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- 15 People Posted In Vikram University Will Get Compassionate Appointment, Will Prevent Website Hacking By Taking Training In Kanpur; Vice Chancellor Took The Decision
उज्जैन5 घंटे पहले
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राहुल पहले यूनिविर्सटी में चपरासी रह चुके हैं।
प्रदेश के सबसे बड़ी और पुरानी माने जाने वाली उज्जैन की विक्रम यूनिवर्सिटी में अब चपरासियों को सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनाया जाएगा। यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने इसके लिए 15 ऐसे लोगों का चयन किया है। इनमें 12वीं पास से ज्यादा पढ़े लोगों को चुना गया है। वर्तमान में ये लोग विश्वविद्यालय में चपरासी के पद पर कार्यरत हैं। इन 15 लोगों को कानपुर में ट्रेनिंग दिलवाई जाएगी।
विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार पांडेय ने बताया कि यूनिवर्सिटी में काफी समय से अनुकंपा नियुक्तियों के मामले पेंडिंग पड़े थे। मैंने देखा, तो फाइलें निकलवाना शुरू कीं। ऐसे लोग तलाशे गए जो योग्य होने के बावजूद अनुकंपा नियुक्ति पर चपरासी पद पर काम कर रहे हैं। इसके तहत 15 लोगों का चयन किया गया है। ये लोग 12वीं से ग्रेजुएशन तक पढ़े हैं। साथ ही, कंप्यूटर की बेसिक जानकारी भी है। अब इन्हें आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।
सभी को कानपुर यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर और सॉफ्टवेयर संबंधित ट्रेनिंग दिलवाई जाएगी। नियम होने के चलते उन्हें क्लास फोर्थ में ही अनुकंपा नियुक्ति देना पड़ती है। ऐसे में चपरासी का काम करना उनके लिए चुनौती रहता है। उनके कैरियर और क्षमता को देखते हुए हमने चर्चा की। इसमें कमेटी भी बनाई। तय किया कि जिन लोगों में आगे बढ़ने का उत्साह है, उनको कंप्यूटर की ट्रेनिंग दी जाए। इसके बाद ये लोग विश्वविद्यालय की वेबसाइट को हैक होने से बचाने का काम करेंगे। साथ ही, रिजल्ट बनाने में भी मदद करेंगे। प्रबंधन के इस निर्णय से सभी लोगों में उत्साह है।
विश्वविद्यालय में अनुकंपा में चपरासी के पद पर काम कर रहे राहुल ने बताया कि मैंने ग्रेजुएशन किया है। फिर भी यहां चपरासी का काम करता हूं। अगर हमको ट्रेनिंग मिलेगी, तो मैं जरूर जाउंगा। कंप्यूटर का बेसिक नॉलेज है। अब सॉफ्टवेयर की नॉलेज लेकर आगे बढ़ेंगे।
कई बार हैक हो चुकी है वेबसाइट
कुलपति ने बताया, विश्व विद्यालय प्रशासन वेबसाइट हैक होने से कई सालों से परेशान है। कई बार पाकिस्तानी हैकरों ने वेबसाइट हैक कर ली है। कुलपति का फेसबुक अकाउंट तक हैक हो गया। बता दें, विश्वविद्यालय की वेब साइट का मेंटेनेंस उज्जैन की एंटायर टेक्नोलॉजी नाम की कंपनी के हाथों में है। इसके लिए हर साल 60 हजार रुपए का भुगतान भी किया जाता है।