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सियासत : पंजाब कांग्रेस में घमासान के बीच सिद्धू का शक्ति प्रदर्शन आज, नजर टकसाली नेताओं पर

अमर उजाला नेटवर्क, चंडीगढ़ Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Wed, 21 Jul 2021 05:07 AM IST

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पंजाब कांग्रेस में मचे घमासान के बाद पार्टी के निवनियुक्त प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू आज अमृतसर में पहली बैठक बुलाकर शक्ति प्रदर्शन करेंगे। पार्टी के आधे से ज्यादा विधायक इस बैठक में नजर आएंगे। इस दौरान टकसाली नेताओं की खामोशी खुलने का इंतजार रहेगा। कैप्टन के करीबी कहे जाने वाले राजकुमार वेरका भी सिद्धू के खेमे में आ गए हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पार्टी के टकसाली नेताओं की नब्ज टटोल रहे हैं। पार्टी के पुराने दिग्गज अभी कैप्टन के साथ हैं और सिद्धू की नियुक्ति पर खामोशी साधे हुए हैं। दिग्गज नेताओं से रणनीति के बाद ही कैप्टन का अगला कदम तय होगा।

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उधर, सिद्धू लगातार चौथे दिन मंगलवार को प्रदेश के कांग्रेसी मंत्रियों, विधायकों और सीनियर नेताओं के साथ मेल-मिलाप की अपनी मुहिम में जुड़े रहे। इस मुहिम का ही असर है कि सोमवार को कैप्टन के आवास पर उन्हें समर्थन देने पहुंचे विधायक राजकुमार वेरका मंगलवार को अमृतसर में सिद्धू के साथ नजर आए। ऐसे में कैप्टन के खेमे में समर्थकों की गिनती घटती नजर आ रही है। प्रदेश के अधिकांश मंत्री और विधायक अब सिद्धू की नियुक्ति पर आलाकमान के फैसले को सही ठहरा रहे हैं। हालांकि, पार्टी की दिग्गज टकसाली नेता अभी भी खामोश हैं। उन्होंने सिद्धू की नियुक्ति पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। 

बीते चार दिनों में सिद्धू की सरगर्मी और कैप्टन की खामोशी ने साफ कर दिया है कि पंजाब में कांग्रेस दोफाड़ हो चुकी है। सिद्धू पूरी पार्टी को अपने पक्ष में एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं तो कैप्टन माफी वाली शर्त पूरी होने तक किसी भी कीमत पर आलाकमान के फैसले को मानने को तैयार नहीं दिख रहे। कैप्टन के प्रति सिद्ध के रवैये में भी कोई बदलाव नहीं आया है। सिद्धू अभी तक न तो  कैप्टन से मिले और न ही किसी मौके पर उन्होंने कैप्टन का जिक्र किया। वहीं, कैप्टन की खामोशी को लेकर सियासी हलकों में कई तरह की चर्चाएं  शुरू हो गई हैं, क्योंकि पंजाब में कांग्रेस सरकार की कमान और विधायक दल की कमान उनके ही हाथ में है।

बिना माफी पंजाब कांग्रेस का पटरी पर लौटना मुश्किल
 मंगलवार को सिद्धू के सबसे करीबी रहे विधायक परगट सिंह ने बयान जारी कर साफ कर दिया है कि सिद्धू को माफी मांगने की जरुरत नहीं है। कैप्टन को ही वादे पूरे न करने के लिए पंजाब की जनता से माफी मांगनी चाहिए। हालांकि माफी को लेकर नवजोत सिद्धू की तरफ से कोई बयान नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि सिद्धू को पार्टी और सरकार के बीच सामंजस्य बैठाने और कैप्टन के कद को देखते हुए कुछ झुकना ही पड़ेगा।

कैप्टन इस समय पंजाब कांग्रेस विधायक दल के नेता भी हैं और राज्य सरकार के प्रमुख भी हैं। सरकार में सभी मंत्रियों और विधायकों के लिए उनकी बात मानना भी सांविधानिक शर्त है। ऐसे में सिद्धू के लिए कैप्टन को अनदेखा कर कोई भी एकतरफा फैसला लेना, कांग्रेस सरकार के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकता है। वहीं, सिद्धू जिन्हें हाईकमान का वरदहस्त हासिल है, का कद इतना बड़ा नहीं हुआ है कि विधायक दल के नेता को हटा या बदल सकें। वर्तमान में सिद्धू के लिए कैप्टन को भी साथ लेकर चलना उनकी सियासी मजबूरी है और यह तभी संभव होगा जब वे कैप्टन की शर्त मानें और उनसे मुलाकात करें।

अब सिद्धू का पीछा करेंगे, कैप्टन पर दागे हुए ट्वीट
बीते तीन महीनों के दौरान नवजोत सिद्धू ने अपने जिन ट्वीटों से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर लगातार हमले किए थे, वही ट्वीट अब सिद्धू के प्रदेश प्रधान बनने के बाद सवालों के रूप में उनके सामने खड़े होने वाले हैं। सिद्धू बेअदबी के मामलों में दोषियों को सजा न दिलाना, शराब माफिया, ड्रग माफिया खत्म करने नहीं कर पाने के लिए कैप्टन को कठघरे में खड़ा करते रहे हैं। अब पार्टी प्रमुख और प्रदेश सरकार के हिस्से के तौर पर इन्हीं सवालों का जवाब सिद्धू को देना होगा। चुनाव मेनिफेस्टो के तहत जनता के किए वादे पूरे नहीं कर पाने के लिए पार्टी प्रधान को लोगों के साथ-साथ विपक्ष के सवालों का सामना करना पड़ेगा। सिद्धू की मुश्किल यह भी रहेगी कि विधानसभा चुनाव में अब बहुत कम समय बचा है और वे वादे पूरे न होने के लिए अब कैप्टन या अपनी सरकार को दोषी नहीं ठहरा सकेंगे, बल्कि उन्हें इस मोर्चे पर पार्टी का बचाव करना होगा।

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