May 12, 2024 : 6:27 PM
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साइबर क्राइम के गढ़ से लौटी MP पुलिस का खुलासा:झारखंड के जामताड़ा के 308 गांवों से फ्रॉड, सबसे बड़ा चीटर ही गांव का हीरो; ऐसे लड़के ही लड़कियों की पहली पसंद

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  • Fraud From 308 Villages Of Jamtara, Jharkhand, The Biggest Cheater Is The Hero Of The Village; Such Boys Are The First Choice Of Girls

भोपालएक घंटा पहलेलेखक: अनूप दुबे

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  • नक्सली इलाकों में बैठकर ऑनलाइन फ्रॉड का कारोबार चला रहे
  • बैंक और प्रशासन तक में पहुंच होने के कारण बच रहे

साइबर फ्रॉड का खुलासा करने झारखंड पहुंची भोपाल पुलिस पर हमला कर दिया गया। गाड़ी फोड़ दी गई। यह करने वाली वहां की महिलाएं थीं, जो आरोपियों को भगाना चाहती थीं। बावजूद पुलिस उन्हें भोपाल ले आई। दरअसल, मध्यप्रदेश समेत देश भर में लोगों को फोन कॉल कर धोखाधड़ी का शिकार बना रहे साइबर फ्रॉड झारखंड के जामताड़ा के 308 गावों से इसे संचालित कर रहे हैं। आरोपियों की बैंक और प्रशासन में अच्छी पहुंच होने के कारण हर बार बच निकलते हैं। गांव के लोग इन्हें बचाते हैं और एटीएम मास्टर कहलाते हैं। ऐसे लड़कों के लिए पहले रिश्ते आते हैं, जो फ्रॉड से सबसे ज्यादा कमाता है।

एसआई पारस सोनी ने बताया, गत दिनों ऑनलाइन फ्रॉड की शिकायत के बाद आरोपियों की लोकेशन जामताड़ा आई थी। करीब 10 लोगों की टीम के साथ आरोपियों को पकड़ने पहुंची। यहां गांव के अंदर से थोड़ा हटकर एक रास्ते पर आरोपियों की लोकेशन मिली। जैसे ही, टीम संदिग्ध के घर पहुंची, तो गांव की 100 से ज्यादा महिलाएं आ गईं। उनके साथ बच्चे भी थी, लेकिन पुरुष गायब थे। आरोपी को बचाने के लिए उन्होंने हमला कर दिया। गाड़ियों में तोड़फोड़ की, लेकिन दो आरोपियों को पकड़कर लाने में कामयाबी मिल गई।

झारखंड को छोड़ सभी जगह लोगों को कॉल कर दिया

आरोपियों ने बताया कि वे यह नेटवर्क मोबाइल फोन से ऑपरेट करते हैं। वह देश भर में हिंदी राज्यों में कॉल करते हैं। हालांकि वे झारखंड में किसी को भी कॉल नहीं करते। इसका कारण यह है कि वे लोकल पुलिस को उनके खिलाफ जांच शुरू नहीं करवाना चाहते।

ATM मास्टर कहलाते हैं

एअसाई सोनी ने बताया, झारखंड में साइबर फ्रॉड को क्राइम नहीं माना जाता है। उनका मानना है, सिर्फ मारपीट करना, लूट और चोरी को वे अपराध मानते हैं। इस तरह से पैसा कमाने वालों को यहां ATM मास्टर कहा जाता है। वहां शादियां वहां पक्की जाती हैं, जो जितना बड़ा ATM मास्टर है। पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए लड़की की शादी का बात कर फंसाया था। इसके बाद एक-एक कर आरोपियों को पकड़ा।

गांव वालों की मदद करते हैं

आरोपियों ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों ने कई तरह के खुलासे किए। इसमें एक था कि आरोपी जिस गांव में रहते हैं, वहां लोगों की मदद करते हैं। शादी करने के लिए पैसे देना। उधार और अन्य तरह से पैसों की मदद करते हैं। इस कारण गांव वाले हमेशा इनके पक्ष में रहते हैं। झारखंड के अलावा किसी और स्टेट की गाड़ी इनके इलाकों में पहुंचती है, तो पेट्रोल पंप से लेकर गांव के बाहर बैठे लोग तत्काल आरोपियों को सूचना दे देते हैँ। ऐसे में आरोपी वहां से जंगलों की तरफ भाग जाते हैं। नक्लसी इलाका होने के कारण पुलिस पीछा करने से बचती है।

तीन जिलों में ज्यादा सक्रिय

पुलिस से बचने के लिए झारखंड के तीनों जिलों में जालसाजों के ज्यादातर ठिकाने घने जंगल के बीच में हैं। इसमें जामताड़ा और देवघर सबसे मुख्य हैं। दोनों ही जिले देश में सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित क्षेत्र माने जाते हैं। महज 10वीं या 12वीं पास बेरोजगार युवकों को तनख्वाह पर रखकर देशभर में जालसाजी करवाई जाती है। बाकायदा कॉल सेंटर की तर्ज पर काम करते हुए ये गिरोह लोगों को कॉल कर उन्हें झांसा देते हैं।

बंगाल और उड़ीसा से सिम मंगाते हैं

आरोपी झारखंड में कोई अपराध नहीं करते। यह फ्रॉड नेटवर्क आरोपी मोबाइल फोन से ही चलाते हैं। इसके लिए सिम बंगाल और उड़ीसा से 2 हजार रुपए में खरीदते हैं। दोनों राज्यों में सिम का फर्जीवाड़ा काफी संख्या में है। यहां पर एक-एक आदमी के नाम पर 5 से छह सिम हैं। आरोपी कॉल करने के बाद पैसा आते ही सिम और मोबाइल फोन को तोड़कर फेंक देते हैं।

इस तरह चलता है नेटवर्क

आरोपी गरीब लोगों के बैंक खातों के बदले उन्हें पैसा देते हैं। ग्राहक से यह रुपए एक खाते में डलवाते हैं। उसके एक सेकंड बाद ही रुपए दूसरे खाते और फिर तीसरे खाते में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं। तीसरे बैंक खाते में रुपए पहुंचते ही पहले से ATM के पास खड़े व्यक्ति को फोन किया जाता है। वह तत्काल ही रुपए निकाल लेता है। इसके बाद ATM को भी फेंक दिया जाता है।

बैंक तक से जुड़े तार

आरोपियों ने बताया कि उनकी बैंकों में भी पहचान होती है। जैसे ही, बैंक ग्राहक से जुड़ी कोई योजना या कुछ नया करता है, तो उन्हें पता चल जाता है। ऐसे में वह उसी को लेकर ग्राहक को फोन लगाना शुरू कर देते हैं। इस फ्रॉड में सीनियर जूनियर भी चलता है।

कई बार इस तरह की समस्या आती है

गत दिनों भोपाल साइबर क्राइम ब्रांच की टीम झारखंड आरोपियों को पकड़ने गई थी, तो वहां की महिलाओं ने उन्हें घेर लिया था। आरोपियों के सपोर्ट में सभी आ गए थे। बड़ी मुश्किल से आरोपियों को पकड़कर ला पाए। किसी भी पुलिसकर्मी को चोट नहीं आई है। स्थानीय सपोर्ट नहीं मिलने से कई बार इस तरह की स्थिति बनती है।
– अंकित जैसवाल, एएसी जोन-1 और साइबर क्राइम

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