उज्जैन5 घंटे पहले
12 जुलाई को निकलेगी रथयात्रा।
उज्जैन के भरतपुरी स्थित इस्कॉन मंदिर में राधा-कृष्ण और बलराम को ठंड देकर बुखार आ गया है। बताया जा रहा है कि उन्हें कोरोना हो गया है। ठीक होने के लिए उन्हें क्वारंटाइन किया गया है। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए उन्हें पनीर और काढ़ा भी दिया जा रहा है। 12 जुलाई को रथयात्रा निकाली जाएगी। उत्सव के लिए तीनों के लिए बंगाली कलाकार जापानी मोतियों और कढ़ाई कर ड्रेस तैयार कर रहे हैं। तीनों ड्रेस की लागत डेढ़-डेढ़ लाख रुपए है।
इस्कॉन मंदिर द्वारा शहर में रथयात्रा निकालने के लिए तैयारी की जा रही है। रथ की सजावट का काम शुरू हो गया है। दूसरी ओर रथयात्रा के लिए वस्त्र भी बनाए जा रहे हैं। मंदिर के पीआरओ राघव पंडित दास के अनुसार भगवान की ड्रेस के लिए दिल्ली से प्योर सिल्क का कपड़ा लाया गया है। इस पर जापानी मोतियों की कारीगरी की जा रही है। बंगाली कलाकार मंदिर परिसर में ही ड्रेस तैयार कर रहे हैं। वस्त्रों की सिलाई भी जापानी धागे से हो रही है। एक ड्रेस पर ड्रेस पर करीब 1.5 लाख रुपए खर्च होंगे।
कोरोना काल में दुनिया भर में इम्युनिटी बढ़ाने की बात हुई तो 15 दिन के लिए भगवान कृष्ण-राधा समेत बलराम बीमार हो गए। उनके लिए भी प्रोटीन और काढ़े का इंतजाम किया गया है। रोजाना भगवान को लगने वाले भोग में प्रोटीन युक्त पनीर और काढ़ा दिया जा रहा है। बीमार होने के बाद इस्कॉन मंदिर के सभी भगवान फिलहाल क्वारंटाइन हैं। जल्द ही स्वस्थ होकर रथ यात्रा पर सवार होकर शहर भ्रमण पर निकलेंगे।
4.50 लाख रुपए के वस्त्र
भगवान कृष्ण के लिए सुंदर वस्त्र बनाए जा रहे हैँ। इसमें जापान के मोतियों का उपयोग किया जा रहा है।
मंदिर के पीआरओ राघव दास ने बताया कि पश्चिम बंगाल से आए 10 कलाकार भगवान की ड्रेस तैयार कर रहे हैं। ये सभी हाथों से नक्काशी और कारीगरी कर खूबसूरत वस्त्र भगवान के लिए बना रहे हैं। इसमें जगन्नाथ भगवान, सुमित्रा महारानी और बलदेव जी के वस्त्र जापानी मोती, जापानी गढ़ाई और सिल्क के कपड़े से बनी ड्रेस तैयार की गई है। बाकी ललिता देवी, विशाखा देवी, कृष्ण बलराम जी, राधा मदन मोहन, नृसिंह भगवान की ड्रेस समेत कुल 4 लाख 50 हजार के वस्त्र तैयार किए जा रहे हैं। भगवान के लिए बनाई जाने वाली ड्रेस में लगने वाला आमतौर पर बिकने वाले सिल्क से चार गुना महंगा सिल्क होता है।
फिलहाल अनुमति नहीं
राघव दास ने बताया कि धार्मिक सार्वजनिक उत्सवों, चल समारोह पर रोक के चलते मंदिर ने प्रशासन से रथयात्रा के लिए अनुमति मांगी है। रथयात्रा बुधवारिया से शुरू होकर पुराने और नए शहर के बीच से भरतपुरी स्थित गुंदेचा पहुंचती है। रथयात्रा निकालने के लिए प्रशासन से अनुमति के लिए पत्र दिया है।