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Hindi NewsTech autoA Robot Named Grace Will Act Like A Hospital Nurse, A Thermal Camera Fitted In Its Chest Will Tell The Patient’s Temperature.
नई दिल्ली40 मिनट पहले
कोरोना में आपकी देखभाल अब ‘ग्रेस’फुली होगी। ये देखभाल करेगा एक रोबोट। जी हां, इस रोबोट का नाम है ‘ग्रेस’। हांगकांग की कंपनी हैनसन ने इसे तैयार किया है। इस फीमेल रोबोट को तैयार करने का मकसद कोरोना मरीजों की देखभाल करने में जुटे हेल्थ वर्कर्स की मदद करना है।
दरअसल, ये रोबोट आइसोलेट कोरोना मरीजों की देखभाल एक नर्स जैसे ही करेगा। ऐसे में हेल्थ वर्कर्स को संक्रमण से बचाया जा सकेगा।
यह थर्मल कैमरा मरीज का टेम्परेचर चेक कर लेता हैनीले रंग के यूनिफॉर्म में खड़े ग्रेस रोबोट के चेस्ट में थर्मल कैमरा फिट है। ये कैमरा टेम्परेचर चेक करके आपकी तबीयत का पता लगा लेगा। ये अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए मरीज की परेशानी को समझकर उसे इंग्लिश, मेंडेरिन और कैटोनीज भाषा में रिप्लाई करता है।
बायो रीडिंग और टॉक थेरेपी भी करती है ‘ग्रेस’ग्रेस को बनाने वाली कंपनी हैनसन ने हांगकांग की रोबोटिक्स वर्कशॉप में इसके बोलने की टेस्टिंग की है। टेस्टिंग के बाद कंपनी ने कहा कि ‘ग्रेस’ लोगों के साथ चल सकती है और इलाज के लिए जरूरी रीडिंग देने में सक्षम है। ये रोबोट बायो रीडिंग, टॉक थेरेपी और दूसरी हेल्थ केयर मदद भी कर सकती है।
इंसानों की तरह बात भी करती है ‘ग्रेस’हैनसन का कहना है कि यह इंसानों की तरह बातें करती है। इससे यह रोबोट नहीं, बल्कि हम-आप जैसी इंसान ही लगती है। ‘ग्रेस’ चेहरे के 48 से अधिक हावभाव को पहचान लेती है। इसको किसी एनिमेशन के कैरेक्टर की तरह डिजाइन किया गया है।
इसकी कीमतों को जल्द ही कम किया जाएगाहैनसन रोबोटिक्स और सिंगुलैरिटी स्टूडियो के जॉइंट वेंचर के चीफ डेविड लेक के मुताबिक कंपनी का मकसद हेल्थ को लेकर अवेयरनेस बढ़ाना है। इसी के तहत हम ‘ग्रेस’ के बीटा यानी शुरुआती वर्जन का बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन करने की प्लानिंग कर रहे हैं। फिलहाल इसे चीन के साथ जापान और कोरिया के हेल्थ सेंटर्स में रखा जाएगा। हैनसन ने कहा कि रोबोट बनाने की कॉस्ट एक लग्जरी कार की कीमत के बराबर आई है। हालांकि उन्होंने इसकी कीमत का खुलासा नहीं किया। लेकिन ये जरूर कहा कि प्रोडक्शन के तय लक्ष्य के बाद कीमत को कम किया जाएगा।
‘ग्रेस’ सुधारेगी मेंटल हेल्थहवाई यूनिवर्सिटी (University of Hawaii) के कम्युनिकेशन साइंस के प्रोफेसर किम मिन-सन ने कोरोना मरीजों के लिए इस फीमेल रोबोट इस्तेमाल करने पर जोर दिया है। उनका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान लोग घर पर फंसे हुए थे। निगेटिव थिंकिंग की वजह से लोगों के मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि ये रोबोट काफी कारगर होगा, अगर ये किसी को दोस्त या ख्याल रखने वाली नर्स की तरह फील कराता है। इससे सोसायटी पर पॉजिटिव असर होगा।
इसके पहले कंपनी ने बनाई थी सोफिया2017 में ह्यूमनॉयड रोबोट सोफिया को आम लोगों की तरह नागरिकता मिली थी। साथ ही यह यूनाइटेड नेशन के डेवलपमेंट प्रोग्राम में सबसे पहले इनोवेशन चैंपियन बनी। सोफिया को 2021 यानी मौजूदा साल से कोरोना मरीजों की देखभाल करने के लिए भी इस्तेमाल किया गया। यह 50 से भी ज्यादा चेहरे के हावभाव को समझ लेती है।
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