नई दिल्ली2 घंटे पहले
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- नायडू ने कहा-भारत भाषाई और सांस्कृतिक विरासत के लिए विख्यात
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि स्थानीय भाषाओं में पाठ्यक्रम मुहैया कराने के लिए तकनीकी संस्थाओं को आगे आना चाहिए। ऐसी पहल विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित होगी। उपराष्ट्रपति ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा नई शिक्षा नीति के अनुरूप 11 स्थानीय भाषाओं में बीटेक पाठ्यक्रमों को मान्यता दिए जाने की सराहना की।
सही दिशा में सही कदम में यह बात लिखी। उन्होंने कहा, हम सभी जानते हैं कि भाषाएं हमारे जीवन का अभिन्न अंग होती हैं। हमारी मातृभाषा, हमारी स्थानीय भाषाएं, हमारे लिए विशेष स्थान रखती हैं, उनसे हमारा जन्म से ही जीवनपर्यंत का संबंध होता है। नायडू ने कहा कि भारत अपनी समृद्ध भाषाई और सांस्कृतिक विरासत के लिए विश्वभर में विख्यात है। यह सैकड़ों भाषाओं और हजारों बोलियों की भूमि है। उन्होंने कहा, हमारी भाषाई विविधता हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की नींव है। मु
झे खुशी है कि अपनी भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए हमने कई कारगर कदम उठाए हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुसार, जहां तक संभव हो, कम से कम पांचवीं कक्षा तक और बेहतर हो कि आठवीं कक्षा तक और उसके आगे भी मातृभाषा में ही शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
स्थानीय भाषाओं में पाठ्यक्रम कराने को संस्थान आगे आए
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि ऑनलाइन शिक्षा, कक्षा में प्रदान की जाने वाली पारंपरिक शिक्षा पद्धति का विकल्प नहीं हो सकती। ऐसे में हमें ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा के श्रेष्ठ तत्वों को समाहित करते हुए भविष्य के लिए शिक्षा का मिश्रित मॉडल विकसित करने की जरूरत है। उपराष्ट्रपति नायडू ओपी जिंदल विश्वविद्यालय द्वारा डिजिटल माध्यम से आयोजित विश्वविद्यालय शिखर सम्मेलन के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने कहा, शिक्षा का अर्थ सिर्फ व्याख्यान देना ही नहीं है बल्कि छात्रों की स्वतंत्र सोच और रचनात्मकता को विकसित करना है।
उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा, कक्षा में प्रदान की जाने वाली पारंपरिक शिक्षा पद्धति का विकल्प नहीं हो सकती। हमें कृत्रिम बुद्धिमता और वृहद डाटा का उपयोग करते हुए प्रत्येक बच्चे को व्यक्तिगत रूप से शिक्षा प्रदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वेदों और उपनिषदों के समृद्ध इतिहास के साथ हमें एक बार फिर दुनिया की ज्ञान राजधानी या विश्वगुरू बनने का प्रयास करना चाहिए।
14 इंजीनियरिंग कॉलेजों का अभिनंदन
नायडू ने कहा, मैं देश के 8 राज्यों में स्थित उन 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों का अभिनंदन करता हूं जिन्होंने नए शिक्षा सत्र से कुछ चुने हुए पाठ्यक्रमों को क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, मुझे यह भी संतोष है कि नई शिक्षा नीति के अनुसार ही एआईसीटीई ने हिंदी, तेलुगु, मराठी, गुजराती, उड़िया, बांग्ला, असमिया, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी जैसी 11 स्थानीय मातृभाषाओं में बीटेक पाठ्यक्रमों को मान्यता दी है। यह सही दिशा में लिया गया सही कदम है।
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