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भास्कर 360°: कभी ब्रेड भी थी सरकारी, 1991 के बाद निजी कंपनियों के लिए ऐसे खुलता गया बाजार

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नई दिल्ली2 घंटे पहले

कॉपी लिंकमॉडर्न फूड पहली सार्वजनिक कंपनी थी, जिसका सरकार ने पूरी तरह निजीकरण किया। वर्ष 2000 मेंं सरकार ने 105 करोड़ रुपए मंे इसे हिंदुस्तान यूनीलिवर लिमिटेड (एचएलएल) को बेच दिया। यह कंपनी ब्रेड बनाती है। वित्तीय वर्ष 2017 में इस कंपनी का टर्न ओवर लगभग 270 करोड़ था। - Dainik Bhaskar

मॉडर्न फूड पहली सार्वजनिक कंपनी थी, जिसका सरकार ने पूरी तरह निजीकरण किया। वर्ष 2000 मेंं सरकार ने 105 करोड़ रुपए मंे इसे हिंदुस्तान यूनीलिवर लिमिटेड (एचएलएल) को बेच दिया। यह कंपनी ब्रेड बनाती है। वित्तीय वर्ष 2017 में इस कंपनी का टर्न ओवर लगभग 270 करोड़ था।

4 अहम बिंदुओं से समझिए देश में विनिवेश और निजीकरण का बीते 30 साल का सफर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 फरवरी को एक कार्यक्रम में सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण की जोरदार पैरवी करते हुए कहा कि व्यवसाय करना सरकार का काम नहीं है। निजी क्षेत्र अपने साथ निवेश, बेहतरीन प्रबंधन और आधुनिकीकरण लाता है। इसके पहले 10 फरवरी को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान भी प्रधानमंत्री ने देश के विकास में निजी क्षेत्र की भूमिका के बारे में बात की थी। दरअसल सरकार वित्त वर्ष 2021-22 में विनिवेश और निजीकरण से 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाना चाहती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निजी क्षेत्र की वकालत को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि इस दिशा में सरकार की कोशिश बहुत धीमी गति से आगे बढ़ पा रही हैं।

केंद्र सरकार भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के विनिवेश की समय सीमा को कई बार आगे बढ़ा चुकी है और एयर इंडिया में हिस्सेदारी बेचने को लेकर भी यही स्थिति है। सरकार आठ प्रमुख क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के लिए सुधारों का प्रयास कर रही हैं। इसमें रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, हवाई अड्‌डों का निजीकरण अंतरिक्ष और परमाणु एजेंसियों को निजीक्षेत्रों के लिए खोलना शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार बड़े विनिवेश से मिली रकम से देश की बिगड़ी आर्थिक स्थिति को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश में है।

सरकार इस साल शिपिंग कॉर्पोरेशन आॅफ इंडिया (एससीआई), कंटेनर कॉर्पोरेशन आॅफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड, पवन हंस और नीलांचल इस्पात निगम सहित दूसरी कंपनियों में विनिवेश का काम पूरा कर लेना चाहती है। विनिवेश के लिए सरकार ने 100 पीएसयू को चिह्नित किया है।

खास बात यह है कि सरकार एलआईसी का भी आईपीओ लाना चाहती है। जिसमें एलआईसी की 10 फीसदी हिस्सेदारी बेची जा सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार यह देश का सबसे बड़ा आईपीओ हो सकता है। इकोनाॅमिक सर्वे के अनुसार सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष में भी विनिवेश से 2.1 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन केवल 15,000 करोड़ रुपए का ही विनिवेश जुटाया जा सका था।

1. देश में बड़े पैमाने पर निजीकरण कब शुरू हुआ?

1991 में औद्योगिक नीित में पहली बार निजीकरण की शुरुआत की बात कही गई।

24 जुलाई 1991 की औद्योगिक नीति में पहली बार चुनिंदा उपक्रमों में विनिवेश की बात कही गई। 20 नवंबर को सरकार ने कहा किसार्वजनिक क्षेत्र के 31 उपक्रमों के शेयर बेचे जाएंगे, लेकिन इनमें सरकार का नियंत्रण बना रहेगा।1992-93 में उपक्रमों के शेयरों के लिए खुली बोली लगाने की अनुमति दी गई। पहले साल में बोली लगाने की अनुमित सिर्फ बीमा कंपनियों, म्यूचुअल फंडोें और बैंकों को दी गई, लेकिन बिक्री नहीं हो सकी।वर्ष 1991-92 से शुरू होकर 2000 तक सार्वजनिक क्षेत्र के 39 उपक्रमों में सरकार के शेयरों का 14 दौर में विनिवेश किया गया। इससे लगभग 18,288 करोड़ रुपए की कुल राशि सरकार को प्राप्त हुई।

2. अब तक किन बड़ी कंपनियों का निजीकरण?

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 1999 में बनाया था विनिवेश मंत्रालय

1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में बनाए गए विनिवेश मंत्रालय ने वायपेयी के नेतृत्व में भारत एल्यूमिनियम कंपनी (बाल्को), हिंदुस्तान जिंक, इंडियन पेट्रोकेमिकल्स काॅर्पोरेशन लिमिटेड और विदेश संचार निगम लिमिटेड जैसी सरकारी कंपनियों को बेचा था। समय-समय पर कई अन्य कंपनियों में भी रणनीतिक रूप विनिवेश किया गया। कुछ का पूर्ण तरीके से तो कुछ कंपनियों में सरकारों ने एक निश्चित हिस्सेदारी बेंची। जैसे- सीएमसी लिमिटेड, होटल काॅर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, एचटीएल लि., आईबीपी कॉर्पोरेशन लि., इंडिया टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लि., लगान जूट मशीनरी काॅर्पोरेशन लि., मारुति सुजुकी इंडिया, टाटा कम्युनिकेशन लि. आदि।

3. किन क्षेत्राें में कब निजी कंपनियों को अनुमति मिली?

बैंकिंग, टेलिकॉम, बीमा, एविएशन और ब्रॉडकास्ट में सिर्फ सरकार कंपनियां थीं

बैंकिंग : रिजर्व बैंक ने 1993 में 13 नए घरेलू बैंकों को बैंकिंग गतिविधियां करने की अनुमति दी।टेलीकॉम : 1991 से पहले तक बीएसएनएल का एकाधिकार था। 1999 में नई टेलीकॉम नीति लागू होने के बाद निजी कंपनियां आईं।बीमा : 1956 में लाइफ इंश्योरेंस एक्ट के बाद 1 सितंबर 1956 को भारतीय जीवन बीमा निगम की स्थापना हुई थी। 1999 में मल्होत्रा समिति की सिफारिशों के बाद निजी क्षेत्र को अनुमति मिली।एविएशन : 1992 में सरकार ने ओपन स्काई नीति बनाई और मोदीलुफ्त, दमनिया एयरवेज, एयर सहारा जैसी कंपनियां आईं।ब्रॉडकास्ट : 1991 तक दूरदर्शन ही था। 1992 में पहला निजी चैनल जीटीवी शुरू हुआ। आज देश में 1000 से ज्यादा चैनल हैं।

4. विनिवेश से किसने कितना सालाना धन जुटाया?

भाजपा की सरकारों ने कांग्रेस की तुलना में तीन गुना से ज्यादा राशि जुटाई है।

भाजपा के नेतृत्व वाले 12 साल में लगभग 30 हजार करोड़ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले 15 साल में 8,274 करोड़।

भाजपा और कांग्रेस ने नेतृत्व वाली सरकारों में विनिवेश से सालाना औसत जुटाई गई राशि में भारी अंतर है। विनिवेश से भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की औसत प्राप्तियां कांग्रेस-नीत सरकार से लगभग तीन गुना है। देश में उदारीकरण की शुरुआत 1991 में मनमाेहन सिंह की सरकार के दौरान हुई थी और भाजपा ने इसे तेजी से आगे बढ़ाया। हालांकि विपक्ष में रहते हुए ये दोनों पार्टियां एक-दूसरे की आर्थिक नीतियों का विरोध करती रही हैं।

(स्रोत: इकोनॉमिक सर्वे, कंपनी डेटा, फैक्टली, मीडिया रिपोर्ट्स आदि।)

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