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- Fearful Of Malala’s Thinking In Pakistan, Fundamentalists Called Her Anti Islamic, Banned Her Books
इस्लामाबादएक घंटा पहले
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पाकिस्तान की इस कार्यकर्ता के खिलाफ उन्हीं के देश के निजी स्कूल खड़े हो गए हैं।
मलाला यूसुफजई, जिन्होंने महज 17 साल की उम्र में कट्टरपंथियों के खिलाफ जंग छेड़ी। बच्चों-युवाओं के दमन के खिलाफ आवाज उठाई। उनकी शिक्षा के लिए संघर्ष किया और उन्हें अधिकार दिलाने के लिए अभियान भी चलाया। इस काम को लेकर 2014 में मलाला को प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था। लेकिन, पाकिस्तान की इस कार्यकर्ता के खिलाफ उन्हीं के देश के निजी स्कूल खड़े हो गए हैं।
निजी स्कूल संगठनों ने एक ‘एंटी मलाला’ डॉक्यूमेंट्री भी जारी की है। इसमें कहा गया है कि मलाला ने ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ की वकालत की थी, जो इस्लाम के खिलाफ है। स्कूल संगठन के अध्यक्ष काशिफ मिर्जा ने कहा-‘देश के 2 लाख निजी स्कूलों में मलाला की असलियत बताई जाएगी। डॉक्यूमेंट्री के जरिए 2 करोड़ छात्रों को मलाला के एजेंडे के बारे में बताया जाएगा और पूरे पाकिस्तान में उन्हें एक्सपोज किया जाएगा।’
मलाला की किताब में विवादास्पद सामग्रियां होने का आरोप
काशिफ मिर्जा ने कहा कि मलाला की किताब ‘आई एम मलाला’ में काफी विवादास्पद सामग्रियां शामिल हैं, जो इस्लाम की शिक्षा, कुरान, इस्लाम की विचारधारा और पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना और पाक सेना के खिलाफ हैं। यह किताब उन पश्चिमी ताकतों के इशारे पर लिखी गई है, जिन्होंने मलाला का इस्तेमाल अपने गुप्त उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया है। मलाला ने किताब में पाक सेना को ‘आतंकवादी’ घोषित किया है। इसलिए इस किताब को सीज कर दिया गया है।