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मुंबई3 घंटे पहलेलेखक: उमेश कुमार उपाध्याय
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सुपरस्टार रजनीकांत को 51वां दादासाहेब फाल्के पुरस्कार देने की घोषणा के बाद से न सिर्फ उनके फैंस खुश हैं, बल्कि उनके साथ काम कर चुके को-स्टार, निर्माता-निर्देशक, फिल्ममेकर भी बहुत प्रसन्न हैं। सभी राजनीकांत को बधाइयां दे रहे हैं। रजनीकांत के साथ पांच हिंदी फिल्में कर चुके निर्माता-निर्देशक के.सी बोकाडिया ने भी उन्हें बधाई दी है। इतना ही नहीं उन्होंने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में यह भी कहा कि रजनीकांत में काबिलियत है और वे हर एक चीज डिजर्व करते हैं।
रजनीकांत एक्टर तो अच्छे हैं ही, उससे भी अच्छे इंसान हैंकेसी बोकाडिया ने कहा, “मैं सुपरस्टार रजनीकांत के साथ ‘फूल बने अंगारे’, ‘इंसानियत का देवता’, ‘इंसाफ कौन करेगा’, ‘असली नकली’, ‘त्यागी’ कुल पांच फिल्में कर चुका हूं। वे एक्टर तो अच्छे हैं ही, उससे अच्छे इंसान हैं। हम दोनों मद्रास में आस-पास रहते हैं। एक बार रजनीकांत के साथ ‘फूल बने अंगारे’ फिल्म की शूटिंग के लिए उदयपुर जा रहा था। हम दोनों उनके घर से निकले तो कुछ दूर जाने पर देखा कि सड़क पर ट्रैफिक जाम है। दरअसल, उस समय जयललिता चीफ मिनिस्टर थीं। वे जिस रोड से गुजरती थीं, उसे खाली करा दिया जाता था। पता चला कि वह मैडम जी के जाने का वक्त था। मुझे और रजनीकांत को पुलिस वालों ने रोका, तब रजनीकांत ने उन्हें बताया कि फ्लाइट पकड़नी है, हमें जाने दीजिए, नहीं तो छूट जाएगी। मैडम अभी निकली नहीं हैं। पुलिस वाले ने न बोला। रजनीकांत बोले- चलो पैदल चलकर आगे से टैक्सी पकड़कर निकल जाएंगे। वे जैसे सड़क पर आगे बढ़े कि दो मिनट के अंदर हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। फिर तो भीड़ को बेकाबू होते देखकर पुलिस वाले ने हमें गाड़ी में बैठाकर एयरपोर्ट की तरफ रवाना कर दिया।”
रजनीकांत बहुत नेकदिल इंसान भी हैंनिर्देशक ने कहा, “एक बार रजनीकांत मुंबई आए, तब उन्हें रिसीव करने के लिए अपने मैनेजर मिश्राजी को एयरपोर्ट भेजा। लेकिन देखा कि रजनीकांत टैक्सी पकड़कर अकेले मेरे ऑफिस आ गए। उन्हें अकेले देखकर मैंने बोला- आपको लेने के लिए आदमी भेजा था। आप अकेले कैसे आ गए। उन्होंने बोला- बोकाड़िया साहब वे लेट हो गए होंगे, मैं आ गया। क्या फर्क पड़ता है। उन्होंने गुस्सा न करके मैनेजर की गलती छुपाने की कोशिश की। रजनीकांत इतने नेकदिल इंसान हैं।”
अपनी तारीफ सुनकर ज्यादा कुछ बोलते नहीं हैंकेसी बोकाडिया ने कहा, “इंसानियत के देवता में राजकुमार, विनोद खन्ना और रजनीकांत थे। लेकिन कहीं पर कोई प्रॉब्लम नहीं हुई। इतने डिसिप्लिन हैं। अपनी तारीफ सुनकर रजनीकांत ज्यादा कुछ बोलते नहीं हैं, सिर्फ मुस्कुरा देते हैं। बड़े नेचुरल इंसान हैं। आज भी जब कभी मद्रास जाता हूं, तब उनसे जरूर मुलाकात होती है। मेरे ख्याल से रजनीकांत ने बॉलीवुड की कुल 12 -13 फिल्में की होंगी, इनमें से पांच फिल्में उन्होंने सिर्फ मेरे साथ की हैं।”
अपने स्टाफ का पैसा प्रोड्यूसर से कभी नहीं लेतेबोकाडिया ने कहा, “इसे रजनीकांत का बड़प्पन कहूंगा कि वे अपने ड्राइवर, मेकअप मैन आदि स्टाफ का पैसा प्रोड्यूसर से नहीं लेते हैं। एक बार पैसा देने का जिक्र भी किया था, तब उन्होंने कहा था कि आखिर प्रोड्यूसर से किस बात का पैसा लूं। अगर खुद अपने स्टाफ को अफोर्ड नहीं कर सकता, तब उन्हें किस बात के लिए रखूं।”
उनमें काबिलियत है और वे हर एक चीज डिजर्व करते हैंकेसी बोकाडिया ने कहा, “रजनीकांत एक बार शूटिंग के लिए घर से निकल रहे थे, तब उनकी वाइफ ने उन्हें गुड़ खिलाकर और पानी पिलाकर 10 रुपए का शगुन देकर विदा किया। यह बात देखकर मैं ताज्जुब में पड़ गया। बड़े लोग ऐसे ही बड़े नहीं बनते। उनमें ऐसी तमाम बातें भी होती हैं। उनमें काबिलियत है और वे हर एक चीज डिजर्व करते हैं। उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजे जाने की घोषणा हुई है। मेरी तरफ से रजनीकांत को दिल की गहराई से ढेर सारी बधाइयां एवं शुभकामनाएं।”
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