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Hindi NewsInternationalRockets Were Fired Near Rashtrapati Bhavan During Eid Prayers In Kabul, President Ashraf Ghani Could Have Been On Target
एक घंटा पहले
बकरीद की नमाज के दौरान हुए इस हमले में बड़ा नुकसान होने की आशंका है, तालिबान पर इस हमले का शक है।
अफगानिस्तान में ईद की नमाज के दौरान रॉकेट हमला हुआ है। टोलो न्यूज के मुताबिक, काबुल में ये हमला जिस जगह हुआ, वहां से राष्ट्रपति भवन बेहद करीब है। इस हमले को लेकर माना जा रहा है कि हमले का निशाना राष्ट्रपति अशरफ गनी हो सकते थे।
शुरुआती जानकारी के मुताबिक बकरीद की नमाज की वजह से बड़ी संख्या में लोग काबुल के एक मैदान में जमा थे, तभी एक के बाद एक रॉकेट वहां गिरे। फिलहाल हमले में हुए नुकसान की जानकारी नहीं मिल सकी है। इन रॉकेट्स को परवान-ए-सी इलाके से दागा गया था और ये काबुल के पहले जिले के बाग-ए-अली और चमन-ए-होजोरी इलाके में और काबुल के दूसरे जिले के मनाबे बाशरी इलाके में गिरे।
भारतीय पत्रकार दानिश भी क्रॉस फायरिंग का शिकार हुए थेअफगानिस्तान के कंधार में 16 जुलाई को तालिबानियों और सिक्योरिटी फोर्सेस की मुठभेड़ के दौरान भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत हो गई थे। वे न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के लिए काम करते थे। 2018 में उन्हें पुलित्जर अवॉर्ड दिया गया था। टोलो न्यूज के मुताबिक, स्पिन बोल्डक जिले में दानिश मौजूदा हालात को कवर कर रहे थे। अफगानिस्तान की स्पेशल फोर्सेस जब एक रेस्क्यू मिशन पर थी, तब दानिश उनके साथ मौजूद थे।
जहां दानिश की हत्या हुई, वहां तालिबान के साथ पाकिस्तानी झंडाअफगानिस्तान के जिस स्पिन बोल्डक इलाके में 16 जुलाई को भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की हत्या कर दी गई, वहां अब तालिबान और पाकिस्तान के झंडे साथ में लहराते दिख रहे हैं। तालिबान के लिए पाकिस्तान का समर्थन खुलकर सामने आ गया है। हाल ही में पाकिस्तान के 10 हजार लड़ाकों को अफगानिस्तान के वॉर-जोन भेजा गया है, ताकि वे आतंक फैलाने में तालिबान का साथ दे सकें और भारत के बनाए इंफ्रास्ट्रक्चर को बर्बाद कर सकें।
खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने इन लड़ाकों को आदेश दिया है कि अफगानिस्तान में भारत ने जो इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कराया है, उसे तबाह करना है। हालांकि कई साल से आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान में भारत के असेट्स को नुकसान पहुंचा रहा है। इस संगठन काे पाकिस्तान का समर्थन मिला हुआ है।
अफगानिस्तान में तेजी से कब्जा कर रहा है तालिबानकरीब 20 साल अफगानिस्तान में रहने के बाद अमेरिकी सेना वापस लौट चुकी है। अमेरिकी सैन्य टुकड़ियों की रवानगी के साथ ही खबरें आने लगीं कि जिस तालिबान को खत्म करने के लिए अमेरिका ने पश्चिमी देशों के साथ मिलकर युद्ध लड़ा, वह फिर अफगानिस्तान के कई हिस्सों में अपना कब्जा जमाना शुरू कर चुका है।
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