May 15, 2024 : 6:08 AM
Breaking News
मनोरंजन

मूवी रिव्यू: ‘9 टू 5 जॉब’ में यकीन न रखने वाले मिडिल क्लास की छलांग की कहानी है ‘द बिग बुल’, फिल्म की जान है अभिषेक बच्चन का किरदार

[ad_1]

Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप

22 मिनट पहलेलेखक: अमित कर्ण

कॉपी लिंकक्रिटिक रेटिंग3.5 /5स्टार कास्टअभिषेक बच्चन, निकिता दत्ता, सौरभ शुक्ला, इलियाना डिक्रूज और सोहम शाहडायरेक्टरकीकू गुलाटीप्रोड्यूसरअजय देवगन, आनंद पंडितम्यूजिकसंदीप शिरोडकर, गौरव दासगुप्ता, विली फ्रेंजी, मेहुल व्यासजॉनरक्राइम ड्रामाअवधि154 मिनट

हर्षद मेहता प्रकरण से इंस्‍पायर्ड ‘द बिग बुल’ मिडिल क्‍लास के उस वर्ग के छलांग लेने की कहानी है, जो सिर्फ नाइन टू फाइव जॉब में यकीन नहीं रखता। यह उस तबके की गाथा है, जो उद्यमी बनना चाहता है। किसी की चाकरी करने वाला नहीं, बल्‍क‍ि नौकरी देने वाला बनना चाहता है। हर्षद मेहता ने यह सब तीस साल पहले करने की कोशिश की थी। आज बेरोजगारी के दौर से घिरे युवाओं से भी सिस्‍टम जॉब देने वाला बनने की अपील कर रहा है। इसके किरदार एक और चीज की ओर इशारा करते हैं। वह यह कि सबसे बड़ी ताकत पैसा या पावर नहीं है। शक्ति का केंद्र तो सूचना में समाहित है। जिसके पास अर्थ या राजनीतिक जगत की अंदरूनी खबरें हैं, वह सर्वशक्तिमान है। फिल्‍म तत्‍कालीन सरकार को भी कटघरे में लाती है।

‘द बिग बुल’ 90 के दशक में सेट है। तब इंडिया की आर्थिक चाल एक बड़ी करवट ले रही थी। उसी दौर में चॉल में रहने वाला नायक हेमंत शाह (अभिषेक बच्चन) तत्‍कालीन बैंकिंग सिस्‍टम के लूपहोल का फायदा उठा कर कैसे शेयर मार्केट का शहंशाह बन जाता है, फिल्‍म उस बारे में है। अभिषेक बच्‍चन की किरदारों पर पकड़ है। वह हम ‘गुरू’ में देख चुके हैं। यहां हेमंत शाह की सोच, फैसलों, बेचैनी, महत्‍वाकांक्षाओं को उन्‍होंने सधे हुए अंदाज में पेश किया है। ‘गुरू’ में गुरूकांत देसाई को उन्‍होंने आक्रामक और कुछ हद तक लाउड रखा था। लेकिन हेमंत शाह को उन्‍होंने ऊपरी तौर पर शांत और संयत रखा है। हेमंत के भाई विरेन बने सोहम शाह ने भी किरदार के हाव भाव में एक ग्रैविटी रखी है। उस किरदार का सुर उन्‍होंने पकड़ा है। हेमंत के विरोधी मन्‍नू भाई की भूमिका में सौरभ शुक्‍ला हैं। सौरभ यहां ‘जॉली एलएलबी’ के जज त्र‍िपाठी जैसा असर पैदा नहीं कर सके। यहां उनका किरदार डाउनप्‍ले किया हुआ लगता है।

पत्रकार मीरा राव बनीं इलियाना डिक्रूज, हेमंत की पत्‍नी के रोल में निकिता दत्‍ता और बाकी सहकलाकार गहरा असर छोड़ने में नाकाम रहें हैं। वह इसलिए कि उनके किरदार जिन राज्‍यों से ताल्‍लुक रखते हैं, वहां का लहजा, बॉडी लैंग्‍वेज यहां नहीं रखा गया। यह शायद मेकर्स ने इसलिए नहीं रखा होगा , क्योंकि उन्‍हें फिल्म पैन इंडिया ऑडिएंस को केटर करनी थी। गाने सिचुएशन के हिसाब से डिसेंट हैं। कैरी मिनाटी का ‘द बिग बुल’ ठीक-ठाक है। कुंवर जुनेजा का लिखा ‘इश्‍क नमाजा’ कर्णप्रिय है। फिल्‍म में 90 के दशक का परिवेश प्रोडक्‍शन वैल्‍यू में नजर आता है।

डायरेक्‍टर कूकी गुलाटी ने इसकी कहानी और पटकथा अर्जुन धवन के साथ मिलकर लिखी है। डायलॉग की कमान रितेश शाह के जिम्‍मे है। कूकी, अर्जुन और रितेश ने मिलकर एक इनहेरेंट सवाल भी रखने की कोशिश की है। वह यह कि सिस्‍टम मिडिल क्‍लास को शॉर्ट कट तरीके से अमीर बनने की चाबी नहीं थमाना चाहता, जबकि पॉलिटिशन और घाघ कारोबारी घराने बरसों से उसी तरीके से करोड़ों अपने जेब के अंदर कर रहे हैं। कूकी, अर्जुन, रितेश तीनों पूछते हैं कि अगर मिडिल क्‍लास वह शॉर्ट कट अपनाना चाहे और उसमें सफल हो तो क्‍या यह गुनाह है? ऐसे लूपहोल्‍स ही क्‍यों हैं, जहां बुलबुला भी इकॉनोमिक पावर होने का अहसास देने लगता है? ‘द बिग बुल’ एक संजीदा प्रयास है कि सिस्‍टम और समाज अपने अंदर झांके और ऐसे सवालों के जवाब ढूंढे।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Related posts

चिरंजीवी सरजा को आखिरी बार गले लगाया तो फूट-फूट कर रो पड़ीं प्रेग्नेंट पत्नी मेघना, दो साल पहले ही हुई थी शादी

News Blast

‘दिल बेचारा’ के डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा ने शेयर किया सुशांत का पुराना ऑडीशन वीडियो, अनदेखी जर्नी दिखाते हुए दिया भावुक ट्रिब्यूट

News Blast

पुलिस ने यशराज के दो बड़े अधिकारियों से पूछताछ की, कास्टिंग डायरेक्टर को भी पुलिस स्टेशन बुलाया

News Blast

टिप्पणी दें