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मनोज वाजपेयी का इंटरव्यू:एक्टर ने कहा- जितनी बार खारिज किया जाएगा, उतनी ही ज्यादा आप खुद पर मेहनत करते हैं, नतीजे तभी मिलते हैं

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नई दिल्ली2 घंटे पहलेलेखक: शोमा चौधरी

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बॉलीवुड कलाकार वाजपेयी कहते हैं- संघर्ष जिंदगीभर चलता है, हार नहीं माननी चाहिए। -फाइल फोटो - Dainik Bhaskar

बॉलीवुड कलाकार वाजपेयी कहते हैं- संघर्ष जिंदगीभर चलता है, हार नहीं माननी चाहिए। -फाइल फोटो

हममें में से बहुत से लोग ऐसे हैं, जो अपने मन मुताबिक काम नहीं कर पाते। चंद लोग ही ऐसे हैं जिन्हें ये आशीर्वाद मिला है कि वो चीजें कर सकते हैं, जो उन्होंने सोची हैं। यह संघर्ष जिंदगीभर चलता रहता है। पर हमें हार नहीं माननी चाहिए। यह कहना है ख्यात बॉलीवुड कलाकार और थियेटर आर्टिस्ट मनोज वाजपेयी का।

हाल ही में उनके सीरियल फैमिली मैन का दूसरा भाग आया है। इस मौके पर उन्होंने अस्वीकृति, चुनौतियां, आध्यात्मिकता, फिल्म इंडस्ट्री में बाहरी होने के नाते पेश आई मुश्किलें और जगह बनाने की जद्दोजहद के बारे में मीडिया प्लेटफॉर्म इनक्वॉयरी से खास बातचीत की।

मेरे पास कभी खाने और कपड़ों के लिए भी पैसे नहीं थे, जिंदगी से जद्दोजहद जरूरी है, तभी इंसान की कद्र होती है
20-21 साल का था, जब गांव में सब छोड़कर आया था। बहुत कोशिशें की पर हर बार अस्वीकृति मिलती थी। बहुत बुरा लगता था, खासकर मेरे जैसे शख्स, जिसके पास कोई ‘प्लान बी’ न हो। डीयू में था जब तीनों साल पढ़ाई आखिरी महीने में ही की। पूरा ध्यान थियेटर और एक्टिंग पर लगा रखा था।

एनसडी में प्रवेश के लिए बहुत कोशिशें की पर विफलता ही मिली। जब आप रिजेक्ट होते हैं, तो पता नहीं होता करना क्या है, कहां जाना है। पर जितनी बार रिजेक्शन मिलता है, आप खुद पर और ज्यादा काम करते हैं। ये प्रक्रिया रुकती नहीं और रुकनी भी नहीं चाहिए।

हमें जिद पर डटे रहना चाहिए
इतना कुछ होने पर भी मैंने रास्ता नहीं बदला। और ज्यादा थियेटर करने लगा। कई बार घर से मंडी हाउस तक जाने के पैसे नहीं होते थे। 7-8 किमी के सफर में कैरेक्टर के बारे में सोचता, डॉयलाग याद करता, कभी बच्चों जैसे खुद से अंग्रेजी में बातें करताा। खाने के पैसे नहीं होते थे, कपड़ों के लिए दोस्तों पर निर्भर रहना पड़ता था। पर जुटा रहा। जिंदगी से दो-चार जरूरी है। जब आप खुद पर मेहनत करते हैं तो इसके नतीजे मिलते हैं, आपकी कद्र होती ही है।

इंडस्ट्री में जगह
मैं बाहरी था, काफी आलोचना होती थी। मैंने इन आलोचनाओं को ही ताकत बना लिया। खुद पर बहुत काम किया। जब तक हम खुद के प्रति सख्त नहीं होंगे। अच्छे नतीजे कैसे दे पाएंगे। मैंने हर उस रिव्यू की कटिंग पास रखी, जिसमें बुराई की गई थी। इंडस्ट्री के लोगों ने मेरे रंग, देखाव पर व्यंग्य किए। इन्हीं चीजों ने मुझे ज्यादा संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

नायक होने का अहसास
ये भावना अंदर से आती है। आप नौवीं मंजिल या बीसवी मंजिल से कूदना चाहते हैं, तो आपके पास यह कौशल होने चाहिए ताकि चोट न लगे। मुझे इस बात का अहसास था कि मैं बेहतर कर सकता हूं। इसलिए कभी हीनता का भाव पनपने नहीं दिया। ये तैयारी ही आपको मजबूत बनाती है।

आध्यात्मिकता पर क्या बोले वाजपेयी
जीवन में आध्यात्मिकता जरूरी है। मैं ध्यान करता हूं, यौगिक नियमों का पालन करता हूं। आध्यात्मिकता आपके पूरे आभामंडल पर असर डालती है। जाहिर है इसका असर आपके काम पर भी दिखता है।

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