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संक्रांति पर्व 15 को: कल मिथुन राशि में आएगा सूर्य, इस दिन सूरज को अर्घ्य देने से दूर होती हैं बीमारियां और उम्र बढ़ती है

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6 घंटे पहले

कॉपी लिंकसूर्य के राशि परिवर्तन से बदलती है ऋतुएं, सूर्य के मिथुन राशि में आने के बाद शुरू होता है बारिश का मौसम

15 जून, मंगलवार को मिथुन संक्रांति पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य वृष से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएगा। ज्योतिष और धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि जिस दिन सूर्य एक से दूसरी राशि में जाता है। उस दिन को संक्रांति पर्व कहा जाता है। ये साल में 12 बार मनाया जाता है। यानी हर महीने सूर्य राशि बदलता है।

संक्रांति पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ-स्नान और फिर उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने की परंपरा है। साथ ही जरूरतमंद लोगों को खाना और कपड़ों का दान भी दिया जाता है। सूर्य पुराण में कहा गया है कि ऐसा करने से हर तरह की शारीरिक परेशानियां दूर हो जाती हैं और उम्र बढ़ती है।

संक्रांति पर्व पर क्या करेंइस पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करना चाहिए। ऐसा न कर पाए तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर नहा लेना चाहिए। इससे तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है। इसके बाद उगते हुए सूरज को प्रणाम करें। फिर अर्घ्य दें। उसके बाद धूप-दीप दिखाएं और आरती करें। आखिरी में फिर से सूर्य देवता को प्रणाम करें और 7 बाद प्रदक्षिणा करें। यानी एक ही जगह पर खड़े होकर 7 बार परिक्रमा करते हुए घूम जाएं।पूजा के बाद वहीं खड़े होकर श्रद्धा के मुताबिक, दान करने का संकल्प लें और दिन में जरूरतमंद लोगों को खाना और कपड़ों का दान करें। हो सके तो इस दिन व्रत भी कर सकते हैं। पूरे दिन नमक खाए बिना व्रत रखने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं और मनोकामना पूरी होती है।​​​​​​​

ध्यान रखने वाली बातेंसूर्य पूजा के लिए तांबे की थाली और तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें। थाली में लाल चंदन, लाल फूल और घी का दीपक रखें। दीपक तांबे या मिट्‌टी का हो सकता है। अर्घ्य देते वक्त लोटे के पानी में लाल चंदन मिलाएं और लाल फूल भी डालें।ऊँ घृणि सूर्यआदित्याय नमः मंत्र बोलते हुए अर्घ्य दें और प्रणाम करें। अर्घ्य वाले पानी को जमीन पर न गिरने दें। किसी तांबे के बर्तन में ही अर्घ्य गिराएं। फिर उस पानी को किसी ऐसे पेड़-पौधे में डाल दें। जहां किसी का पैर न लगे।

मिथुन राशि में प्रवेश के बाद होती है बारिशसूर्य देवता को ही ज्योतिष का जनक माना गया है। ये सभी ग्रहों के राजा हैं। इस ग्रह की स्थिति से ही कालगणना की जाती है। दिन-रात से लेकर महीने, ऋतुएं और सालों की गणना सूर्य के बिना नहीं की जा सकती। हर महीने जब सूर्य राशि बदलता है तो मौसम में बदलाव होने लगते हैं। जिससे ऋतुएं भी बदलती हैं। इसी वजह से सूर्य की स्थिति महत्वपूर्ण मानी जाती है। सूर्य के मिथुन राशि में आने के बाद ही बारिश का मौसम शुरू होता है। कुछ विद्वानों का कहना है कि आमतौर पर जब सूर्य मिथुन से सिंह राशि तक रहता है तब तक बारिश होती हैं।

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