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महाराष्ट्र में विधान परिषद की छह सीटों पर आए नतीजे के बाद शिवसेना एक बार फिर भाजपा पर हमलावर हो गई है। शिवसेना ने कहा है कि एक साल में भाजपा पर दो सूतक लग गया है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार साल में दो सूतक लगना अच्छा नहीं होता। भाजपा को कुछ तोड़ निकालना होगा। स्थिति यह हो गई है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गढ़ नागपुर में ही भाजपा दो गुटों में बंट गई है।
शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र में ‘भाजपा पर फिर सूतक’ शीर्षक के तहत संपादकीय लिखा है जिसमें भाजपा पर तीखा प्रहार किया गया है। शिवसेना ने लिखा है कि नागपुर और पुणे में भाजपा की पराजय सूबे में बदली हुई तूफानी हवा की आहट है। शिक्षक और स्नातकों ने महाविकास आघाड़ी को ही वोट दिया। कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना एक साथ लड़ी, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि दिल से लड़ी।
इसमें सबसे झकझोरने वाला नतीजा नागपुर स्नातक निर्वाचन सीट का आया है। जहां पांच दशक से भाजपा ही विजयी होती रही है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 25 साल तक नागपुर के स्नातकों का प्रतिनिधित्व किया। उससे पहले ईमानदार मेहनती व संघ नेता गंगाधराव पंत फडणवीस स्नातकों का प्रतिनिधित्व करते थे।
वर्तमान में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस उन्ही के सुपुत्र हैं। यह पराजय भाजपा के लिए आत्मक्लेश जैसा है। शिवसेना ने लिखा कि पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव में ही भाजपा के गढ़ नागपुर में सेंध लग चुकी थी। नागपुर की दो सीटें भाजपा ने गवांई थी और तीन सीटें किसी तरह से जीत पाई थी। इसलिए विधान परिषद चुनाव में मिली हार पर भाजपा को ज्यादा दिल पर नहीं लेना चाहिए।
एकजुटता से ढह सकता है भाजपा का गढ़
शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की विधान परिषद सीटों के परिणाम से यह सिद्ध हो गया है कि एकजुटता से भाजपा के गढ़ को ढहाया जा सकता है। इस बार नागपुर से गडकरी समर्थक वर्तमान विधायक अनिल सोले की बजाए वर्तमान महापौर संदीप जोशी को उम्मीदवार बनाया गया जो फडणवीस के खेमे के थे। नागपुर में भाजपा दो खेमों में बंटकर टूट गई। इसका नतीजा सामने है।
सार
शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र में ‘भाजपा पर फिर सूतक’ शीर्षक के तहत संपादकीय लिखा है जिसमें भाजपा पर तीखा प्रहार किया गया है। शिवसेना ने लिखा है कि नागपुर और पुणे में भाजपा की पराजय सूबे में बदली हुई तूफानी हवा की आहट है…
विस्तार
महाराष्ट्र में विधान परिषद की छह सीटों पर आए नतीजे के बाद शिवसेना एक बार फिर भाजपा पर हमलावर हो गई है। शिवसेना ने कहा है कि एक साल में भाजपा पर दो सूतक लग गया है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार साल में दो सूतक लगना अच्छा नहीं होता। भाजपा को कुछ तोड़ निकालना होगा। स्थिति यह हो गई है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गढ़ नागपुर में ही भाजपा दो गुटों में बंट गई है।
शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र में ‘भाजपा पर फिर सूतक’ शीर्षक के तहत संपादकीय लिखा है जिसमें भाजपा पर तीखा प्रहार किया गया है। शिवसेना ने लिखा है कि नागपुर और पुणे में भाजपा की पराजय सूबे में बदली हुई तूफानी हवा की आहट है। शिक्षक और स्नातकों ने महाविकास आघाड़ी को ही वोट दिया। कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना एक साथ लड़ी, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि दिल से लड़ी।
इसमें सबसे झकझोरने वाला नतीजा नागपुर स्नातक निर्वाचन सीट का आया है। जहां पांच दशक से भाजपा ही विजयी होती रही है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 25 साल तक नागपुर के स्नातकों का प्रतिनिधित्व किया। उससे पहले ईमानदार मेहनती व संघ नेता गंगाधराव पंत फडणवीस स्नातकों का प्रतिनिधित्व करते थे।
वर्तमान में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस उन्ही के सुपुत्र हैं। यह पराजय भाजपा के लिए आत्मक्लेश जैसा है। शिवसेना ने लिखा कि पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव में ही भाजपा के गढ़ नागपुर में सेंध लग चुकी थी। नागपुर की दो सीटें भाजपा ने गवांई थी और तीन सीटें किसी तरह से जीत पाई थी। इसलिए विधान परिषद चुनाव में मिली हार पर भाजपा को ज्यादा दिल पर नहीं लेना चाहिए।
एकजुटता से ढह सकता है भाजपा का गढ़
शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की विधान परिषद सीटों के परिणाम से यह सिद्ध हो गया है कि एकजुटता से भाजपा के गढ़ को ढहाया जा सकता है। इस बार नागपुर से गडकरी समर्थक वर्तमान विधायक अनिल सोले की बजाए वर्तमान महापौर संदीप जोशी को उम्मीदवार बनाया गया जो फडणवीस के खेमे के थे। नागपुर में भाजपा दो खेमों में बंटकर टूट गई। इसका नतीजा सामने है।
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