- भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण, ये तीनों एक ही दिन यानी वैशाख पूर्णिमा को ही हुए
दैनिक भास्कर
May 07, 2020, 02:00 AM IST
7 मई, यानि आज वैशाख महीने की पूर्णिमा है। इसे ही बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व नेपाल के लुम्बिनी वन में हुआ था। ये जगह आज कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से पश्चिम दिशा में करीब 12 किलोमीटर दूर है। बौद्ध धर्म मानने वाले लोगों के लिए लुम्बिनी एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान है। यह नेपाल के रूपनदेही जिले में पड़ता है। गौतम बुद्ध का ननिहाल देवदह में था। वर्तमान में यह जगह रुपनदेही जिले की एक नगरपालिका है।
- मनाई जाने वाली बुद्ध पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन 563 ईसा पूर्व में भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख महीने की पूर्णिमा को हुआ था। 80 साल बाद इसी दिन बुद्ध ने 483 ई.पू देवरिया जिले के कुशीनगर में निर्वाण प्राप्त किया था। भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण, ये तीनों एक ही दिन यानी वैशाख पूर्णिमा को ही हुआ था। कहा जाता है कि इसी दिन जब उन्हें ज्ञान प्राप्ति हुई तो वे सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध कहलाए। इसलिए बौद्ध धर्म में ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जगह
कपिलवस्तु
सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) के पिता राजा शुद्धोधन के राज्य, शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु ही थी। अब कपिलवस्तु दक्षिण नेपाल में एक जिला है। घर छोड़ने से पहले सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) यहीं अपने पिता के महल में रहते थे।
बोधगया
वैराग्य प्राप्त होने के बाद गौतम बुद्ध भारत में बिहार राज्य के गया जिले में पहुंचे। यहां वैशाख पूर्णिमा के दिन सिद्धार्थ पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान लगाकर बैठे थे। ध्यान लगाने पर रात को सिद्धार्थ की साधना सफल हुई और उन्हें सत्यता का बोध हुआ। तभी से सिद्धार्थ बुद्ध कहलाए। जिस पीपल वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ को बोध मिला वह बोधिवृक्ष कहलाया और गया के पास उस जगह को बोधगया के नाम से जाना जाता है।
सारनाथ
ये जगह भारत में उत्तरप्रदेश राज्य के वाराणसी जिले में है। आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध काशी के पास मृगदाव (वर्तमान में सारनाथ) पहुचे। वहीं पर उन्होंने सबसे पहला धर्मोपदेश दिया और पाँच मित्रों को अपना अनुयायी बनाया और उन्हें धर्म के प्रचार करने के लिये भेज दिया।
कुशीनगर
भारत में ये जगह उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर से 50 किलोमीटर दूर हैं। यहां पर वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध ने महानिर्वाण की ओर प्रस्थान किया था। इसके बाद से भारत में इसी दिन को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।
शांति की प्रार्थना और बुद्ध की विशेष पूजा
- बौद्ध और हिंदू दोनों ही धर्मों के लोग बुद्ध पूर्णिमा को श्रद्धा के साथ मनाते हैं। ये पर्व बुद्ध के आदर्शों और धर्म के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है।
- बुद्ध पूर्णिमा पर बोद्ध धर्म मानने वाले लोग बौद्ध विहारों और मठों में इकट्ठा होकर एक साथ उपासना करते हैं।
- इस दिन दीप जलाते हैं। रंगीन पताकाओं से सजावट की जाती है और बुद्ध की शिक्षाओं पर जीवन जीने का संकल्प लेते हैं।
- इस दिन भक्त भगवान बुद्ध पर फूल चढ़ाते हैं, अगरबत्ती और मोमबत्तियां जलाते हैं तथा भगवान बुद्ध के पैर छूकर शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।
- इस दिन सफेद कपड़े पहनते हैं और दान देते हैं।
भारत के अलावा 10 से ज्यादा देश में ये पर्व
बुद्ध पूर्णिमा न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों में भी मनाई जाती है। माना जाता है कि बौद्ध धर्म दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। इसलिए ये श्रीलंका, जापान, कोरिया, कंबोडिया, वियतनाम, चीन, नेपाल थाईलैंड, मलेशिया, म्यांमार, इंडोनेशिया जैसे देशों में खासतौर से मनाया जाता है। श्रीलंका में इस दिन को ‘वेसाक’ के नाम से जाना जाता है, जो निश्चित रूप से वैशाख का ही अपभ्रंश है।