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बर्थ एनिवर्सरी स्पेशल:पहली मुलाकात के 10 साल बाद आरडी बर्मन के लिए आशा भोंसले ने गाया था गाना, शादी तक पहुंची बात तो आरडी की मां हो गई थीं रिश्ते के खिलाफ

3 घंटे पहले

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फेमस म्यूजिशियन आरडी बर्मन की बर्थ एनिवर्सरी है। उनका जन्म 27 जून, 1939 को कोलकाता में हुआ था। उन्होंने आशा भोंसले से शादी की थी। इन दोनों की लव स्टोरी बड़ी इंटरेस्टिंग है। आरडी और आशा भोंसले की पहली मुलाकात 1956 में हुई थी।

पहली मुलाकात में आरडी ने आशा से ज्यादा बात नहीं की थी, सिर्फ ऑटोग्राफ लिया था। तब तक आशा ने इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना ली थी। जबकि आरडी बर्मन मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन के टीनएज बेटे थे। इसके करीब 10 साल बाद 1966 में आरडी बर्मन ने फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ के लिए आशा भोंसले से गाने के लिए संपर्क किया था। ‘ओ हसीना जुल्फों वाली..’ गाने की मेकिंग के दौरान दोनों में दोस्ती हुई।

फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ के बाद आशा ने पंचम दा के लिए गाना शुरू कर दिया। आरडी जिस फिल्म में संगीत देते उसमें आशा की आवाज जरूर होती। 70 के दशक तक दोनों ने कई हिट फिल्मों में साथ काम किया। ये वो वक्त था जब आरडी और आशा दोनों की शादियां टूट चुकी थीं। पंचम दा अपनी पत्नी रीता पटेल से अलग हो गए थे। वहीं, आशा भी पति गणपत राव भोंसले का घर छोड़ चुकी थीं। दोनों ही अकेले और तन्हा थे और साथ काम करते-करते एक-दूसरे के करीब आने लगे थे।

आरडी बर्मन ने आशा को प्रपोज करते समय कहा था कि सिर्फ तुम ही हो जो सुर को समझ सकती हो। मुझे तुम्हारी आवाज से प्यार हो गया है। आशा समझ गईं और उन्होंने हां बोल दिया था। ये बात खुद आशा ने एक इंटरव्यू के दौरान बताई थी। लेकिन दोनों के रिश्ते में कई अड़चनें आईं। आरडी की मां दोनों रिश्ते के खिलाफ थीं। लिहाजा दोनों ने अपने प्यार को समय के हाल पर छोड़ दिया था।

इस बीच आरडी के पिता सचिन देव बर्मन का निधन हो गया और मां मीरा मनोरोगी हो गईं। उनकी याददाश्त चली गई। बेटे को ही पहचानना बंद कर दिया। एक वक्त ऐसा आया जब पंचम को लगा कि मां की तबीयत ऐसी ही रहेगी। और उन्होंने 1980 में आशा से शादी कर ली।

दोनों लजीज खाना बनाने में माहिर थे
दोनों में संगीत के साथ-साथ एक बात और कॉमन थी। दोनों को कुकिंग का शौक था। दोनों लाजवाब कुकिंग करते थे। दोनों के बारे में कहा जाता है कि वो अपने साथियों को लजीज खाना बनाकर खिलाते थे। कई बार तो दोनों में शर्त भी लगती थी कि कौन अच्छा खाना बना सकता है।

नाकामयाबी का दौर
80 के दशक में पंचम दा का संगीत हिट नहीं हो रहा था। इससे वे काफी परेशान रहने लगे थे। काफी लंबे समय बाद 90 के दशक के शुरुआत में उन्हें विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘1942 अ लव स्टोरी’ में संगीत देने का मौका मिला। फिल्म के सारे गाने सुपरहिट हुए, लेकिन इस कामयाबी को देखने के लिए पंचम दा जिंदा नहीं रहे थे। 1994 में सिर्फ 54 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।

इन फिल्मों में किया साथ काम
आरडी बर्मन के संगीत निर्देशन में आशा भोंसले ने ‘ओ मेरे सोना ना रे..’, ‘चुरा लिया है जो दिल को..’, ‘तुम साथ हो जब अपने..’, ‘दम मारो दम..’, ‘दो लफ्जो की है दिल की..’, ‘कह दूं तुम्हें..’, ‘सुन सुन दीदी तेरे लिए..’ जैसे गानों को आवाज दी।

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