फरीदाबाद4 घंटे पहले
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एनआईटी स्थित अपने आवास पर पत्रकाराें से वार्ता करते कांग्रेसी विधायक नीरज शर्मा व अन्य
जिले के एकमात्र कांग्रेसी विधायक और भाजपा निगम पार्षदों के बीच सियासत गरमा गई है। बीजेपी पार्षदों के धरने पर बैठने के बाद विधायक के घर निगम टीम द्वारा की गई तोड़फोड़ के विरोध में विधायक ने कहा कि सत्ताधारी बीजेपी पार्षदों के संरक्षण में निगम के अधिकारी 250 करोड़ का घोटाला कर चुके हैं। लेकिन उस पर पार्षद लामबंद नहीं हो रहे। उन्होंने सवाल किया कि तत्कालीन निगम कमिश्नर के आदेश के बाद भी अभी तक घोटाला करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सरकार कार्रवाई क्यों नहीं कर पाई। विधायक ने कहा कि अच्छा होता कि बीजेपी पार्षद मेरे परिवार के खिलाफ लामबंद होने के बजाय निगम में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुटता दिखाते। इससे शहर का ही भला होता।
विधायक व पार्षदों के बीच इसलिए पैदा हुआ विवाद
पिछले सप्ताह बीजेपी पार्षद सुरेंद्र अग्रवाल निगम के जेई राहुल तेवितया के साथ बूस्टर में देर रात बैठे हुए थे। उस समय सूचना मिलने पर एनआईटी से कांग्रेसी विधायक नीरज शर्मा माैके पर पहुंच गए और बूस्टर का गेट बाहर से बंद कर पुलिस बुला ली। विधायक का आरोप है कि बीजेपी पार्षद सरकारी भवन में बैठकर शराब पार्टी कर रहे थे। पुलिस को भी मौके पर शराब की बोतलें बरामद हुई थी। अभी इस मामले की जांच चल रही है।
इस मामले को मुददा बना धरने पर बैठ गए बीजेपी पार्षद
शराब पार्टी को लेकर विधायक द्वारा कराई गयी कार्रवाई के बाद एनआईटी क्षेत्र के पार्षद लामबंद हो गए। बीजेपी पार्षद महेंद्र सरपंच, जयवीर खटाना, सुरेंद्र अग्रवाल, ललिता यादव, दीपक चौधरी समेत कई अन्य भाजपा पार्षद पति निगम मुख्यालय पहुंच गए और निगम कमिश्नर डॉ. गरिमा मित्तल के आफिस मेें धरने पर बैठ गए। करीब एक घंटे तक हाईवोल्टेज ड्रामा चलता रहा। पार्षद सुरेंद्र अग्रवाल का आरोप है कि कांग्रेसी विधायक ने अपनी गली में अवैध रूप से कब्जा कर आम रास्ता दीवार बनाकर बंद कर रखा है। बीजेपी पार्षदों के दबाव में निगम कमिश्नर ने तोड़फोड़ दस्ते को विधायक के आवास पर भेजकर बनाई गयी दीवार तुड़वा दी।
जनता के हित में लामबंद होते ताे घोटाला न होता
शनिवार को मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए विधायक नीरज शर्मा ने कहा कि मेरे घर का खड़ंजा तोड़ने की कार्यवाही पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित और व्यक्तिगत है। बूस्टर पर शराब पीने के मामले को लेकर पार्षद की कारस्तानी उजागर होने के बाद मेरे परिवार के खिलाफ रंजिशन कार्यवाही की गई। उन्होंने कहा कि सरकारें आती हैं, जाती हैं। अफसरों को कानून के दायरे में रहकर काम करना चाहिए। भाजपा पार्षदों को भी यह बात ध्यान रखना चाहिए सरकारें तो आती-जाती रहेंगी। सदैव राज किसी का नहीं चलता। उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ व्यक्तिगत दुश्मनी को छोड़कर अगर पार्षद जनता के हितों के लिए इकट्ठे होते तो निगम में ढाई सौ करोड़ के घोटाले न होते। फाइलों में आग न लगती।
हिम्मत हो ताे भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई कराएं
विधायक ने बीजेपी पार्षदों को आड़े हाथों लेते हुए सवाल किया कि तत्कालीन निगम कमिश्नर यशपाल यादव ने जिन अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए सरकार को चिट्ठी लिखी, आज तक उस पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? बीजेपी पार्षदों में इतनी हिम्मत है तो वह 250 करोड़ रुपए खाने वाले अधिकारियों कार्रवाई कराएं। प्रेस वार्ता में पूर्व विधायक ललित नागर, बलजीत कौशिक अनीशपाल, गौरव ढींगड़ा, रूपा गौतम, अहसान कुरैशी, इकबाल कुरैशी, हरबीर मवई, रामेहर चौधरी, सुरेश पंडित, सौरभ चौधरी, रवि दत्त पंडित , पंकज शर्मा, ललित अधाना, भागवत कौशिक, हाजी मद्रासी, तुलरराम शास्त्री, अधिवक्ता केएल वशिष्ट, देशराज शर्मा, महेश शर्मा आदि मौजूद रहे।