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मार्च में जताई थी 11% ग्रोथ की संभावना:SP ने GDP ग्रोथ का अनुमान घटाकर 9.5% किया, जताई कोविड की और लहरें चलने की आशंका

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  • S&P Lowers GDP Growth Forecast To 9.5% From 11%, Fears More Waves Of Covid Due To Low Vaccination Rate

5 घंटे पहले

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  • ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने मार्च में इस वित्त वर्ष आर्थिक वृद्धि दर 11% रहने का अनुमान दिया था
  • 31 मार्च 2023 को खत्म होने वाले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7.8% रहने का अनुमान दिया है
  • भारतीय रिजर्व बैंक ने इसी महीने ग्रोथ का अनुमान पहले के 10.5% से घटाकर 9.5% किया था

ग्लोबल रेटिंग एजेंसी S&P ने इस वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटा दिया है। उसने मार्च 2022 में खत्म होने वाले वित्त वर्ष में ग्रोथ 9.5% रहने की बात कही थी। S&P ने कोविड की दूसरी लहर से पहले, मार्च में इस वित्त वर्ष आर्थिक वृद्धि दर 11% रहने का अनुमान दिया था। उसने कोविड की और भी लहरें आने के खतरे के चलते इकोनॉमी की ग्रोथ में कमी आने की आशंका जताई है।

S&P ने देश की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान अप्रैल और मई में आर्थिक गतिविधियों में तेज गिरावट आने की वजह से घटाया है। असल में कोविड संक्रमण की दूसरी लहर को फैलने से रोकने के लिए राज्य सरकारों ने अपने यहां लॉकडाउन किए थो। S&P ने कहा, ‘हमारे अनुमान से इस वित्त वर्ष आर्थिक वृद्धि दर 9.5% रह सकती है। मार्च में इस वित्त वर्ष के लिए 11% की ग्रोथ का अनुमान दिया गया था।’

ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि निजी और सरकारी क्षेत्र की कंपनियों को कारोबार में स्थायी तौर पर हुए नुकसान के चलते देश की आर्थिक वृद्धि दर अगले दो साल तक सुस्त रह सकती है। S&P ने 31 मार्च 2023 को खत्म होने वाले वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.8% रहने का अनुमान दिया है। टीकों का उत्पादन बढ़ने के बावजूद अब तक सिर्फ 15% आबादी का टीकाकरण हो पाया है, इसलिए अब भी संक्रमण की कई लहर चलने के खतरे हैं।

कोविड की पहली लहर की चपेट में आने से वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी 7.3% घट गई थी। हालांकि, एक साल पहले 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर 4% रही थी। शुरुआत में इस वित्त वर्ष ग्रोथ रेट डबल डिजिट में रहने का अनुमान दिया गया था। लेकिन कोविड की दूसरी लहर के चलते कई एजेंसियों ने अपना अनुमान घटा दिया। RBI ने भी इसी महीने ग्रोथ का अनुमान पहले के 10.5% से घटाकर 9.5% कर दिया था।

2020 के मुकाबले इस साल मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट पर कोविड का कम असर हुआ है लेकिन सेवा क्षेत्र की गतिविधियां काफी घटी हैं। कंजम्पशन के बारे में बताने वाली गाड़ियों की बिक्री के इंडिकेटर में पिछले महीने तेज गिरावट आई। अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार आया है, संक्रमण के नए मामले लगातार घट रहे हैं, सड़कों पर आवाजाही बढ़ रही है। लेकिन, इस बार रिकवरी 2020 के अंतिम और 2021 के दिनों के मुकाबले कम दमदार रह सकती है।

लोग जरूरतें पूरी करने के लिए बचत को खर्च कर रहे हैं। दूसरी लहर के बाद इकोनॉमिक एक्टिविटी फिर से शुरू हो चुकी है। लेकिन, बचत बढ़ाने की उनकी चाहत से खर्च में कमी बनी रह सकती है। S&P के मुताबिक सरकार और रिजर्व बैंक की नीतियां उदार बनी रह सकती हैं, लेकिन राहत पैकेज की संभावना नहीं है। महंगाई RBI के टारगेट के ऊपरी लेवल 6% पर बना हुआ है, इसलिए उसके पास रेट घटाने का विकल्प नहीं है।

सरकार ने दूसरी लहर से पहले ही वित्त वर्ष 2022 के बजट में फिस्कल डेफिसिट के लिए 9.5% का टारगेट फिक्स कर दिया था। इसलिए सरकार के पास खर्च बढ़ाने की भी गुंजाइश नहीं है। इन सबको देखते हुए मूडीज ने मार्च 2022 में खत्म होने वाले वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 9.3% कर दिया है। इस कैलेंडर ईयर के लिए उसने ग्रोथ रेट का अनुमान घटाकर 9.6% कर दिया है।

इसी महीने वर्ल्ड बैंक ने इस वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाकर 8.3% कर दिया था। उसने अप्रैल में ग्रोथ रेट 10.1% रहने का अनुमान दिया था। उसने भी कोविड की दूसरी लहर का हवाला दिया था। घरेलू रेटिंग एजेंसी ICRA ने भी अपना अनुमान घटाकर 8.5% जबकि बार्कलेज ने 9.2% कर दिया है।

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