-फिरकर बाहर खड़ी हुई गाड़ी की रैकी करते हैं। गुरमीत और चेतन दूर से आने-जाने वालों पर निगरानी रखते हैं और शुभम गाड़ी के पास पहुंचकर गाड़ी के बाईं तरफ के शीशे की साइड में पेशकश डालकर शीशे को तोड़ देता है। डैसबोर्ड खोलकर सेंटर लॉक की डिब्बी को हटा देता है, जिससे गाड़ी की खिडक़ी खोलते समय सायरन की आवाज नहीं आती।

फिर खिड़की खोलकर उसमें प्रवेश कर जाता है और स्टेयरिंग के नीचे के प्लास्टिक के कवर को खोलकर नीचे एक हैवी मैग्नेट को चिपका देता है। इससे स्टेयरिंग का लॉक फ्री हो जाता है। स्टार्टिंग स्विच को इग्निशन स्विच से निकाल देता है। फिर वो खुद कोडिंग मशीन साथ लेकर गाड़ी में जाता है और इग्निशन स्विच में चाबी लगाकर कोडिंग मशीन के साथ चाबी की कोडिंग कर दी जाती है। फिर स्टार्टिंग स्विच में पेचकश लगाकर गाड़ी स्टार्ट हो जाती है और गाड़ी चोरी करके अपने साथ ले जाते हैं।

करनाल में खड़ी कर पांच दिन करते थे इंतजार
गाड़ी को करनाल की शिव कॉलोनी में खाली जगह देखकर कवर करके खड़ी कर देते थे। बीच-बीच में शुभम या चेतन उस गाड़ी को चैक करने भी आते थे। फिर 4-5 दिन के बाद उस गाड़ी को पास जाकर उसके स्टेयरिंग में लगा मैगनेट निकाल लेते हैं। स्टेयरिंग लॉक में ड्रिल मशीन के साथ सुराख करके स्टेयरिंग को स्थायी तौर पर फ्री कर देते हैं। फिर उस गाड़ी को वहां से निकालकर बाहर ले जाते हैं।

उत्तराखंड के डीलर से था संपर्क
उसका संपर्क डोईवाला जिला देहरादून उत्तराखंड निवासी परणीत पाल सिंह से है, जो चोरीशुदा गाड़ियों की खरीद-फरोख्त करता है। वह परणीत को औने-पौने दामों पर बेच देता है। परणीत उन सभी गाडिय़ों में से कुछ गाडिय़ों को खनौरी रोड कैथल पर जेपी डिस्पोजल नाम से दुकान पर उसके मालिक कुलदीप उर्फ जेपी वासी देवबन व उसके वर्कर नरेश उर्फ काला वासी संडील और विशाल वासी आजाद नगर हिसार व संदीप वासी लक्ष्मी विहार कॉलोनी हिसार को बेच देता है।

असल आरसी का डाटा लगाकर आगे बेचते हैं गाड़ियां
कुलदीप उर्फ जेपी, नरेश उर्फ काला, विशाल व संदीप स्क्रैप में असल आरसी सहित गाडिय़ां खरीदते हैं और स्क्रैप वाली गाड़ियों के चैसिज नंबर के पार्ट की कटिंग करके चोरीशुदा गाड़ियों के चैसिस नंबर के पार्ट के जगह वैल्डिंग करके उस पर पेंट करके उसको अच्छे से सैट कर देते हैं, लेकिन ये उन गाड़ियाें का इंजन नंबर नहीं बदलते हैं। कई गाडिय़ों के इंजन नंबरों पर ग्राइंडर मार देते हैं। फिर उस गाड़ी पर स्क्रैप वाली गाड़ी की नंबर प्लेट लगा देते हैं और स्क्रैप में खरीदी गई गाड़ी के कागजों का प्रयोग तैयार गाड़ियों पर किया जाता है। तैयार होने के बाद उस गाड़ी का चोरी होने का रिकॉर्ड नहीं रहता है। उन गाड़ियों पर नम्बर प्लेट व चैसिज नम्बर तो स्क्रैप वाली गाड़ियों का होता है, लेकिन इंजन नम्बर चोरी वाली गाड़ियों का होता है। ऐसे तैयार की गई गाड़ियों को बाहर मार्किट में बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया जाता है।

खबरें और भी हैं…

Related posts

प्रधानमंत्री माेदी आज स्कूली शिक्षा सम्मेलन को संबोधित करेंगे

News Blast

2 महिला अफसरों को पहली बार वॉरशिप पर तैनात करेगी नौसेना, ये हेलिकॉप्टरों को ऑपरेट करेंगी; राफेल को भी पहली महिला पायलट जल्द मिलेगी

News Blast

मनोज तिवारी ने मांगा केजरीवाल का इस्तीफा

News Blast

टिप्पणी दें