May 20, 2024 : 6:06 AM
Breaking News
MP UP ,CG

Badaun Gang Rape And Murder | Case Study Of Unnao Hathras Gangrape Case Negligence Of Police Officers In Badaun Gang rape And Murder Uttar Pradesh | उन्नाव गैंगरेप से लेकर बदायूं कांड तक अफसरों की लापरवाही से मामले बढ़े, हाथरस केस से भी सबक नहीं लिया

[ad_1]

Hindi NewsLocalUttar pradeshBadaun Gang Rape And Murder | Case Study Of Unnao Hathras Gangrape Case Negligence Of Police Officers In Badaun Gang Rape And Murder Uttar Pradesh

Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप

बदायूं8 मिनट पहलेलेखक: रवि श्रीवास्तव

कॉपी लिंक

उत्तर प्रदेश के बदायूं के गैंगरेप और हत्याकांड मामले में फरार चल रहे पुजारी सत्यनारायण को 7 जनवरी की रात को गिरफ्तार कर लिया गया। मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। (फाइल फोटो)

उन्नाव गैंगरेप पीड़ित को इंसाफ पाने में 2 साल से ज्यादा वक्त लगा, हाथरस केस में भी पुलिस ने घटना के 5वें दिन FIR दर्ज कीबदायूं गैंगरेप केस में पुलिस ने दूसरे दिन FIR दर्ज की, मुख्य आरोपी गांव में ही छिपा था, पुलिस 50 हजार इनाम रख ढूंढती रही

बदायूं के मेवली गांव में एक घर की दहलीज पर बैठी बुजुर्ग महिला हर आने-जाने व्यक्ति के सामने हाथ जोड़कर अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने की गुहार लगा रही है। वह महिला कोई और नहीं गैंगरेप पीड़ित मृतका की मां है। उन्होंने कहा, ‘हम हम थाने में रोते रहे। गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन हमारी सुनवाई नहीं हुई।’ यह कहते-कहते उनकी आंखों में आंसू आ गए।

यह पहला मामला नहीं है, जहां UP पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठे हैं। बीते 4 साल में उन्नाव गैंगरेप केस, फिर हाथरस मामला और अब बदायूं गैंगरेप-मर्डर केस। वारदात के नाम सिर्फ महिलाओं के नाम बदले, जगह बदली, नहीं बदली तो UP पुलिस। हर जगह पुलिस ने पीड़ित परिवार की आवाज दबाने की कोशिश की और अपराधियों को संरक्षण देते नजर आए। पढ़ें एक रिपोर्ट…

केस 1: उन्नाव गैंगरेप केस4 जून 2017 को उन्नाव की एक लड़की ने तब विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर पर गैंगरेप का आरोप लगाया। इसके बाद पीड़ित अचानक लापता हो गई। 16 दिन बाद वह 20 जून को औरैया से मिली। 22 जून को उसका मजिस्ट्रेट के सामने बयान हुआ। पीड़ित ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उसे सेंगर का नाम नहीं लेने दिया। आखिरकार 8 जुलाई 2018 को पीड़ित ने सीएम आवास के बाहर खुद को जलाने करने की कोशिश की।

इसके बाद मामला सुर्खियों में आया। लेकिन इसके बाद पीड़ित के पिता को थाने में इस कदर पीटा गया कि उनकी मौत हो गई। 12 अप्रैल को मामला CBI तक पहुंचा। विधायक सेंगर आरोपी बने और 13 अप्रैल को उसकी गिरफ्तारी हुई। 20 दिसंबर 2019 को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई। पीड़ित को इंसाफ पाने में दो साल लगे। इस बीच उसे पिता, मौसी, चाची, ड्राइवर और वकील की जान गंवानी पड़ी।

उन्नाव गैंगरेप पीड़िता की मां।

उन्नाव गैंगरेप पीड़िता की मां।

केस 2: हाथरस गैंगरेप केसहाथरस के बुलगढ़ी गांव की यह घटना 14 सितंबर 2020 की है। पीड़ित अपनी मां के साथ खेत गई थी, तभी उसके साथ गैंगरेप हुआ और बुरी तरह पीटा गया। पीड़ित ने थाने में ही बयान दिया था कि उसके साथ गलत हुआ है। लेकिन घटना के 5 दिन बाद पुलिस ने भाई की शिकायत और स्थानीय नेताओं के दबाव पर मुख्य आरोपी संदीप को गिरफ्तार किया। मामला सुर्खियों में आया तो 22 सितंबर को पीड़ित का पुलिस ने बयान लिया तो उसने तीन और आरोपियों के नाम बताए। इसके बाद पुलिस ने तीनों को पकड़ा।

29 सितंबर को पीड़ित ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। पुलिस ने जबरन रात में ही उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया। उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल उठने के बाद CM योगी आदित्यनाथ ने घटना की CBI जांच की सिफारिश की। इस मामले में 6 पुलिसकर्मियों समेत तत्कालीन SP को भी निलंबित किया गया था। लेकिन, पुलिस पर लापरवाही के आरोप में केस दर्ज नहीं हुआ। आखिरकार CBI ने अपनी चार्जशीट में कहा कि पीड़ित का बयान सच्चा था। उसके साथ गैंगरेप हुआ था।

केस 3: बदायूं गैंगरेप केसउघैती थाना क्षेत्र की रहने वाली 50 साल की एक महिला 3 जनवरी को शाम 6 बजे मंदिर में पूजा करने गई थी। दो-तीन घंटे बीत जाने के बाद भी जब वह घर नहीं लौटी तो घर वाले थाने गए, लेकिन पुलिस ने रात 11 बजे तक उनकी कोई बात नहीं सुनी। आरोपी दरवाजे की कुंडी खटखटा कर महिला का शव फेंककर फरार हो गए। आरोपियों ने जाते समय बताया कि महिला कुएं में गिर गई थी, जबकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पीड़ित के प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड और कपड़ा डालने जैसी बात सामने आई। अब तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। यहां भी घटना के दो दिन बाद FIR दर्ज की गई। आला अधिकारी मौके पर नही पहुंचे, जिससे मुख्य आरोपी को फरार होने का मौका मिल गया।

बड़ी घटनाओं से सीख नहीं ले रही है UP पुलिस: पूर्व DGP

विक्रम सिंह, पूर्व पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश।

विक्रम सिंह, पूर्व पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश।

UP के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) विक्रम सिंह कहते हैं कि UP पुलिस बड़ी घटनाओं से सबक नहीं लेती। आप उन्नाव कांड से हाथरस कांड और अब बदायूं कांड तक देखें तो तीनों ही केस में अनुभवहीनता ही नजर आती है। वह (पुलिस) गलतियों पर गलतियां किए जा रही है। इसके 4 कारण हैं…

तीनों ही केस में FIR में देरी।तीनों ही केस में पुलिस की तरफ से अविश्वास पैदा किया गया। किसी भी परिस्थिति में पीड़ित परिवार पुलिस पर भरोसा नहीं कर पाया।आरोपियों को पकड़ने को लेकर हीलाहवाली।पुलिस की नाकाम लीडरशिप। आजकल वायरलेस पर सूचना आती है। ऐसे में थाना एक्टिव नहीं हुआ तो कम से कम सर्किल अफसर (CO), ASP या SSP को एक्टिव होना चाहिए। उनके ऊपर भी DIG, IG और ADG हैं।

‘निर्भया कांड के बाद बने नियमों को अप्लाई नहीं करना भी ऐसी वारदातों को बुलावा’विक्रम सिंह यह भी कहते हैं कि निर्भया कांड के बाद धारा 166 A बनाई गई थी। इसके मुताबिक, ऐसे मामलों में जो पुलिसकर्मी या अफसर लापरवाही बरते, उस पर लागू किया जाना था। दरअसल, धारा 166A के मुताबिक जो अधिकारी या पुलिसकर्मी रेप या गैंगरेप जैसे मामलों में लापरवाही बरतता है, उस पर जुर्माना या फिर उसके खिलाफ केस कर जेल तक भेजा जा सकता है। लेकिन उन्नाव, हाथरस केस में भी सिर्फ निलंबन (सस्पेंड) हुआ। अब बदायूं गैंगरेप केस में घटना के 5वें दिन तत्कालीन थाना प्रभारी और दरोगा पर केस दर्ज किया गया है। वह भी शासन और मीडिया के दबाव के चलते। यह लापरवाही ही इस तरह की घटनाओं को बुलावा देती है।

‘लीडरशिप की लापरवाही ही ऐसी घटनाओं को जन्म देती है’BBC के सीनियर जर्नलिस्ट समीरात्मज मिश्रा कहते हैं कि इस तरह के केस इसलिए भी बढ़ रहे हैं, क्योंकि UP के जिलों में अफसरों को उनकी काबिलियत नहीं, बल्कि जाति और उनका प्रेशर देख कर चार्ज दिया जाता रहा है। यह किसी से छिपा या ढका नहीं है। साथ ही आला अधिकारियों की लापरवाही इस तरह के केस को बड़ा करने में मदद करती है। UP के जिला प्रशासन को बड़ी घटना में किसी भी सरकार के समय देख लीजिए वह हमेशा प्रेशर में काम करता है।

अब बदायूं कांड में ही सोमवार शाम में FIR दर्ज हुई, लेकिन जिले के कप्तान (SSP) थाना प्रभारी की ही भाषा बोलते रहे। उन्होंने घटनास्थल तक आना भी उचित नहीं समझा। जब मामला मीडिया में हाइलाइट हुआ तो वे आनन फानन में भागे। इस मामले में सिर्फ थाना प्रभारी को निलंबित किया गया, लेकिन जिम्मेदारी तो आला अधिकारियों की भी है।

बदायूं कांड की पीड़ित के गांव में लगी भीड़।

बदायूं कांड की पीड़ित के गांव में लगी भीड़।

बदायूं कांड पर 7 सवाल

बदायूं के सीनियर जर्नलिस्ट चितरंजन सिंह कहते हैं कि बदायूं कांड में शुरुआती दौर में पुलिस ने लापरवाही ही की है।

लापरवाही नंबर 1: केस में पकड़े गए दोनों आरोपियों का कहना है कि वे पहले पीड़ित को चंदौसी के एक अस्पताल ले गए। लेकिन पति का नाम न बताने की वजह से अस्पताल ने पीड़ित का इलाज नहीं किया। जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि ऐसे केस में पहले इलाज जरूरी है।लापरवाही नंबर 2: 3 जनवरी को आरोपी, पीड़ित को घर छोड़ आए और उसकी मौत हो गई। 4 जनवरी पीड़ित के परिजन 2 बार थाने गए, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। जब पीड़ित परिजनों ने डायल 112 पर कॉल किया तब सोमवार शाम FIR दर्ज हुई।लापरवाही नंबर 3: FIR दर्ज होने के बाद भी पुलिस गंभीर नहीं हुई। सोमवार को आरोपी पुजारी मंदिर पर ही था। मीडिया को उसने बयान भी दिया, लेकिन पुलिस ने उसके ठिकाने पर दबिश नहीं दी।लापरवाही नंबर 4: पुलिस एक्शन में तब आई, जब मामला मीडिया में उछला कि पीड़ित के साथ दरिंदगी की हदें पार कर दी। तब आलाधिकारी जागे और घटनास्थल की विजिट की।लापरवाही नंबर 5: आरोपी को फरार होने के लिए 12 घंटे से भी ज्यादा समय दिया गया। आरोपी पुजारी सोमवार शाम (4 जनवरी) तक मंदिर में मौजूद था, लेकिन FIR होने के बाद वह फरार हो गया और 5वें दिन गिरफ्तार हुआ। वह गांव में ही एक भक्त के यहां मौजूद था। पड़ोसियों ने पुलिस को सूचित किया था।लापरवाही नंबर 6: उघैती थानाध्यक्ष को उसके कार्यकाल में पहली बार किसी थाने का चार्ज दिया गया था। दरअसल, जब किसी थानेदार को चार्ज दिया जाता है तो उसका फीडबैक लिया जाता है जोकि नहीं लिया गया था। ऐसे में अनुभवहीनता की कमी की वजह से मामला बढ़ गया।लापरवाही नंबर 7: मीडिया में जब गैंगरेप पीड़िता की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ गई, तब पुलिस ने मामले की संवेदनशीलता देखते हुए धरपकड़ शुरू की। तब तक पुलिस की पकड़ से मामला दूर जा चुका था।

[ad_2]

Related posts

सीधी प्रकरण में आरोपित का घर ढहाने की मांग पर बोले गृहमंत्री नरोत्‍तम, कानून के हिसाब से चलेगा बुलडोजर

News Blast

UP में सीरियल ब्लास्ट की फिराक में था अलकायदा:AGH का कमांडर शकील है फरार, 15 अगस्त के लिए बना रहा था मानव बम; मिनहाज और मसीरुद्दीन की 14 दिन की रिमांड मंजूर

News Blast

समाजवादी पार्टी के फैसले से तेजस्वी यादव को मिलेगी राहत, बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी के उम्मीदवारों का समर्थन करेगी सपा

News Blast

टिप्पणी दें