May 15, 2024 : 11:10 PM
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केंद्र सरकार ने न्यायालय के कंधे पर बंदूक रखकर किसानों पर चलाई गोली: शिवसेना

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नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के 50वें दिन पर बृहस्पतिवार को शिवसेना ने मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। शिवसेना ने कहा है कि केंद्र सरकार न्यायालय के कंधे पर बंदूक रखकर किसानों पर गोलियां चलाई है। लेकिन किसान हैं कि आंदोलन से हटने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में प्रधानमंत्री को बड़ा दिल दिखाना चाहिए।

‘सामना’ में कहा, नए कानूनों को रद्द कर प्रधानमंत्री दिखाएं बड़ा दिलशिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र में ‘मोदी, बड़े बनो’ के तहत प्रकाशित संपादकीय में लिखा है कि किसान संगठनों और सरकार के बीच जारी चर्चा रोज असफल साबित हो रही है। किसानों को कृषि कानून नहीं चाहिए। केंद्र को नए कानूनों को रद्द करना चाहिए। ऐसा करने से उनका कद और बड़ा हो जाएगा।

संपादकीय में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद इस मुद्दे पर गतिरोध जारी है। शिवसेना ने आरोप लगाया कि सरकार आंदोलन को खत्म नहीं करना चाहती बल्कि इस आंदोलन पर देशद्रोह का रंग चढ़ाकर राजनीति करना चाहती है।

अगर सरकार को लगता है कि यह आंदोलन न हो और माहौल ज्यादा खराब न होने पाए तो उसे किसानों की भावनाओं को समझना चाहिए। लेकिन सरकार तो सुप्रीम कोर्ट को आगे करके किसानों का आंदोलन समाप्त कर रही है।

किसान सिंघु बार्डर से हटा, तो स्टे भी हट जाएगाशिवसेना ने ‘सामना’ में लिखा, अगर एक बार किसान सिंघु बॉर्डर से अपने घर लौट गया तो सरकार कृषि कानून के स्थगन को हटाकर किसानों की नाकाबंदी कर डालेगी। इसलिए किसान संगठन ‘करो या मरो’ के मूड में है।

जब किसान कह रहे हैं कि कृषि कानून रद्द करो, हम वापस चले जाएंगे तो किसान आंदोलन, उनकी हिम्मत और जिद का प्रधानमंत्री को स्वागत करना चाहिए। इससे मोदी आज जितने बड़े हैं उससे भी बड़े बन जाएंगे। मोदी, बड़े बनो।

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के 50वें दिन पर बृहस्पतिवार को शिवसेना ने मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। शिवसेना ने कहा है कि केंद्र सरकार न्यायालय के कंधे पर बंदूक रखकर किसानों पर गोलियां चलाई है। लेकिन किसान हैं कि आंदोलन से हटने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में प्रधानमंत्री को बड़ा दिल दिखाना चाहिए।

‘सामना’ में कहा, नए कानूनों को रद्द कर प्रधानमंत्री दिखाएं बड़ा दिल

शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र में ‘मोदी, बड़े बनो’ के तहत प्रकाशित संपादकीय में लिखा है कि किसान संगठनों और सरकार के बीच जारी चर्चा रोज असफल साबित हो रही है। किसानों को कृषि कानून नहीं चाहिए। केंद्र को नए कानूनों को रद्द करना चाहिए। ऐसा करने से उनका कद और बड़ा हो जाएगा।

संपादकीय में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद इस मुद्दे पर गतिरोध जारी है। शिवसेना ने आरोप लगाया कि सरकार आंदोलन को खत्म नहीं करना चाहती बल्कि इस आंदोलन पर देशद्रोह का रंग चढ़ाकर राजनीति करना चाहती है।

अगर सरकार को लगता है कि यह आंदोलन न हो और माहौल ज्यादा खराब न होने पाए तो उसे किसानों की भावनाओं को समझना चाहिए। लेकिन सरकार तो सुप्रीम कोर्ट को आगे करके किसानों का आंदोलन समाप्त कर रही है।

किसान सिंघु बार्डर से हटा, तो स्टे भी हट जाएगा
शिवसेना ने ‘सामना’ में लिखा, अगर एक बार किसान सिंघु बॉर्डर से अपने घर लौट गया तो सरकार कृषि कानून के स्थगन को हटाकर किसानों की नाकाबंदी कर डालेगी। इसलिए किसान संगठन ‘करो या मरो’ के मूड में है।

जब किसान कह रहे हैं कि कृषि कानून रद्द करो, हम वापस चले जाएंगे तो किसान आंदोलन, उनकी हिम्मत और जिद का प्रधानमंत्री को स्वागत करना चाहिए। इससे मोदी आज जितने बड़े हैं उससे भी बड़े बन जाएंगे। मोदी, बड़े बनो।

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