May 7, 2024 : 12:57 PM
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RTI में भारी गड़बड़ का खुलासा:CBSE के 150 में से 88 व हरियाणा बोर्ड के 350 स्कूलों में से सिर्फ 20 स्कूलों ने ही जमा कराया फॉर्म 6

फरीदाबाद8 घंटे पहले

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  • प्राइवेट स्कूल लाभ में होते हुए भी वसूलते हैं मनमानी फीस, अभिभावक एकता मंच ने जांच की मांग की।

CBSE के 150 में से 88 व हरियाणा बोर्ड के 350 स्कूलों में से सिर्फ 20 स्कूलों ने ही फॉर्म 6 जमा कराया है। अधिकांश स्कूलों ने फॉर्म 6 नहीं जमा कराया है, लेकिन इसके बाद भी फीस बढ़ा देते हैं। ये स्कूल नियमानुसार ऐसा नहीं कर सकते। लेकिन ये मनमानी कर बढ़ी हुई फीस वसूल रहे हैं। यही नहीं प्राइवेट स्कूल लाभ में होते हुए भी प्रतिवर्ष ट्यूशन फीस व अन्य फंड्स में वृद्धि कर अभिभावकों से मनमानी फीस भी ले रहे हैं। खासकर CBSE वाले स्कूल पैरेंट्स से वसूली गई फीस का इस्तेमाल अपने निजी व अपने अन्य संस्थानों पर खर्च करते हैं। इसका खुलासा RTI में हुआ है।

हरियाणा अभिभावक एकता मंच की ओर से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में RTI लगाकर CBSE व हरियाणा बोर्ड के उन सभी प्राइवेट स्कूलों की सूची मांगी थी जिन्होंने पिछले 3 सालों में बैलेंस शीट के साथ फॉर्म 6 जमा कराया है। वहां से मिली जानकारी के अनुसार निर्धारित अवधि 31 मार्च 2021 तक CBSE के 150 स्कूलों में से सिर्फ 88 ने फॉर्म 6 जमा कराया है। इसमें से 44 ने बैलेंस शीट ही नहीं लगाई है। उसी प्रकार हरियाणा बोर्ड के 350 स्कूलों में से सिर्फ 20 स्कूलों ने फॉर्म 6 जमा कराया है। उसमें से भी 10 ने बैलेंस शीट नहीं लगाई है। मंच ने अलग से CBSE के 36 स्कूलों की ओर से पिछले 3 सालों में बैलेंस शीट के साथ जमा कराए गए फार्म 6 की फोटोकॉपी भी मांगी थी। इसमें से डीएवी14, 37 व बल्लभगढ़, टैगोर, सेंट एंथोनी, एमवीएन 17 व अरावली, एपीजे, मॉडर्न डीपीएस, होली चाइल्ड, एडी स्कूल, अग्रवाल बल्लमगढ़, डीपीएस 19, 81 व बल्लभगढ़, सेंट थॉमस, तक्षशिला, आयसर, मानव रचना, मॉडर्न 17 का अधूरी बैलेंस शीट के साथ फार्म 6 प्राप्त हुआ है। शेष स्कूल ग्रैंड कोलंबस, डीएवी 49 व एनआईटी 3, अग्रवाल 3, रेयान, श्रीराम, फरीदाबाद मॉडल स्कूल, विद्यासागर, गोल्ड फील्ड 16 ने फार्म 6 व बैलेंस शीट जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा ही नहीं कराई है।

जांच में गैरकानूनी फंडों में फीस वसूली का खुलासा

मंच ने उपलब्ध बैलेंस शीट की जांच व पड़ताल मंच के वरिष्ठ सलाहकार सीए सतीश मित्तल से कराई है। जांच में पता चला है कि स्कूल प्रबंधकों ने लमसम आमदनी दिखाई है। ट्यूशन फीस के अलावा अन्य जिन गैर कानूनी फंडों में फीस वसूली गई है उनका नाम और उनमें वसूली गई फीस का जिक्र नहीं किया गया है। इसी प्रकार खर्चों में कई फालतू मद जैसे एडवरटाइजमेंट, लीगल, एनुअल फंक्शन, किताब कॉपी बेचने, वेलफेयर मनोरंजन, डोनेशन, दिवाली खर्च, टूर एंड ट्रैवल, प्लॉट व जमीन खरीदने आदि पर लाखों खर्च दिखाया है। जो पूरी तरह से गैरकानूनी है। इसके अलावा आमदनी व खर्च बराबर करने के लिए जो पैसा लाखों में लाभ के रूप में बचा उसे अदर खर्चों पर दिखा दिया गया। यह बात भी पकड़ में आई है कि लाभ के पैसे को अपने अन्य संस्थानों में ट्रांसफर किया गया है। जितने अध्यापक व कर्मचारियों के नाम व उनको दी गई सैलरी दिखाई है उसमें भी हेराफेरी की गई है। बिना कार्यरत अध्यापक व कर्मचारियों के नाम दर्शाए गए हैं। जितनी तनख्वाह उनके नाम के आगे दिखाई गई है वास्तव में वह उन्हें दी ही नहीं गई।

कर्मचारियों से साइन पूरे पर कराए और सैलरी दी आधी

स्कूल प्रबंधकों ने साइन पूरी तनख्वाह पर कराए हैं जबकि दी उससे आधी है। स्कूल की शिक्षण सोसायटी के चेयरमैन, एमडी, प्रबंधक व उनकी पत्नी आदि ने प्रति माह 5 लाख से ज्यादा तनख्वाह ली है। जबकि वे स्कूल से कोई भी पैसा लेने के हकदार नहीं होते हैं। मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा का आरोप है कि स्कूल प्रबंधकों ने जान बूझकर फॉर्म 6 के साथ बैलेंस शीट जमा नहीं कराई है। जिन्होंने जमा भी कराई है उसमें काफी हेराफेरी की गई है। मंच ने उदाहरण के रूप में बताया है कि डीएवी 37 की बैलेंस शीट में 2017-18 में 4 करोड़ व 2018-19 में दो करोड़ 31 लाख की बचत दिखाई गई है। उसके बाद भी इस स्कूल ने आगे फीस बढ़ाई व डेवलपमेंट फंड के रूप में लाखों रुपए अभिभावकों से वसूले।

इसी प्रकार डीएवी-14 ने फीस व सेल्स के रूप में 37 करोड़ से ज्यादा पैसे आमदनी में दिखाए हैं। किन-किन फंड व किन-किन मदों में सेल्स कर आमदनी की उसे नहीं बताया है। इसी प्रकार आमदनी व खर्च को पूरा करने के लिए असिस्टेंस के रूप में 17-18 में 1 करोड़ 90 लाख, 18-19 में तीन करोड़ से ज्यादा खर्च दिखाया गया है। किस रूप से और किन मदों में यह खर्च हुआ स्कूल ने यह नहीं बताया। इसके अलावा 14 करोड़ 60 लाख की बैंक में एफडी दिखाई गई है। फिर भी यह स्कूल कहता है कि वह घाटे में है।

मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा ने कहा कि इसी तरह अन्य कई स्कूलों ने भी ऐसा ही काम किया है। इनकी भी बैलेंस शीट प्राप्त करने की कोशिश की जा रही है। मंच का लीगल व ऑडिट सैल सभी बैलेंस शीट का बारीकी से अध्ययन कर रहा है। जांच पड़ताल होने के बाद सबसे पहले हरियाणा सरकार से मांग की जाएगी कि इन स्कूलों के साथ साथ फरीदाबाद के अन्य सभी प्राइवेट स्कूलों के पिछले 5 साल के खातों की, आमदनी व खर्च की जांच सीएजी से कराई जाए। मांग पूरी न होने पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का सहारा लिया जाएगा।

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