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उपासना: शनिवार और पूर्णिमा का योग, विष्णुजी और गंगा के साथ ही शनिदेव की पूजा जरूर करें

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4 घंटे पहले

कॉपी लिंकशनि के दस नामों का जाप करें और तेल का दान में दें

27 फरवरी को शनिवार और मास की पूर्णिमा का योग बन रहा है। इस तिथि पर गंगा नदी में स्नान करने की और विष्णुजी की विशेष पूजा करने की परंपरा है। शनिवार को पूर्णिमा होने से इस दिन शनिदेव के लिए भी खास पूजा जरूर करनी चाहिए।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा देवी-देवता भी वेश बदलकर प्रयागराज के संगम पर स्नान करने पहुंचते हैं। इसी मान्यता की वजह से माघ पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालु प्रयागराज के संगम पर स्नान करने आते हैं। अगर प्रयाग के संगम में स्नान करना संभव न हो तो गंगा नदी में स्नान कर सकते हैं। ये भी संभव न हो तो किसी अन्य नदी में स्नान कर सकते हैं। अगर ये भी संभव न हो तो अपने घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और तीर्थों का ध्यान करें।

विष्णुजी और लक्ष्मीजी का अभिषेक करें

पूर्णिमा पर भगवान विष्णुजी और देवी लक्ष्मी का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करना चाहिए। इसके लिए दक्षिणावर्ती शंख में दूध भरें और भगवान को स्नान कराएं। विष्णुजी और देवी लक्ष्मी का ध्यान करें। मंत्रों का जाप करें। भगवान को वस्त्र, फूल आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने और सुनने की भी परंपरा है। बाल गोपाल की पूजा भी जरूर करें और कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें।

शनि के दस नामों का जाप करें

शनि के दस नामों वाले मंत्र का जाप करें।

कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।

सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।

इस मंत्र के अनुसार कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद और पिप्पलाद। इन दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी शनि दोष दूर हो जाते हैं।

ऐसे कर सकते हैं शनि की पूजा

शनिवार को किसी मंदिर जाएं और पूजा करें। शिवलिंग पर दूध-जल चढ़ाएं, शनि को तेल अर्पित करें और पीपल पर दूध और जल चढ़ाएं। इसके बाद शनि के 10 नामों का जाप करें। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।

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