May 14, 2024 : 9:40 AM
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कोरोना की तीसरी लहर से पहले वैक्सीन पर सर्वे: देश की 12% आबादी वैक्सीन नहीं लगवाना चाहती, 24% लोगों को वैक्सीन की सुरक्षा पर संदेह इसलिए इसे लगवाने की प्लानिंग नहीं की

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17 घंटे पहले

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देश में तीसरी लहर आने की चर्चा है। इसके बावजूद भी देश की 12 फीसदी आबादी कोविड-19 वैक्सीन नहीं लगवाना चाहती। अब तक जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाई है वो इसे लेकर क्या सोचते हैं, उनमें कितनी झिझक है, इसे समझने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म लोकलसर्किल ने सर्वे किया है। सर्वे कहता है, 29 फीसदी लोग ही वैक्सीन की पहली डोज के लिए प्लान कर रहे हैं।

देश के 279 जिलों में हुआ सर्वेसर्वे में देश के 279 जिले के 8,949 लोगों को शामिल किया गया। इसमें 65 फीसदी पुरुष और 35 फीसदी महिलाएं शामिल थीं। इनमें 48 फीसदी लोग टियर-1 सिटी से और 24 फीसदी टियर-2 सिटी से थे। वहीं, 28 फीसदी लोग टियर-3, 4 सिटी और ग्रामीण इलाकों से थे।

24% को वैक्सीन की सुरक्षा पर संदेह24 फीसदी लोगों ने वैक्सीन लगवाने के लिए अब तक नहीं सोचा है। वर्तमान में मौजूद वैक्सीन कोरोना के हालिया और दूसरे वैरिएंट्स से बचाने में असरदार है या नहीं, ये लोग यह बात तय ही नहीं कर पाए हैं। इनका मानना है, वैक्सीन पर और नई जानकारी सामने आने पर इसे लगवा सकते हैं।

23% लोगों को बीमारियों ने रोकासर्वे कहता है कि देश में 23 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जो बीमारियों या किसी न किसी हेल्थ इश्यू के कारण वैक्सीन नहीं लगवा पा रहे हैं। वहीं, 12 फीसदी का कहना है, साइडइफेक्ट के खतरों के बीच उन्होंने टीके से दूरी बना ली है।

33 करोड़ लोग वैक्सीन से दूरी बना सकते हैंसर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 33 करोड़ लोग वैक्सीन से दूरी बना सकते हैं। 20.3 करोड़ लोग पहली बार टीका उपलब्ध होने पर इसे लगवा सकते हैं। 16.8 करोड़ लोग वैक्सीन पर अधिक जानकारी मिलने तक इंतजार करेंगे। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगस्त से दिसम्बर के बीच में कोविड की तीसरी लहर डेल्टा प्लस वैरिएंट के साथ आ सकती है।

गांवों में वैक्सीन को लेकर भ्रमित हैं लोगग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी वैक्सीन को लेकर लोगों में भ्रम और गलत जानकारी फैली हुई है। असम जैसे राज्यों के गांवों में लोगों का मानना है, वैक्सीन लगवाने से मौत हो जाएगी। वहीं, शहर के लोगों को इस बात का इंतजार है कि कोरोना के खतरनाक वैरिएंट जैसे डेल्टा और डेल्टा प्लस पर कोवीशील्ड और कोवैक्सीन कितनी असरदार है। वो इस पर और अधिक आधिकारिक आंकड़े के इंतजार में हैं।

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