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- Pegasus | Phone Hacking | Spying On Journalists | Governments Around The World Spied On 180 Journalists Including 38 From India Latest News And Updates On Phone Hacking
2 घंटे पहले
दुनियाभर में सरकारों ने पत्रकारों की जासूसी के लिए इजराइल के सॉफ्टवेयर पेगासस की मदद ली है। रविवार को 16 मीडिया समूहों की साझा पड़ताल के बाद जारी रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है। इधर, इस बाद का भी खुलासा हुआ है कि दुनियाभर में 180 से ज्यादा 180 रिपोर्टरों और संपादकों को सरकारों ने अपनी निगरानी सूची में रखा। इन देशों में भारत भी शामिल है, जहां सरकार और प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करने वाले पत्रकार निगरानी के दायरे में थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में पेगासस के क्लाइंट्स ने ऐसे पत्रकारों की जासूसी कराई, जो सरकार की नाकामियों को उजागर करते रहे हैं या जो उसके फैसलों की आलोचना करते रहे हैं। एशिया से लेकर अमेरिका तक में कई देशों ने पेगासस के जरिए पत्रकारों की जासूसी की या उन्हें निगरानी सूची में रखा। रिपोर्ट में दुनिया के कुछ देशों के नाम भी दिए गए हैं, जहां पत्रकारों पर सरकार की नजरें हैं। लिस्ट में टॉप पर अजरबैजान है, जहां 48 पत्रकार सरकारी निगरानी सूची में थे। भारत में यह आंकड़ा 38 का है
किस देश में कितने पत्रकारों पर नजर
- अजरबैजान – देश में दमन और भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले कम से कम 48 पत्रकारों पर सरकार निगरानी रख रही है।
- मोरक्को – सरकार के भ्रष्टाचार और मानव अधिकार उल्लंघन की आलोचना करने वाले कम से कम 38 पत्रकार निगरानी सूची में हैं।
- UAE – फाइनेंशियल टाइम्स के एडिटर और द वॉल स्ट्रीट जर्नल के इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टर समेत कम से कम 12 पत्रकारों की निगरानी की जा रही है।
- भारत – देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचकों समेत 38 पत्रकारों की निगरानी की जा रही थी।
- इनके अलावा मैक्सिको, हंगरी, बेहरीन, काजिकिस्तान और रवांडा में भी सरकारों ने पत्रकारों की जासूसी कराई।
पेगासस ने आंकड़ों को गलत बताया
इस लिस्ट के सामने आने के बाद पेगासस की पेरेंट कंपनी NSO ग्रुप ने इसे अंतरराष्ट्रीय साजिश करार दिया है। कंपनी ने कहा, ‘पेगासस इस्तेमाल करने वाले देशों की लिस्ट पूरी तरह गलत है। इनमें से कई तो पेगासस के क्लाइंट्स भी नहीं हैं।’
NSO ग्रुप ने फोन हैकिंग पर रविवार को जारी की गई रिपोर्ट को भी गलत बताया है। NSO के बयान में कहा गया, ‘रिपोर्ट गलत अनुमानों और अपुष्ट थ्योरी से भरी हुई है। यह रिपोर्ट ठोस तथ्यों पर आधारित नहीं है। रिपोर्ट में दिया गया ब्योरा हकीकत से परे है।’
पेगासस सॉफ्टवेयर ऐसे काम करता है
पेगासस के जरिए जिस व्यक्ति को टारगेट करना हो, उसके फोन पर एसएमएस, वॉट्सएप, आई मैसेज (आईफोन पर) या किसी अन्य माध्यम से एक लिंक भेजा जाता है। यह लिंक ऐसे संदेश के साथ भेजा जाता है कि टारगेट उस पर एक बार क्लिक करे। सिर्फ एक क्लिक से स्पाइवेयर फोन में एक्टिव हो जाता है। एक बार एक्टिव होने के बाद यह फोन के एसएमएस, ईमेल, वॉट्सएप चैट, कॉन्टैक्ट बुक, जीपीएस डेटा, फोटो व वीडियो लाइब्रेरी, कैलेंडर हर चीज में सेंध लगा लेता है।