May 11, 2024 : 1:53 PM
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उत्सव: शनिवार को माघी पूर्णिमा पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें, इससे मिल सकता है तीर्थ स्नान का पुण्य

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4 घंटे पहले

कॉपी लिंकसंत रविदास जयंती 27 फरवरी को, इनके विचारों को अपनाने से दूर सकती हैं परेशानियां

शनिवार, 27 फरवरी को माघ मास की पूर्णिमा है। इस तिथि पर गंगा नदी में स्नान करने की परंपरा है। जो लोग गंगा नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं, वे पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इस तरह स्नान करने से भी तीर्थ स्नान के समान पुण्य मिल सकता है। इसी दिन संत रविदास की जयंती भी है। संत रविदास कहा करते थे, मन चंगा तो कठौती में गंगा। इसका अर्थ यही है कि मन अच्छा है तो कठौती में ही गंगा अवतरित हो सकती हैं। उन्होंने यही संदेश दिया कि हमें दूसरों की भलाई के लिए कामा करते रहना चाहिए।

माघी पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें। जल चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।

माघी पूर्णिमा पर घर के मंदिर में या किसी अन्य मंदिर भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा करें। दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। पूजन सामग्री के साथ ही मिठाई और फल-फूल भी अर्पित करें।

पूजा के साथ ही दान भी करें। किसी जरूरतमंद व्यक्ति को गुड़ का दान करें। इस दिन संभव हो सके तो किसी पवित्र में नदी में भी स्नान करना चाहिए। किसी गौशाला में धन और हरी घास दान दें।

इस तिथि पर पितरों के लिए श्राद्ध कर्म जरूर करें। जरूरतमंद लोगों को भोजन, कपड़े, तिल, कंबल का दान करना चाहिए।

ध्यान रखें इस पर्व पर घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। क्लेश न करें। प्रेम से रहें। घर में स्वच्छता और शांति बनाए रखें। क्रोध से बचें और सभी का सम्मान करें। घर के वृद्ध लोगों का आशीर्वाद लेकर काम की शुरुआत करें।

संत रविदासजी की सीख

कोई भी व्यक्ति सिर्फ ऊंचे कुल में जन्म लेने से महान नहीं बनता है। जो व्यक्ति अच्छे कर्म करता है, वही श्रेष्ठ होता है।

किसी व्यक्ति की सिर्फ इसलिए पूजा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि वह किसी पूजनीय पद पर है। अगर किसी व्यक्ति में उस पद के योग्य गुण नहीं हैं तो उसकी पूजा न करें। अगर कोई व्यक्ति किसी ऊंचे पद पर नहीं है, लेकिन गुणवान है तो उसकी पूजा की जा सकती है।

जिन लोगों के मन में बुरे विचार नहीं हैं, जिनका मन निर्मल है, उनके मन में भगवान का वास होता है।

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