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- The Government Bungalow Was Decorated With Lighting, The Procession Came From Ujjain, The MP Got Rampura’s Chanchal And Sandhya Married At His Own Expense
भोपालएक घंटा पहले
सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ने दूल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद दिया।
भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के सरकारी 74 बंगले बी 29 पर बुधवार रात को उज्जैन से बारात आई। यहां रामपुरा की चंचल का विशाल और संध्या का सागर से विवाह संपन्न हुआ। विवाह समारोह में साध्वी प्रज्ञा सिंह ढोल नगाड़ों पर भी खूब थिरकीं। बेटियों के माता-पिता के विवाह समारोह की तैयारियों को देख कर खुशी के आंसू नहीं रुकें। सांसद के सरकारी बंगले को लाइटिंग, टेंट और कारपेट बिछा कर सजाया गया था।
शादी समारोह में शामिल पंडित चंद्रशेखर तिवारी ने बताया कि उज्जैन से दुबे परिवार के विशाल और सागर दोनों भाइयों की बारात आई, जिनका विवाह टीला रामपुरा में रहने वाले नर्मदा प्रसाद मिश्रा की दोनों बेटियां चंचल और संध्या से हुआ। बारात का दरवाजा पर स्वागत किया गया। दूल्हाें को तिलक लगाया गया। जनेऊ संस्कार कराया गया। फिर वरमाला हुई। सांसद ने दोनों वर-वधू को आशीर्वाद दिया। इससे पहले संगीत कार्यक्रम में सांसद परिजनों के साथ ढोल नगाड़ों पर नाचीं।
चंद्रशेखर तिवारी ने बताया कि पूरे बंगले को लाइटिंग से सजाया गया था। टेंट लगाया गया। मंच स्टेज और गेट लगाया गया। ग्राउंड में कारपेट लगाई गई। यहां पर आर्केस्ट्रा में भजन और पुराने गीत भी बजे। इस अवसर पर सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है तो यह दोनों बच्चियों का विवाह करा रही हूं। आने वाले समय में ऐसे ही जरूरतमंद लोगों के साथ एक परिवार की तरफ सुख-दुख को बांटेगे। भारत भक्ति आखड़ा के सानिध्य में संपन्न विवाह समारोह हुआ।
सांसद से मांगी थी मदद
बेटियों के पिता नर्मदा प्रसाद ने सांसद से लॉकडाउन में काम धंधा बंद होने के कारण आर्थिक तंगी के चलते बेटियों की शादी के लिए मदद की गुहार लगाई थी। इसके बाद सांसद ने दोनों बेटियों के विवाह कराने के जिम्मेदारी ली थी।
भोपाल के टीला रामपुरा में रहने वाले नर्मदा प्रसाद मिश्रा अपनी पत्नी के साथ मजदूरी कर घर का गुजारा चलाते हैं। नर्मदा प्रसाद के घर में उनकी दो बेटियां चंचल और संध्या भी है। दोनों बेटियों की उम्र शादी करने लायक होने के बाद नर्मदा प्रसाद ने उनके लिए उज्जैन के नानूखेड़ा गांव में एक किसान परिवार के बेटों को पसंद किया, लेकिन गरीब मां-बाप की मजबूरी ऐसी की उनके पास अपनी बेटियों को देने के लिए पांच बर्तन तक नहीं थे। कोरोना के कारण लॉकडाउन लगने की वजह से काम-धंधा चौपट होने से घर चलाना भी मुश्किल हो रहा था।