April 30, 2024 : 5:59 PM
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ट्यूमर के लिए 1 साल में हुईं 5 सर्जरी: बेंगलुरू में 15 साल की लड़की के सीने और गले से निकाला 3.5 किलो का ट्यूमर

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9 घंटे पहले

कॉपी लिंकगुजरात निवासी सुरभि के गले में था ट्यूमर जो बढ़कर सीने तक पहुंच गया थासर्जरी के बाद पूरी तरह से स्वस्थ होने में 3 से 4 महीने का वक्त लगेगा

बेंगलुरू में 15 साल की सुरभि बेन के सीने और गले से 3.5 किलो का ट्यूमर निकाला गया है। ट्यूमर गले में था जो बढ़कर सीने तक पहुंच गया था। इसे निकालने के लिए एक साल में 5 सर्जरी करनी पड़ीं। सुरभि रिकवर हो रही हैं। डॉक्टर्स का कहना है, मरीज की स्पीच ट्रेनिंग जारी है और स्वस्थ होने में 3 से 4 महीने का वक्त लगेगा।

गले में तीन ट्यूमर एक-दूसरे से जुड़े थेबेंगलुरू के एस्टर CMI हॉस्पिटल के सर्जन डॉ. चेतन जिनिगेरी का कहना है, यह एक दुर्लभ मामला है। सुरभि हमारे पास जनवरी, 2020 में आईं। उनके गले में तीन ट्यूमर थे जो एक-दूसरे से नर्व के जरिए जुड़े थे। एक बार में सर्जरी करना मुश्किल था। सावधानी बरतते हुए हमनें 5 सर्जरी कीं।

6 साल की उम्र में पहली बार दिखा था ट्यूमरगुजरात के अमरेली में रहने वाली सुरभि में पहली बार ट्यूमर 6 साल की उम्र में दिखा। आर्थिक तंगी के कारण स्थानीय डॉक्टरों से इलाज कराया लेकिन दवाएं बेअसर रहीं। उम्र के साथ ट्यूमर बढ़ने लगा। दिनचर्या के साथ पढ़ाई बाधित होने लगी तो 2019 में स्कूल जाना छोड़ दिया।

ट्यूमर से जिंदगी में कितनी मुश्किलें बढ़ीं, इसे बताते हुए सुरभि कहती हैं, मुझे बहुत संघर्ष करना पड़ा। मैं दूसरे लोगों की तरह सामान्य जीवन नहीं जी पा रही थी। दर्द के कारण स्कूल छूट गया। घर से बाहर निकलने पर ट्यूमर छिपाना पड़ता था। बीमारी के कारण मैं सामान्य कपड़े नहीं पहन सकती थी। हमेशा मां से सवाल करती थी कि मैं ऐसी क्यों हूं?

क्राउडफंडिंग से 70 लाख रुपए इकट्‌ठा हुएसुरभि के इलाज के लिए मिलाप नाम की संस्था ने क्राउडफंडिंग की, जिसमें 70 लाख रुपए इकट्ठा हुए। सर्जरी करने वाले डॉक्टर्स की टीम में शामिल ऑन्कोलॉजिस्ट सर्जन डॉ. गिरिश कहते हैं, यह मामला काफी पेचीदा था क्योंकि ट्यूमर गले में था, जो काफी सेंसिटिव हिस्सा था। यह ट्यूमर दोबारा न हो, इसके लिए हमने सूरत में एक टीम तैयार की है जो उसकी देखभाल करेगी। समय-समय पर उसकी जांच की जाएगी।

सर्जरी करने वाली टीम में डॉ. चेतन जिनिगेरी (पीडियाट्रिक्स), डॉ. गिरीश (ऑन्कोलॉजिस्ट सर्जन), डॉ. मधुसूदन जी (प्लास्टिक सर्जन) और डॉ. गणेशकृष्णन अय्यर (कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जन) शामिल रहे।

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