May 12, 2024 : 1:08 AM
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संस्कृति के रंग: मंजीरा, टिमकी और शहनाई के साथ आदिवासी धुनों पर थिरके जनजातीय कलाकार

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भोपालएक घंटा पहले

गुदुम्बाजा नृत्य की प्रस्तुति देते कलाकार।

जनजातीय संग्रहालय में रमेश चौधरी और साथी कलाकारों का ‘मालवी गायन’ एवं रामजी घसिया और साथी कलाकारों का ‘घसिया गुदुमबाजा’ नृत्य हुआ।

शुरुआत रमेश चौधरी और साथियों द्वारा ‘मालवी गायन’ से हुई। गायन की शुरुआत गणेश वंदना – ‘गणपति देवा आ जाओ’ से की उसके बाद ‘म्हारे बाल गोविंदा जी’, ‘शंकर भोला नाथ है हमारा’ आदि मालवी गीत प्रस्तुत किए।

दूसरी प्रस्तुति रामजी घसिया और साथियों द्वारा घसिया ‘गुदुमबाजा’ नृत्य की हुई। गुदुमबाजा नृत्य- गुदुम वाद्य वादन की भी सुदीर्घ परम्परा है। गुदुम/ढफ, मंजीरा, टिमकी आदि वाद्यों के साथ शहनाई के माध्यम से विभिन्न आदिवासी गीतों की धुनों पर वादन एवं नर्तन किया जाता है। विशेषकर विवाह एवं अन्य अनुष्ठानिक अवसरों पर कमर में गुदुम बांधकर लय और ताल के साथ, विभिन्न मुद्राओं के साथ नृत्य किया जाता है(

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